चीन को रियायती ईंधन प्रदान करने के लिए ईरान की रशिया से स्पर्धा

वॉशिंग्टन – रशिया फिलहाल सौदी अरब को पीछे छोड़कर चीन को सबसे अधिक मात्रा में ईंधन प्रदान कर रहा देश बना है। इसके लिए रशिया ने चीन को रियायती कीमतों पर ईंधन की आपूर्ति करने का आकर्षक प्रस्ताव दिया था। अब ईरान भी चीन का मार्केट पाने के लिए स्पर्धा करने लगा हैं। रशिया ने ईंधन की आपूर्ति करने के लिए प्रदान की हुई सहूलियत से अधिक ज़्यादा सहूलियत देने की तैयारी ईरान ने दर्शायी है।

रशिया की तुलना में ईरान दोगुनी सहूलियत देकर चीन को ईंधन निर्यात कर सकता है, ऐसा अमरीका के शीर्ष अखबार ने कहा है। रशिया और ईरान की इस होड़ की वजह से चीन का ही लाभ हो रहा है, इस मुद्दे पर एक आन्तर्राष्ट्रीय विश्‍लेषिका ध्यान आकर्षित कर रही हैं।

यूक्रेन युद्ध की वजह से पूरे विश्‍व में ईंधन की कीमतें उछाल पर हैं और ऐसें में, यूरोपिय देशों ने सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाने के कारण रशिया रियायती कीमत से ईंधन की आपूर्ति करने के लिए मज़बूर हो रहा है। विश्‍व के सबसे बड़े ईंधन खरीदार बने चीन ने रशिया पर लगे इन प्रतिबंधों का लाभ उठाकर रशिया से काफी कम कीमत में ईंधन की खरीद शुरू की थी।

अपने अपारदर्शी कारोबार के लिए जाने जा रहें चीन ने ईंधन खरीद की कोई भी जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। लेकिन, मई महीने में ही रशिया ने चीन को रिकार्ड़ मात्रा में कच्चे तेल की बिक्री करने की खबरें प्राप्त हुई थी। अब ईरान ने भी चीन को अधिक सहूलियत की कीमत से ईंधन निर्यात करने की तैयारी जुटाई है। इसके लिए ईरान को कच्चे तेल की कीमत काफी कम करनी होगी, ऐसा अमरिकी अखबार ‘ब्लूमबर्ग’ ने कहा है।

चीन जैसा ईंधन का मार्केट प्राप्त करने के लिए रशिया और ईरान की चल रही इस होड़ पर इन आन्तर्राष्ट्रीय विश्‍लेषिका ने ध्यान आकर्षित किया। ‘रशिया और ईरान की इस होड़ से चीन को ही लाभ प्राप्त होगा’, ऐसा सिंगापूर स्थित ‘वंदा इन्साईटस्‌’ नामक अभ्यास गुट की संस्थापिका वंदना हरि ने कहा है। ‘ईंधन पर इतनी भारी मात्रा में सहूलियत प्रदान करने से, अपने हाथ से चीन का मार्केट निकला जा रहा है, इसका अहसास खाड़ी के ईंधन उत्पादक देशों को बेचैन किए बिना नहीं रहेगा’, यह दावा हरि ने किया।

बता दें, तीन साल पहलें अमरीका के तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने, ईरान और वेनेजुएला के ईंधन कारोबार पर प्रतिबंध लगाए थे। उस समय भी चीन ने, प्रतिबंध एवं अमरीका के इशारों की परवाह किए बिना इन देशों से रियायती कीमत से ईंधन खरीद जारी रखी थी। अब भी चीन प्रतिबंधों का लाभ उठाकर रियायती कीमत से खरीदे ईंधन का भंड़ारण करता दिख रहा है।

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