यूरोपिय देशों ने यूक्रेन के खाद्यान्न पर लगाए प्रतिबंध – पोलैण्ड, हंगरी और स्लोवाकिया का निर्णय

वियना/वार्सा – रशिया ने यूक्रेन पर हमले करने के बाद यूक्रेन का समर्थन करने के लिए यूरोपिय देश बड़े जोरों से आगए आए थे। रशिया पर प्रतिबंध लगाकर यूक्रेन को आर्थिक एवं हथियारों की सहायता करने के अलावा यूक्रेनी शरणार्थियों को स्वीकारने के लिए भी यूरोपिय देशों ने पहल की थी। यूक्रेन की जंग यूरोप की लड़ाई है, ऐसे दावे भी कुछ यूरपिय देशों ने किए थे। लेकिन, अब यूक्रेन को यूरोप से प्राप्त हो रहा समर्थन धीरे-धीरे विरोध और नाराज़गी में बदलता जा रहा है। यूरोप के प्रमुख देशों ने यूक्रेन से आयात होने वाले खाद्यान्न पर प्रतिबंध लगाए हैं।

खाद्यान्नपोलैण्ड, बल्गेरिया और रोमानिया के किसानों ने पिछले महीने यूक्रेन से आयात हो रहे अनाज का विरोध करने के लिए प्रदर्शन शुरू किए थे। यूरोपिय देशों में खाद्यान्न के भंड़ार होने के बावजूद यूक्रेन का अनाज बाज़ार में उतारकर यूरोपिय नेता स्थानीय किसानों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, ऐसा आरोप इन देशों के किसानों ने लगाया था। किसानों का प्रदर्शन तीव्र होने के बाद इन देशों ने यूरोपिय महासंघ को खत लिखकर यूक्रेन से अनाज का आयात बंद करने की बिनती की थी।

खाद्यान्नलेकिन, महासंघ ने यह बिनती नज़रअंदाज करने से यूरोपिय देश आक्रामक हुए हैं। पिछले चार दिनों में तीन यूरोपिय देशों ने यूक्रेन से आयात किए जाने वाले खाद्यान्न पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। इनमें पोलैण्ड, हंगरी और स्लोवाकिया का समावेश है। पोलैण्ड और स्लोवाकिया यूक्रेन का समर्थन करने वाले गुट के प्रमुख देश माने जाते हैं। इसके बावजूद उन्होंने यूक्रेन के अनाज पर रोक लगाकर समझौता करने से इन्कार किया है।

इन तीन देशों के बाद बल्गेरिया ने भी यूक्रेनी अनाज पर रोक लगाने के संकेत दिए हैं। यूरोपिय महासंघ ने ऐसे में अपने सदस्य देशों के निर्णय की आलोचना की है। सदस्य देश इस तरह के निर्णय लेकर अनाज़ की यातायात रोक नहीं सकते, ऐसा महासंघ के अधिकारियों ने कहा है। यूक्रेन की सरकार ने भी पोलैण्ड के इस निर्णय की आलोचना की है और उन्हें समझौते की याद दिलाई है।

यूक्रेन को सहायता करने की वजह से यूरोपिय अर्थव्यवस्था कमज़ोर हुई है और इसके प्रभाव आम जनता को भुगतना पड़ रहे हैं। इसकी वजह से अब इन देशों में ऐसी गूंज सुनाई देने की बात लगातार हो रही इन गतिविधियों से सामने आ रही है। पिछले महीने कुछ यूरोपिय देशों में यूक्रेन युद्ध का विरोध करने वाले गुटों ने प्रदर्शन भी किए थे।

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