अफ्रीकी महाद्वीप में समस्या बनी अनाज़ की कमी के कारण यूरोप में शरणार्थियों के नए झुंड़ पहुंचेंगे – इटली के उप-प्रधानमंत्री की चेतावनी

रोम – रशिया-यूक्रेन का संभावित ‘ग्रेन डील’ असफल हुआ तो अफ्रीकी महाद्वीपों के देशों में अनाज़ की कमी और भूखमरी का खतरनाक संकट टूटने का ड़र हैं। अफ्रीकी देशों में अनाज़ की कमी हुई तो इन देशों से शरणार्थियों के झुंड़ फिर से यूरोप की सीमा पर टकरा सकते हैं, ऐसी चेतावनी इटली के उप-प्रधानमंत्री एन्तोनिओ तजानी ने दी है। कुछ दिन पहले ही यूरोपिय महासंघ की ‘फ्रंटेक्स’ यंत्रणा ने भूमध्य समुद्री क्षेत्र से यूरोप में शरणार्थियों की हो रही घुसपैठ में कुल ३०० प्रतिशत से भी अधिक बढ़ोतरी होने पर ध्यान आकर्षित किया था। इस पृष्ठबूमि पर इटली के उप-प्रधानमंत्री की यह चेतावनी अहमियत रखती है। 

अनाज़ की कमीरशिया-यूक्रेन के ‘ग्रेन डील’ का अवधि १८ मई को खत्म हो रहा हैं। इस समझौते के माध्यम से यूक्रेन से समुद्री रास्ते अफ्रीका और एशियाई देशों को अनाज़ की निर्यात हो रही हैं। इस समझौते की समय सीमा बढ़ाने में असफलता हासिल हुई तो इन देशों से अनाज़ की आपूर्ति बंद होने की संभावना हैं। ऐसा हुआ तो अफ्रीकी देशों में अनाज़ की कमी और भूखमरी का संकट अधिक तीव्र हो सकता है। इससे अफ्रीकी देशों के लाखों नागरिकों को नुकसान पहुंचेगा, यह ड़र इटली के नेता ने व्यक्त किया।

ऐसा होने पर अफ्रीकी देशों से शरणार्थियों के बड़े झुंड़ फिर से यूरोपिय देशों में आ पहुंचेंगे, ऐसी चेतावनी उप-प्रधानमंत्री एन्तोनिओ तजानी ने दी है। अफ्रीकी देशों पर अनाज़ का संकट ना टूट गिरे इसलिए इटली समेत अन्य यूरोपिय देश कोशिश करने में जुटे होन का दावा भी तजानी ने किया। 

अनाज़ की कमीग्रीस, इटली और स्पेन जैसे देशों में अवैध शरणार्थियों के काफी झुंड़ फिर से पहुंचना शुरू हुआ हैं। वर्ष २०२२ में सिर्फ भूमध्य समुद्री मार्ग से लगभग १.६० लाख से भी अधिक शरणार्थी दक्षिण यूरोपिय देशों में पहुंचे थे। वर्ष २०२१ की तुलना में इन शरणार्थियों की संख्या में ३० प्रतिशत से भी अधिक बढ़ोतरी हुई थी। इस साल यही स्थिति कायम हैं और अवैध शरणार्थी भारी संख्या में दाखिल हो रहे हैं।

यूरोपिय महासंघ की प्रमुख यंत्रणा ‘फ्रंटेक्स’ ने हाल ही में इससे संबंधित जानकारी जारी की। भूमध्य समुद्री क्षेत्र के ‘सेंट्रल मेडिटेरिअन’ और ‘वेस्टर्न मेडिटेरिअन’ इन दो क्षेत्रों से शरणार्थियों की विक्रमी घुसपैठ शुरू हुई हैं। सिर्फ ‘सेंट्रल मेडिटेरिअन’ से जनवरी से अप्रैल के चार महीनों में ३० हज़ार से भी अधिक शरणार्थियों की घुसपैठ हुई हैं। इनमें अफ्रीकी देशों के साथ पाकिस्तान से पहुंचे शरणार्थियों का भी समावेश हैं। 

वर्ष २०२२ की तुलना में इनकी घुसपैठ कुल ३०५ प्रतिशत अधिक होने का बयान ‘फ्रंटेक्स’ ने किया है। इस क्षेत्र में हमने इतने विक्रमी स्तर पर शरणार्थियों की घुसपैठ होती कभी भी नहीं देखी थी, यह दावा ‘फ्रंटेक्स’ के प्रमुख हैन्स लेजटेन्स ने किया। सिर्फ ट्युनिशिया से यूरोप में घुसपैठ कर रहे शरणार्थियों की संख्या ११०० प्रतिशत अधिक होने पर लेजटेन्स ने ध्यान आकर्षित किया। मानवीय तस्करी कर रहे गिरोहों ने उनकी ‘मोडस ऑपरेंडी’ में बदलाव करने की चेतावनी भी फ्रंटेक्स के प्रमुख ने दी है।

इससे पहले पिछले दशक में जर्मन सरकार ने अपनाई ‘ओपन डोअर पॉलिसी’ के कारण यूरोप में घुसपैठ कर रहें शरणार्थियों की संख्या काफी बढ़ी थी। वर्ष २०१५ में भूमध्य समुद्र से यूरोप में घुसपैठ करके पहुंचे शरणार्थियों की संख्या बढ़कर १० लाख तक जा पहुंची थी। 

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