युरोप को की जानेवाली ईंधनवायु की आपूर्ति रशिया द्वारा एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में मोडी जा सकती है – रशियन विश्लेषक का दावा

ईंधनवायु की आपूर्तिमॉस्को/बीजिंग – युक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर अमेरिका एवं युरोप द्वारा रशियन ईंधन पर रोक लगाने की कोशिशें जारी हैं। कुछ दिनों पूर्व युरोपिय महासंघ ने रशिया से होनेवाले कच्चे तेल का आयात रोकने का प्रस्ताव भी पेश किया था। अफ्रीका, खाडी देश एवं अमेरिका द्वारा की जानेवाली ईंधनवायु की आपूर्ति बढाकर आनेवाले दशक में रशियन ईंधनवायु के विकल्प के रूप में गतिविधियों को भी युरोप ने गति प्रदान की है। पर इन गतिविधियों की गति बढते ही रशिया ने भी अपने ईंधन के लिए पर्यायी बाजार ढूंढने की तैयारी शुरु करने के संकेत मिल रहे हैं। युरोपिय देशों को की जानेवाली ईंधनवायु की आपूर्ति को रशिया द्वारा एशियाई देशों की ओर मोडा जा सकता है, ऐसा दावा रशियन विश्लेषक ने किया है।

ईंधनवायु की आपूर्तिपिछले महीने १४ अप्रैल को रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन ने राष्ट्र के ऊर्जा विभाग की स्वतंत्र बैठक बुलाई थी। इस बैठक में राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने एशियाई देशों को ईंधन की आपूर्ति बढाने की कोशिश करनी चाहिए, ऐसा आवाहन किया था। ’भविष्य में रशिया द्वारा पश्चिमी देशों को की जानेवाली ईंधन की आपूर्ति को घटाने की संभावना है। इसलिए रशिया को अपने ईंधन आपूर्ति में बदलाव करने की जरुरत है। धीरे-धीरे अपने ईंधन के निर्यात की दिशा एशिया में रफ्तार से बढ रहे बाजार की दिशा में केंद्रित करनी चाहिए’, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने कहा था।

ईंधनवायु की आपूर्तिपुतिन की बात की पृष्ठभूमि पर रशियन कंपनियों द्वारा गतिविधियां शुरु होने की ओर विश्लेषक एवं विशेषज्ञों ने ध्यान आकर्षित किया है। ’विगॉन कन्सल्टिंग’ के आघाडी के विश्लेषक इवान टिमोनिन ने दावा किया है कि, रशिया युरोप की ईंधन आपूर्ति को पूरी तरह से एशिया-पैसिफिक क्षेत्र की ओर मोड सकती है। इसके लिए रशिया को बडे पैमाने पर मूलभूत सुविधाएं उभारने की एवं भीषण निवेश की जरुरत है, इस ओर ध्यान आकर्षित किया। एशियाई देशों में नैसर्गिक ईंधनवायु की मांग १६० अरब घनमीटर से बढी है और ईंधनवायु की कुल मांग इस क्षेत्र का भाग ५० प्रतिशत पर पहुंच है, इसका अहसास भी टिमोनिन ने कराया।

ईंधनवायु की आपूर्तिकेवल युरोप के विकल्प के रूप में नहीं बल्कि बढते हुए बाजार के कारण रशिया ने एशियाई देशों की ओर अधिक ध्यान देने की जरुरत की सलाह भी रशियन विश्लेषकों ने दी। निवेश एवं नए प्रकल्प के लिए रशिया को तुरंत निर्णय लेने चाहिएं, ऐसा आवाहन भी टिमोनिन ने किया। सन २०२१ में रशिया ने ७६२ अरब घनमीटर नैसर्गिक ईंधनवायु का उत्पादन किया था। इसमें से २५० अरब घनमीटर ईंधनवायु निर्यात किया था। इसमें से युरोपिय देशों को १५० अरब घनमीटर से अधिक निर्यात किया गया था। बचा हुआ निर्यात चीन, जापान, भारत एवं एशिया के अन्य देशों को किया गया था।

चीन रशियन ईंधनवायु का एशिया में सबसे बडा ग्राहक है। सन २०२१ में चीन ने रशिया से १६.५ अरब घनमीटर ईंधनवायु आया किया था। सन २०२२ के आरंभ में ही रशिया एवं चीन में ईंधनवायु की नई पाईपलाईन के लिए करार हुआ है और इसकी क्षमता ५० अरब घनमीटर होगी। इससे पहले उभारे हुए ’पावर ऑफ सायबेरिया १’ नामक पाईपलाईन की क्षमता ३८ अरब घनमीटर है। दो ईंधनवाहिनियां एवं जहाज़ों द्वारा होनेवाला ’एलएनजी’ के निर्यात के माध्यम से रशिया सन २०३० तक चीन को १०० अरब घनमीटर ईधनवायु का निर्यात कर सकती है।

पर अकेला चीन रशिया द्वारा युरोप को की जानेवाली ईंधन आपूर्ति का विकल्प नहीं दे सकता तो रशिया को भारत समेत अन्य देशों पर भी ध्यान केंद्रित करने की जरुरत है, ऐसा आवाहन विश्लेषक एवं विशेषज्ञों द्वारा किया जा रहा है।

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