हज़ारों टन अनाज़ के साथ सफर कर रहे रशिया के जहाज़ों पर कब्ज़ा करें – यूक्रेन की तुर्की से माँग

किव – यूक्रेन युद्ध की वजह से पूरे विश्व में अनाज़ की किल्लत बनी है। पश्चिमी देश इसके लिए रशिया को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं। लेकिन, अमरीका और यूरोपिय देशों के प्रतिबंध अनाज़ और धान की आपूर्ति में बाधा बनने का आरोप रशिया ने लगाया था। इसके बाद रशिया ने तकरीबन सात हज़ार टन अनाज़ से भरे जहाज़ जरुरतमंद देशों के लिए रवाना किए हैं। लेकिन अनाज़ की अवैध यातायात कर रहे इन रशियन जहाज़ों पर तुर्की कब्ज़ा करे, यह माँग यूक्रेन ने की है।

अनाज़

‘झिबैक झॉली’ नामक जहाज़ कुछ दिन पहले यूक्रेन के बर्डियान्स्क बंदरगाह से हज़ारों टन अनाज़ लेके निकला था। कज़ाकस्तान के ‘केटीझेड एक्स्प्रेस’ के इस जहाज़ की यातायात रशिया की ‘ग्रीन लाईन’ कंपनी चलाती है। पश्चिमी देशों ने रशियन नेता, अधिकारी और कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए हैं। लेकिन, इसमें ग्रीन लाईन का समावेश नहीं है। इस वजह से रशिया की यह यातायात प्रतिबंधों के दायरे में नहीं आती।

लेकिन, रशिया की घुसपैठ करनेवाली सेना ने हमारे अनाज़ की चोरी की और इसकी अवैध निर्यात कर रही है, यह आरोप यूक्रेन ने लगाया। रशिया ने यूक्रेन के यह आरोप ठुकराए थे। लेकिन, तुर्की में नियुक्त यूक्रेन के राजदूत वैसिली बोन्दार ने इस रशियन जहाज़ पर कार्रवाई करके इस पर कब्ज़ा करें, यह माँग की है। तुर्की ने इस पर बयान नहीं किया है। लेकिन, यह जहाज़ तुर्की के करासू बंदरगाह में पहुँचा है।

इसी बीच, तुर्की अब रशिया विरोधी भूमिका अपनाए, इसके लिए अमरीका और पश्चिमी देश दबाव बना रहे हैं। अमरीका के इस दबाव के बाद तुर्की ने स्वीडन और फिनलैण्ड के नाटो प्रवेश को अनुमति प्रदान की। इसके बदले में अमरीका अब तुर्की को सैन्य सहायता प्रदान करेगी, ऐसी खबरें प्राप्त हुई थीं। लेकिन, इस वजह से रशिया के नाराज़ होने का दावा पश्चिमी माध्यम कर रहे हैं।

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