नॉर्ड स्ट्रीम ईंधन पाइपलाइन विस्फोट के लिए रशिया मुआवजे की मांग कर सकती है – विदेश विभाग के अधिकारी का दावा

मास्को – पिछले वर्ष ‘नॉर्ड स्ट्रीम’ ईंधन पाइपलाइन के हुए विस्फोट के लिए रशिया मुआवजे की मांग कर सकती हैं, ऐसा दावा विदेश विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने किया। साथ ही पश्चिमी देशों ने विरोध किया तो भी रशिया इस मामले में स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार उठाएगी, यह चेतावनी भी दिमित्री बिरिशेवस्की ने दी है। अमरीका के शीर्ष पत्रकार सेमूर हर्श ने हाल ही के दिनों में ऐसा सनसनीखेज दावा किया था कि, जर्मनी को झटका देने के लिए बायडेन प्रशासन ने नॉर्ड स्ट्रीम ईंधन पाइपलाइन ध्वस्त करने के आदेश दिए थे।

नॉर्ड स्ट्रीम ईंधन पाइपलाइन‘नॉर्ड स्ट्रीम’ रशिया से यूरोप को ईंधन वायु की आपूर्ति करने वाले प्रमुख ईंधन पाइपलाइन है। पिछले वर्ष रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर इस ईंधन पाइपलाइन से हो रही सप्लाई बंद की गई थी। यूरोपिय देशों ने प्रतिबंध हटाए तो ही इससे ईंधन आपूर्ति शुरू होगी, ऐसी आक्रामक भूमिका रशिया ने अपनाई थी। इसी बीच ‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ का निर्माण कार्य पूरा हुआ है फिर भी जर्मनी की नई सरकार ने अनुमति देने से इन्कार करने के कारण इससे सप्लाई शुरू हुई हुई थी।

नॉर्ड स्ट्रीम ईंधन पाइपलाइनईंधन सप्लाई बंद होने के बावजूद सितंबर २०२२ में रशिया-यूरोपिय देशों के बीच स्थापित ‘नॉर्ड स्ट्रीम’ पाइपलाइन से रहस्यमय तरीके से ईंधन का रिसाव होने की घटना सामने आयी थी। इस मामले में नाटो और यूरोपिय महासंघ ने रशिया पर आरोप लगाया था और रशिया ने इसके पीछे अमरीका ही है, यह आरोप लगाया था। यूरोप ने इस मामले की गहरी जांच करना तय किया तो इसमें अमरीका को भी बतौर संदिग्ध शामिल करे, ऐसी मांग रशिया ने की थी। लेकिन, यूरोपिय देशों ने इसपर इन्कार करने से यहां के विस्फोट की गूढ़ता और बढ़ी थी।

इस पृष्ठभूमि पर पिछले महीने पुलित्झर पुरस्कार विजेता अमरिकी पत्रकार सेमूर हर्श ने अपनी वेबसाइट पर एक लेख जारी किया था। ‘हाऊ अमरीका टूक आऊट द नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन’ इस शीर्षक के लेख में उन्होंने अमरिकी यंत्रणा ने नॉर्वे के साथ अन्य नाटो देशों की सहायता से ‘नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन’ को उड़ाने की पोलखोल की थी। बायडेन प्रशासन ने यह दावे ठुकराकर हर्श का लेख यानी महज़ एक ‘फिक्शन’ है, यह कहा था। ऐसे में हर्श के लेख को आधार बनाकर इसपर सुरक्षा परिषद में चर्चा करने की मांग रशिया ने की थी। हर्श के लेख की वजह से ‘नॉर्ड स्ट्रीम’ फिर से चर्चा का मुद्दा बना है और रशिया एवं पश्चिमी देशों के बीच लगातार एक दूसरे पर आरोप लगाए जा रहे हैं। 

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