यूरोपिय देशों में रशियन प्रचार का प्रभाव बढ़ रहा हैं – यूरोपिय महासंघ के वरिष्ठ अधिकारी का दावा

ब्रुसेल्स/मास्को –  यूरोपिय महासंघ के सदस्य देशों में रशियन प्रसार माध्यम एवं अन्य यंत्रणाओं द्वारा शुरू प्रचार का प्रभाव बढ़ रहा हैं, ऐसा दावा महासंघ के वरिष्ठ अधिकारी ने किया। ‘यूरोपियन कमिशन फॉर वैल्युज्‌‍ ॲण्ड ट्रान्सपरन्सी’ के उपाध्यक्ष वेरा जोरोवा ने यूरोपिय देशों के कुछ नागरिक रशिया-यूक्रेन युद्ध में रशिया को समर्थन दर्शा रहे हैं, यह कहा। रशियन प्रचार पर प्रत्युत्तर देने के लिए यूरोपिय देशों ने अधिक निधी का प्रावधान करना होगा, यह आवाहन भी उन्होंने किया। 

रशियन प्रचारएक जर्मन अखबार को दिए साक्षात्कार में जोरोवा ने रशिया से किए जा रहे प्रचार का यूरोपिय जनता पर भारी प्रभाव बढ़ने का अहसास दिलाया। ‘स्लोवाकिया जैसे देश में ५० प्रतिशत से भी अधिक नागरिक ‘कॉन्स्पिरसी थिअरीज्‌‍’ पर भरोसा कर रहे हैं और इसमें रशिया ने यूक्रेन पर किए हमलों से जुड़े दावों का भी समावेश है। रशिया कोई आक्रामक देश नहीं हैं, बल्कि पीड़ित देश होने के वृत्त का समर्थन किया जा रहा हैं’, ऐसा जोरोवा ने कहा। 

रशियन प्रचाररशिया से हो रहे प्रचार के बढ़ते प्रबाव को यूरोपिय देशों ने अबतक नज़रअंदाज करने की बात भी महासंघ के अधिकारी ने रेखांकित की। रशियन हुकूमत ने यूरोप में प्रचार करने के लिए अरबों डॉलर्स खर्च किए हैं, लेकिन, इसपर प्रत्युत्तर देने के लिए हमने ज्यादा कुछ नहीं किया हैं, इसपर ‘यूरोपियन कमिशन फॉर वैल्यूज ॲण्ड ट्रान्सपरन्सी’ के उपाध्यक्ष जोरोवा ने ध्यान आकर्षित किया। करीबी समय में यूरोपिय देशों ने इस मुद्दे पर ध्यान देकर अधिक निवेश करना होगा, यह बयान भी उन्होंने इस दौरान किया।

महासंघ का शीर्ष देश जर्मनी ही रशिया के प्रचार अभियान का प्रमुख लक्ष्य होने का दावा भी जोरोवा ने किया है। जर्मनी में आयोजित कुछ रैलीज्‌‍ में रशियन यंत्रणा घुसपैठ करने में सफल हुई होगी, ऐसी संभावना उन्होंने जताई। साथ ही ‘आरटी’ नामक रशियन समाचार चैनल पर लगाई पाबंदी का समर्थन करके यह पाबंदी आगे भी जारी रखनी होगी, ऐसा जोरोवा ने कहा। रशिया की हुकूमत से ताल्लुकात ना होनेवाले प्रसार माध्यम भी यूरोप में मौजूद हैं और उन्हें अधिक बढ़वा देना होगा, ऐसी मांग उन्होंने की है। 

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