दुनियाभर के हज़ारों सर्वर्स पर ‘रैंसमवेयर’ का हमला – इटली की ‘नैशनल सायबर सिक्युरिटी’ का दावा

रोम – उत्तर अमरीका, यूरोप समेत कुछ अन्य देशों में स्थित हज़ारों सर्वर्स पर रैंसमेवेयर का हमला हुआ है। इससे इन सर्वर्स के एण्टी वायरस सॉफ्टवेयर की मर्यादा स्पष्ट हुई, ऐसा बयान इटली की ‘नैशनल सायबर सुरक्षा संस्था’ (एसीएन) ने कहा है। इसके साथ ही पश्चिमी देश कितने भी दावे करें तब भी अपने सर्वर्स सुरक्षित नहीं हैं, यह इन रैंसमवेयर के हमलों से स्पष्ट हुआ है, ऐसी फटकार ‘एनसीएन’ ने लगाई। इसी बीच इस वर्ष विश्व को अब तक के सबसे बड़े सायबर कैटास्ट्रोफी यानी सायबर संकट का मुकाबला करना पडेगा, ऐसा इशारा हाल ही में सायबर विशेषज्ञों ने दिया था।

पूरे विश्व की नज़रे रशिया-यूक्रेन युद्ध पर लगी हैं। ऐसे में पूरे विश्व के विकसित देशों में सर्वर्स पर यह सायबर हमला हुआ है। अमरीका, कनाड़ा, फ्रान्स, इटली, फिनलैण्ड और अन्य कुछ देश इन सायबर हमलों का लक्ष्य थे, यह जानकारी इटली की ‘एसीएन’ ने साझा की है। इस सायबर रैंसमवेयर हमले में संबंधित देशों के उद्योगक्षेत्र की कंपनियों के सर्वर्स को लक्ष्य किया गया है। लेकिन, सरकारी और प्रशासकीय सर्वर्स को इन हमलों से बक्शा गया, ऐसा इटली की प्रमुख वृत्तसंस्था ने कहा है।

इनमें से सबसे पहले सायबर हमला फ्रान्स में दर्ज़ हुआ। ‘एएनएसएसआई’ नामक फ्रेंच सायबर सुरक्षा संस्था ने भी रैंसमवेयर हमलों से अन्य देशों को चौकन्ना किया। इन हमलों से इटली की २० से अधिक कंपनियों के सर्वर्स बाधित हुए हैं। इसकी वजह से इन कंपनियों के रोज़मर्रा के कारोबर पर असर पडेने का दावा किया जा रहा है।

अमरीका के सायबर सुरक्षा अधिकारियों ने अब इन रैंसमवेयर हमलों की वजह से हुए नुकसान का अनुमान लगाना शुरू किया है। सरकारी और निजी क्षेत्र की सायबर सुरक्षा कंपनियां इन सायबर हमलों के कारण अन्य स्रोत तलाश रहे हैं, ऐसा अमरिकी सायबर सुरक्षा अधिकारियों ने कहा।

इन रैंसमवेयर हमलों के पीछ कोई भी देश ना होने का बयान इटली की ‘एसीएन’ ने किया है। लेकिन, आनेवाले समय में ऐसे सायबर हमले अधिक तीव्र होंगे, ऐसी चेतावनी इटली एवं फ्रेंच यंत्रणा दे रही है। साल २०२३ के सायबर हमले अधिक खतरनाक होंगे, ऐसी चेतावनी वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम की बैठक के दौरान सायबर विशेषज्ञों ने दी थी। पिछले कुछ महीनों से पूरे विश्व में चर्चा का मुद्दा बने और आर्टिफिशल इंटेलिजन्स पर आधारित चैटबॉट का इस्तेमाल करके अब तक का सबसे बड़ा सायबर हमला किया जा सकता है, ऐसी चेतावनी विशेषज्ञ दे रहे हैं।

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