भारत की सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता को रशिया का समर्थन – चीन में नियुक्त रशियन राजदूत का ऐलान

बीजिंग – संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद का विस्तार हो और भारत को परिषद की स्थायी सदस्यता प्राप्त हो, यह माँग चीन में नियुक्त रशिया के राजदूत ने की। चीन में आयोजित एक समारोह में चीन के वरिष्ठ अधिकारियों के सामने रशियन राजदूत आंद्रेई डेनिसोव ने यह माँग की। रशिया ने इससे पहले भी भारत की स्थायी सदस्यता को अधिकृत स्तर पर समर्थन प्रदान किया था। लेकिन, चीन में रशियन राजदूत बीजिंग में इसका ऐलान करके चीन को संदेश देते दिख रहे हैं।

स्थायी सदस्यताअमरीका, रशिया, ब्रिटेन, फ्रान्स और चीन ये देश संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं। इन देशों के हाथ किसी भी प्रस्ताव पर नकाराधिकार का इस्तेमाल करने का हुकूमी अस्त्र है। इस वजह से, संयुक्त राष्ट्रसंघ के किसी भी निर्णय रोकने की ताकत इन देशों को प्राप्त हुई है और ये देश इसका इस्तेमाल, अपने हितसंबंधों के लिए लगातार करते हैं। लेकिन, पिछले कुछ सालों से भारत, जापान, जर्मनी और ब्राज़िल इन देशों की अहमियत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रही है और इन देशों ने भी, सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता पर अपना अधिकार होने के दावे किए हैं।

इनमें से भारत और ब्राज़िल इन देशों की स्थायी सदस्यता को रशिया का समर्थन है। क्योंकि सुरक्षा परिषद में एशिया, लैटिन अमरीका और अफ्रीका को प्रतिनिधित्व प्राप्त होना आवश्‍यक है। इस वजह से सुरक्षा परिषद में अन्य महाद्वीपों का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा और सुरक्षा परिषद अधिक जनतांत्रिक हो जाएगी, यह विश्‍वास राजदूत डेनिसोव ने व्यक्त किया। लेकिन, मौजूदा सुरक्षा परिषद केवल पश्‍चिमी देशों के प्रभाव में हैं और सिर्फ पश्‍चिमी देशों को अनुकूल होनेवालीं बातें ही इस प्रकार विश्‍व के सामने रखी जाती है, मानों वे अंतिम सत्य ही हों। इसी कारण सुरक्षा परिषद में सुधार करना ज़रूरी है, ऐसा रशियन राजदूत ने कहा है।

स्थायी सदस्यताचीन की राजधानी बीजिंग में आयेजित ‘यूएन वर्ल्ड पीस फोरम’ के मंच को संबोधित करते हुए राजदूत डेनिसोव ने डटकर यह बयान किया। जर्मनी और जापान का अगर सुरक्षा परिषद में समावेश हुआ, तो इससे मौजूदा स्थिति में बदलाव नहीं होगा। लेकिन, भारत और ब्राज़िल के बारे में ऐसा नहीं कह सकते, यह कहकर रशियन राजदूत ने, इन दोनों देशों की नीति स्वतंत्र होने के मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित किया।

इससे पहले रशिया समेत फ्रान्स, ब्रिटेन और अमरीका ने भी, सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत का समर्थन किया था। लेकिन, सुरक्षा परिषद में चीन एकमात्र ऐसा स्थायी सदस्य देश है, जो भारत का विरोध कर रहा है। इसके लिए चीन तकनीकी वजह बताता रहा है। इस वजह से रशिया के राजदूत ने बीजिंग में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करना यानी रशिया ने चीन को दिया संदेश साबित होता है। रशिया की भारत के साथ बनी परंपरागत मित्रता का सहयोग आगे भी कायम रहेगा, यही संदेश रशिया ने इसके ज़रिये चीन को दिया दिख रहा है।

इसी बीच, यूक्रेन पर हमला कर रहे रशिया की स्थायी सदस्यता रद करने की माँग यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष झेलेन्स्की ने उठायी थी। इस माँग का कुछ लोगों ने समर्थन भी किया था। लेकिन, संयुक्त राष्ट्रसंघ के नियमों के अनुसार यह मुमकिन नहीं है, ऐसा कहकर अमरीका ने यह मुद्दा खत्म किया था। लेकिन, इससे सुरक्षा परिषद के विस्तार का मुद्दा सामने आया और भारत, जापान, जर्मनी और ब्राज़िल इन देशों की स्थायी सदस्यता की दावेदारी फिर से चर्चा का मुद्दा बनी। इस पृष्ठभूमि पर, जापान और जर्मनी का विरोध करके, स्थायी सदस्यता के लिए भारत और ब्राज़िल का समर्थन करके रशिया ने पूरे विश्‍व का ध्यान इस ओर आकर्षित किया है।

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