युद्ध खत्म करने के लिए यूरोप और यूक्रेन को रशिया से बातचीत करनी होगी – फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन

यूरोप और यूक्रेनकिव/पैरिस – युद्ध खत्म करने के लिए यूरोप और यूक्रेन को करीबी दिनों में रशिया से बातचीत करनी ही होगी, ऐसी सलाह फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन ने दी। यूक्रेन को रशिया विरोधि युद्ध में भले ही सफलता प्राप्त नहीं हुई हो फिर भी किसी एक चरण में यह संघर्ष बंद होगा और तब चर्चा करनी ही पडेगी, यह भी राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने कहा। फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष फिलहाल पूर्व यूरोप के दौरे पर हैं और इसके बाद गुरुवार को वे यूक्रेन जाएँगे। इस यात्रा के दौरान मैक्रॉन के साथ जर्मनी के चान्सलर एवं इटली के प्रधानमंत्री भी होंगे। पिछले कुछ दिनों से पश्चिमी देश शांति समझौते के लिए यूक्रेन पर दबाव बना रहे हैं, ऐसी खबरें प्रसिद्ध हो रही हैं। इस पृष्ठभूमि पर मैक्रॉन का बयान और प्रमुख यूरोपियन नेताओं का यूक्रेन दौरा ध्यान आकर्षित कर रहा है।

यूरोप और यूक्रेनरशिया ने डोन्बास क्षेत्र के लिए शुरू की हुई मुहिम युद्ध और यूक्रेन का भविष्य तय करनेवाली होगी, ऐसा कहा जा रहा है। पिछले महीने से रशिया ने इस मोर्चे पर जोरदार सफलता हासिल की है और अहम शहर एवं ठिकानों पर कब्ज़ा करने की कामयाबी भी प्राप्त की है। डोन्बास के लिए निर्णायक संघर्ष जारी है और इसी बीच रशिया ने उत्तर, मध्य एवं दक्षिण यूक्रेन में भी हमले तेज़ किए हैं। पश्चिमी देशों द्वारा प्रदान किए गए हथियार, उनके ठिकाने, तैनात की हुई यंत्रणा एवं विदेशी सैनिकों के आश्रय स्थानों को लगातार लक्ष्य किया जा रहा है। इस दौरान कुछ विदेशी सैनिकों के मारे जाने की एवं कई विदेशी सैनिकों को युद्धबंदी बनाकर हिरासत में रखने की बात स्पष्ट हुई है।

यूरोप और यूक्रेनइसी दौरान डोन्बास के हमलों के माध्यम से यूक्रेन की सेना को बड़े झटके देने में रशियन रक्षाबल सफल हो रहे हैं। बुधवार को रशियन रक्षाबल ने साझा की हुई जानकारी में यह कहा कि, २४ घंटों में यूक्रेन के ३०० सैनिक मारे गए हैं। यूक्रेन की सेना के कई ठिकानों पर हमलें करके इन्हें तबाह करने का दावा भी रशियन रक्षाबलों के प्रवक्ता ने किया। डोन्बास के झटके के अलावा उत्तरी ओर के खार्किव, मध्य यूक्रेन के लिव एवं दक्षिण यूक्रेन के मायकोलेव में भी मिसाइल एवं हवाई हमले करने की बात रशिया ने कही।

यूरोप और यूक्रेनरशिया को प्राप्त हो रही सामरिक सफलता की वजह से पश्चिमी देशों में बेचैनी है। आगे बढ़ रही रशिया को रोकने के लिए इन देशों ने दो स्तरों पर अपनी कोशिश शुरू की हुई दिख रही है। एक ओर अमरीका और नाटो यूक्रेन को प्रगत हथियार एवं यंत्रणा प्रदान करने का वादा कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर यूक्रेन को शांति समझौते के लिए तैयार करने के लिए दबाव बनाने की गतिविधियाँ शुरू हुई हैं। पिछले कुछ दिनों में अमरीका के साथ नाटो एवं यूरोपिय देशों के नेताओं के बयान इसकी पुष्टि कर रहे हैं। इसी बीच, यूक्रेन के उप-रक्षामंत्री ने यूक्रेन ने माँगे हथियारों में से सिर्फ १० प्रतिशत हथियारों की ही अब तक आपूर्ति करने का दावा किया।

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