तैवान की स्वतंत्रता के मुद्दे पर चीन-अमेरिका में सैनिकी संघर्ष छिडेगा अमेरिका में चीनी राजदूत का इशारा

वॉशिंग्टन – ’तैवान चीन और अमेरिका के बीच सर्वाधिक विस्फोटक मुद्दा है। आनेवाले समय में अमेरिका के समर्थन की वजह से उद्दंड हुए तैवान ने स्वतंत्रता के मार्ग पर चलना शुरु किया तो चीन और अमेरिका में सैनिकी संघर्ष छिडेगा’, ऐसा इशारा अमेरिका में चीनी राजदूत ने दिया। कुछ घंटे पहले अमेरिका के उपराष्ट्राध्यक्ष कमला हैरिस ने तैवान के उपराष्ट्राध्यक्ष विल्यम लै से भेंट की। तो इससे पहले अमेरिका की संसद में तैवान की संरक्षण क्षमता बढाने के लिए ’आर्म तैवान ऐक्ट’ पेश किया गया। इस पृष्ठभूमि पर चीन ने अमेरिका को यह इशारा दिए जाने का दावा किया जा रहा है।

us-china-military-conflictकुछ साल पहले तक चीन के परराष्ट्र मंत्रालय के प्रवक्ता तो बाद में अमेरिका में राजदूत के रूप में नियुक्त किए गए किन गैंग ने अमेरिका के नामचीन रेडिओ चैनल से बात करते हुए सैनिकी संघर्ष का इशारा दिया था। अमेरिका तैवान की स्वतंत्रता को प्रोत्साहन दे रही है ऐसा आरोप गैंग ने लगाया। अमेरिका के समर्थन की वजह से बल प्राप्त हुए तैवान के नेता स्वतंत्र की मांग पर अडे बैठे हैं और भविष्य में वे ऐसी गतिविधियां करने लगेंगे तो इसके लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। इससे संघर्ष शुरु हो सकता है, ऐसा चीन के राजदूत ने घमकाया।

इस पर प्रतिक्रिया देती हुई अमेरिका अपने ’वन चायना पॉलिसी’ से वचनबद्ध होने की बात अमेरिका के संरक्षण विभाग ने कहा। इसके अलावा तैवान के साथ सहकार्य करार के बारे में भी बंधे होने की बात अमेरिका के संरक्षण विभाग ने स्पष्ट की। ’अमेरिका तैवान को स्वसंरक्षण क्षमता विकसित करने हेतु जरुरतानुसार सहायता करती रहेगी। तथा तैवानी जनता की सुरक्षा को धोखा निर्माण करनेवाली किसी भी शक्ति का प्रतिकार करने की क्षमता अमेरिका ने रोक रखी है।’ ऐसा पेंटागॉन के प्रवक्ता ने कहा है।

चीन दावा कर रहा है कि, तैवान अपना सार्वभौम भूभाग है। तैवान के स्वतंत्रवादी गुटों ने चीन को चेतावनी देना जारी रखा है और सीमा उल्लंघन किया गया तो तैवान पर निर्णायक कार्यवाही करने के सिवा दूसरा चारा नहीं रहेगा, चीन ने ऐसी ताकीद दी थी। इसके अलावा, चीन के साथ सहकार्य करनेवाले राष्ट्र ’वन चायना पॉलिसी’ का आदर करके तैवान को किसी भी तरह का राजकीय और सैनिकी सहकार्य ना करें, यह चीन की स्पष्ट भूमिका है। मगर चीन की इस उदंडता को नजरअंदाज करते हुए अमेरिका के संरक्षण विभाग ने तैवान के साथ सैनिकी सहकार्य कायम रखा है।

इस पर बौखलाए हुए चीन ने इससे पहले भी अमेरिका को लश्करी कार्यवाही का इशारा दिया था। चीन के सरकारी मुखपत्र ’ग्लोबल टाईम्स’ ने कुछ ही दिन पहले अमेरिका ने तैवान की सुरक्षा के लिए अपनी सेना भेजी तो उन पर गोलियां बरसाई जाएंगी, ऐसी धमकी दी थी। तो अमेरिका ने तैवान के करीब सागरी क्षेत्र में विमान वाहक युद्धनौकाएं और विध्वंसक समेत बडा युद्धाभ्यास करके चीन को चेतावनी दी थी।

तो, चीन की शीन जिनपिंग की कम्युनिस्ट हुकूमत सैनिकी बल पर तैवान के विलीनीकरण को प्रधानता देने का आरोप अमेरिका के लोकप्रतिनिधी लगा रहे है। पिछले सप्ताह अमेरिकन सिनेट में पेश किए गए विधायक में तैवान को प्रतिवर्ष तीन अरब डॉलर्स की संरक्षण सहायता की आपूर्ति करने का प्रावधान किया गया है।

तो, चीन ने तैवान पर किए हुए आक्रमण से तुरंत परिणाम निकलने की संभावना नहीं है बल्कि, यह युद्ध प्रदीर्घ समय तक चलने की संभावना होने का दावा अमेरिकी अध्ययन मंडल के विश्लेषक कर रहे हैं। अमेरिका एवं मित्रराष्ट्र इसमें शामिल होंगे, पर उसमें कोई भी निर्णायक विजय प्राप्त नहीं कर पाएगा, ऐसा दावा ‘ब्रुकिंग्ज् इन्स्टिट्यूट’ के अध्ययन मंडल ने किया था।

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