बिखरे हुए विश्‍व की चुनौतियों का सामना करने के लिए ‘क्वाड’ का सहयोग – विदेशमंत्री एस.जयशंकर

म्युनिक – ‘भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमरीका के ‘क्वाड’ संगठन का ज़िक्र कुछ लोग एशिया के नाटो के तौर पर करते हैं| लेकिन, यह फिजूल प्रचार है और इसमें ना फंसे| ‘क्वाड’ एशियाई नाटो नहीं है| लेकिन, बिखरे हुए विश्‍व की चुनौतियों का सामना करने के लिए गठित किया गया संगठन है| मौजूदा वैश्‍विक चुनौतियों का अकेले अपने बलबूते पर सामना करने की क्षमता विश्‍व के किसी भी देश में नहीं है| अमरीका में भी यह क्षमता नहीं है’, ऐसा भारतीय विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने कहा है|

चुनौतियों का सामनाजर्मनी में हो रही ‘म्युनिक सिक्युरिटी कान्फरन्स-२०२२’ (एमएससी) में विदेशमंत्री जयशंकर शामिल हुए हैं| इस परिषद में ‘अ सी चेंज रीजनल ऑर्डर ऐण्ड सिक्युरिटी इन इंडो-पैसिफिक’ विषय पर बोलते हुए उन्होंने ‘क्वाड’ संगठन को एशियाई नाटो कहने वाले चीन को अप्रत्यक्ष रूप से फटकार लगाई| चीन ने पहले कई बार ‘क्वाड’ देशों के सहयोग की आलोचना करते हुए इसे ‘एशियाई नाटो’ कहकर आलोचना की थी| मिले हुए कुछ देश इसी तरीके से क्वाड के सहयोग को देख रहे हैं| लेकिन, ‘म्युनिक सिक्युरिटी कान्फरन्स’ में क्वाड का सहयोग व्यापक और संयुक्त हित ध्यान में रखते हुए किया गया है, यह बात जयशंकर ने स्पष्ट की|

क्वाड के चारों देशों का हित और मूल्य एक समान हैं| यह सहयोग एक-दूसरे के लिए सहायक है| चारों देश इंडो-पैसिफिक में चार अलग-अलग कोनों में बसे हैं’, यह बात विदेशमंत्री जयशंकर ने रेखांकित की| ‘२१वीं सदी के बिखरे हुए विश्‍व के देशों की चुनौतियों का सामना अकेले करने की क्षमता अब विश्‍व के किसी भी देश में नहीं है| इन चुनौतियों को जवाब देने के लिए ‘क्वाड’ ही २१वीं सदी का एक रास्ता है’, ऐसा विदेशमंत्री जयशंकर ने इस दौरान जोर देकर कहा|

तो, ‘क्वाड’ को एशियाई नाटो कहना गुमराह करने वाली बात है और कुछ लोग इसे ही आगे बढ़ा रहे हैं| लेकिन, इस दुष्प्रचार में ना फंसे, यह आवाहन विदेशमंत्री जयशंकर ने किया| भारत-अमरीका-जापान-ऑस्ट्रेलिया क्वाड के तीन देश पहले ही समझौते के ज़रिये एक-दूसरे के सहयोगी बने हैं| भारत ऐसे समझौते के माध्यम से सहयोगी बना हुआ देश नहीं है, इस पर विदेशमंत्री जयशंकर ने ध्यान आकर्षित किया| इसके अलावा अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत का सहयोग पिछले २० वर्षों से विकसित हो है| लेकिन, क्वाड के स्वतंत्रता की अलग अहमियत है, ऐसा उन्होंने कहा|

लद्दाख के ‘एलएसी’ पर चीन के साथ जारी तनाव का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि, क्वाड के सहयोग की शुरूआत सन २०१७ में हुई, यह २०२० के बाद शुरू हुआ सहयोग नहीं है| कुछ लोग क्वाड देशों के सहयोग को लद्दाख के तनाव से जोड़ रहे हैं, इस पर विदेशमंत्री जयशंकर ने अप्रत्यक्ष जवाब दिया|

साथ ही ‘म्युनिक सिक्युरिटी कान्फरन्स’ में विदेशमंत्री जयशंकर ने यह बात फिर से ड़टकर कही है कि, लद्दाख के तनाव के लिए चीन ही ज़िम्मेदार है| दोनों देशों की सीमा पर पिछले ४५ सालों से शांति बनी रही| सन १९७५ के बाद भारत-चीन सीमा पर संघर्ष होने से किसी की मौत नहीं हुई थी| क्योंकि, एलएसी के करीब बड़ी मात्रा में सैन्य तैनाती नहीं होगी, यह समझौता भारत और चीन के बीच हुआ था| लेकिन, चीन ने इसका उल्लंघन किया| मौजूदा समय की तरह चीन और भारत के संबंध कभी नहीं बिगडे थे जितनी खराब और कठिन स्थिति में आज हैं, यह बात जयशंकर ने फिर से स्पष्ट की|

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