अस्थिसंस्था भाग – ९

skull1मानव के सिर की अस्थियों के बारे में अध्ययन करते समय हमने शुरुआत में देखा की, गर्भावस्था से लेकर ही एज तक आने तक हमारा सिर बढ़ता व बदलता रहता है। यह बदलाव व बुद्धि कहाँ और किस उम्र में होती हैं, अब हम यह देखेंगे। साथ ही साथ लिंग व वंश का इस वृद्धि व बदलाव पर कुछ परिणाम होता है क्या, यह भी अब हम देखेंगे।

जन्म के समय खोपड़ी की स्थिति (skull at birth)नवजात शिशु में शरीर की तुलना में सिर बड़ा होता है। परन्तु चेहरे का सामने का हिस्सा इसकी तुलना में कम अथवा छोटा होता है। इस उम्र में सिर का १/२ हिस्सा चेहरा होता हैं। इसके विपरीत बड़ी उम्र में हमारा चेहरा सिर का आधा हिस्सा बन जाता है। नवजात शिशु के चेहरा छोटा होने के अनेक कारण हैं। इस उम्र में मेडिकल व मॅक्सिल्टी दोनों अस्थियां प्राथमिक अवस्था में होती हैं। मुँह में अब तक दाँत नहीं निकले होते हैं और नासापुट एवं मॅक्सिलाय एवं फाँटनेल अस्थि में रहनेवाले रिक्त स्थान (sinus)काफी छोटे होते हैं। आंखो के गढ्ढों की निचली रेषा में नाक के बाहरी छिद्र होते हैं। निचली सतह की अपेक्षा खोपड़ी का ऊपरी हिस्सा ज्यादा बड़ा होता है। इसका कारण यह है कि इस उम्र में, उम्र की तुलना में मष्तिष्क ज्यादा बड़ा होता है।

इस उम्र में सिर की हड्डियों का ओसिफिकेशन अपूर्ण होता हैं। प्रत्येक अस्थि ओसिफिकेशन की विभिन्न स्तरों पर रहती हैं। खोपड़ी के अगले सिरें पर तंतुमय परदा (Fibrous membrane) होता है। इसे ही हम ‘तालु ’ कहते हैं। वैद्यकीय परिभाषा में इसको फाँटनेल (fontanelle)कहते हैं। छोटे बच्चे के सिर पर ऐसे कुल छ: तालु होते हैं। वे हैं- सामने से बड़ा अँटिरिअर (anterior), फाँटनेल, पीछे की ओर पोस्टेरिअर (posterior) तालु और दोनों बगलों में कानों के आगे-पीछे दो छोटे तालु होते हैं।

इनमें सामने का तालु इस तरह होता है- साधारणत: ४ सेमी लम्बा व २.५ सेमी चौड़ा तालु होता है। सॅजिटल जोड़, करोनल जोड़, व दो फाँटल अस्थि के जोड़ों  के बीच में भी तालु होता है। पिछला तालु पॅरायटल अस्थि और ऑॅक्सिपिटल अस्थियों के बीच में सॅजायटल एवं लॅवडाइड जोड़ो के बीच में होता है तथा उसका आकार त्रिकोणी होता है।

आँखों के गढ्ढे बड़े होते हैं और दांत की जड़ें इसके निचले हिस्से के काफी करीब होती हैं। बाह्यकर्ण नलिका साँकरी होती हैं। यह एकदम सीधी होती है व फैब्रोकार्टीलऐज की बनी होती है। कान का परदा नीचे की ओर झुका हुआ होता है।

जन्म के समय योनीमार्ग में बच्चे का सिर थोड़ा दबता है। इस समय सिर का हो हिस्सा योनी की मध्य रेषा में होता है उस पर थोड़ी सूजन आ जाती है (oedema)। इसे caput succedaneum कहते हैं। जिस अक्ष पर बच्चे का सिर प्रसव के समय दबा हुआ  होता है उसके विरुद्ध अक्ष में यह लंबा हो जाता है। मान लीजिए कि यदि जन्म के समय बच्चे का सिर दोनों कानों के पास दबा हुआ हो तो वो सामने से पीछे की ओर लम्बा हो जाता है। यह आकार का बदलाव जन्म के एक सप्ताह बाद ही समाप्त हो जाता है तथा बच्चे का सिर पूर्ववत हो जाता है। बच्चे के सिर पर योनिमार्ग का दबाव ज्यादा हो जाने पर तथा यदि बच्चे का सिर ज्यादा समय तक इस दाब में रह जाये तो बच्चे के सिर की त्वचा के नीचे की रक्तवाहनियों से रक्तस्त्राव होता हैं। इसकी छोटी सी गांठ त्वचा के नीचे परन्तु खोपड़ी की हड्डी पर बन जाती है। इसे सीफलहीमटोमा(Cephalhematoma) कहते हैं। प्राय: यह गांठ टेंपोरेल, पॅरायटल व ऑक्सिपिटल अस्थियों के बीच तैयार होती हैं। जन्म के बाद साधारणत: छ: से बारह हप्तों में यह गांठ समाप्त हो जाती है।

जन्म के समय बच्चे का सिर कैसा होता है, यह संबंधित आकृति से समझा जा सकता है। जन्म के बाद धीरे-धीरे इसमें कौन से बदलाव होते हैं, यह अब हम देखते हैं। .

(क्रमश:)

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