चीन ने समझौतों का उल्लंघन करने की वजह से ही ‘एलएसी’ पर तनाव – विदेशमंत्री एस.जयशंकर की आलोचना

कैनबेरा – भारत और चीन के ‘एलएसी’ पर बने तनाव के लिए चीन ने लिखित समझौतों का किया उल्लंघन ज़िम्मेदार है, ऐसी आलोचना भारत के विदेशमंत्री एस.जयशंतर ने की। जब कोई बड़ा देश लिखित वचनों का पालन नहीं करता, तब अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी यह चिंता की बात बनती हैं, ऐसा कहकर एस.जयशंकर ने चीन को लक्ष्य किया। भारतीय विदेशमंत्री की इस भूमिका का ऑस्ट्रेलिया ने भी समर्थन किया है।

‘एलएसी’ पर तनावशुक्रवार को भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन ‘क्वाड’ देशों के विदेशमंत्रियों की बैठक ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में हुई। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के विदेशमंत्री के साथ हुई द्विपक्षीय बैठक मे भी चीन के वर्चस्ववाद का मुद्दा सबसे उपर था। एस.जयशंकर के बयान से इसकी झलक दिखती हैं। शनिवार को एस.जयशंकर और ऑस्ट्रेलिया के विदेशमंत्री मारिस पेन की बैठक हुई। इसके बाद हुई वार्तापरिषद मे भारत के विदेशमंत्री को चीन पर सवाल किया गया।

‘क्वाड’ की बैठक में भारत-चीन संबंधों के मुद्दे पर चर्चा हुई। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का हिस्सा होनेवाले देशों को चीन की गतिविधियों को लेकर सतर्क रहना ज़रूरी होने से, इस विषय पर बातचीत हुई। सरहदी क्षेत्र में सैन्य का जमावड़ा ना करने के मुद्दे पर भारत और चीन ने लिखित समझौता किया था। वर्ष २०२० में चीन ने इस समझौते का उल्लंघन किया और इसी कारण एलएसी पर तनाव निर्माण हुआ। जब कोई बड़ा देश लिखित वचनों को अनदेखा करता है, तब वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी चिंता का और ध्यान आकर्षित करनेवाला मुद्दा बनता है’, इन शब्दों में विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने चीन की आलोचना की।

इस दौरान भारत के विदेशमंत्री ने चीन द्वारा ‘क्वाड’ पर हो रही आलोचना पर भी फटकार लगाई। ‘चीन पिछले कई दिनों से ‘क्वाड’ के विरोध में नाराज़गी की भूमिका अपनाता दिख रहा हैं। ‘क्वाड’ किसी के भी खिलाफ नहीं हैं। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के सभी देशों को किसी भी खतरे के विरोध में सार्वभूम एवं सुरक्षित रहना संभव हो, इसके लिए विश्‍वास बढ़ाने का काम क्वाड के माध्यम से किया जा रहा हैं। चीन की आलोचना से ‘क्वाड’ की अहमियत कम नहीं होती’, ऐसी फटकार एस.जयशंकर ने लगाई।

इसी बीच, भारत और ऑस्ट्रेलिया के विदेशमंत्री की हुई बैठक में द्विपक्षीय सायबर सहयोग पर चर्चा हुई। साथ ही शिक्षा एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में दोनों देशों के संबंध बढ़ाने के लिए ऑस्ट्रेलिया ने कुछ नए उपक्रमों का ऐलान किया है।

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