‘एलएसी’ पर जारी तनाव भारत-चीन संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव ड़ाल रहा है – विदेशमंत्री जयशंकर की चीन को समझ

नई दिल्ली/बीजिंग – चीन को समझ‘एलएसी’ पर एकतरफा बदलाव करने की कोशिश बर्दाश्‍त नहीं की जाएगी। ‘एलएसी’ पर लंबे समय से जारी विवाद का प्रतिकूल असर भारत और चीन के द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ रहा हैं, इस बात का अहसास भारतीय विदेशमंत्री एस.जयशंकरन ने चीन के विदेशमंत्री को कराया। ‘एससीओ’ की बैठक के दौरान चीन के विदेशमंत्री वैंग ई के साथ हुई बातचीत के दौरान विदेशमंत्री जयशंकर ने चीन को यह समझ दी है। इस पर बोलते सयम चीन के विदेशमंत्री ने ‘एलएसी’ का तनाव कम करने के लिए ‘अर्जंट ट्रीटमेंट’ यानी तुरंत उपाय करने प्रावधान करने की आवश्‍यकता होने की बात स्वीकारी और सूझबूझ से इस समस्या का हल निकालने के लिए हमारा देश तैयार होने का बयान किया है।

ताज़िकिस्तान के दुशांबे में ‘एससीओ’ के विदेशमंत्रियों की बैठक हुई। इस दौरान विदेशमंत्री एस.जयशंकर और चीन के विदेशमंत्री वैंग ई की चर्चा हुई। ‘एलएसी’ पर तनाव बरकरार रखकर भारत और चीन के संबंधों में सुधार नहीं हो सकेगा, ऐसा इशारा भारतीय विदेशमंत्री ने फिर से दिया। ‘एलएसी’ के तनाव का असर भारत-चीन संबंधों पर होने की बात स्पष्ट तौर पर दिखाई देने लगी है, इस ओर ध्यान आकर्षित करके जयशंकर ने चीन को सच्चाई का अहसास कराया। सीमा विवाद के जारी रहते हुए भी भारत और चीन एक-दूसरे के साथ सहयोग कर सकते हैं, ऐसा कहकर चीन लद्दाख के ‘एलएसी’ पर लष्करी गतिविधियों की तीव्रता कम करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन, भारत चीन को ऐसा अवसर देने के लिए तैयार नहीं है, यह बात विदेशमंत्री जयशंकर ने चीन के विदेशमंत्री से हुई बातचीत के दौरान फिर से स्पष्ट की।

लद्दाख के ‘एलएसी’ पर स्थित पैन्गौंग त्सो क्षेत्र से चीन ने अपने सैनिक पीछे हटाए हैं। लेकिन, अभी भी पूर्व लद्दाख के हॉट स्प्रिंग, गोग्रा और डेप्सांग से चीन की सेना ने अभी पूरी तरह से वापसी नहीं की है। यहां से वापसी किए बगैर ‘एलएसी’ पर तनाव खत्म होकर वहां पर शांति और सलोखा स्थापित नहीं होगा। दोनों देशों के संबंध सामान्य करने के लिए यह पहली शर्त है और यही बात भारत लगातार चीन से कह रहा है। लेकिन, चीन ने इसे अपनी प्रतिष्ठा का मुद्दा बनाया हुआ दिख रहा है। इस मामले का हल बातचीत से निकालने की तैयारी चीन के विदेशमंत्री वैंग ई ने दिखाई है। साथ ही भारत और चीन एक-दूसरे के बैरी नहीं हैं बल्कि भागीदार होने का संदेश वैंग ई ने दिया। ‘एलएसी’ पर विवाद का हल निकालने के लिए दोनों देशों को सौहार्दपूर्ण समझौता करने के लिए हमारा देश तैयार होने की बात वैंगई ने इस दौरान स्पष्ट की।

चीन के विदेश मंत्रालय ने ‘एलएसी’ पर बने तनाव के लिए चीन ज़िम्मेदार नहीं है और भारत की आक्रामकता की वजह से ही यह तनाव निर्माण होने के संकेत दिए हैं। विदेशमंत्री वैंग ई भारत के साथ सलोखा स्थापित करने के एवं सहयोग के दावे कर रहे हैं फिर भी चीन ‘एलएसी’ का तनाव कम करने के लिए तैयार ना होने की बात दिख रही है।

लद्दाख के ‘एलएसी’ पर चीन के मुँहतोड़ सेना की तैनाती करके भारत ने चीन का दबाव ठुकराया था। बीते वर्ष गलवान घाटी में हुए संघर्ष में भारतीय सेना को जीत हासिल हुई थी, यह बात पूरे विश्‍व ने स्वीकारी है। इसके साथ ही ‘एलएसी’ के अन्य हिस्सों में घुसपैठ करके भारत पर दबाव बढ़ाने का अवसर चीन को भारतीय रक्षाबलों ने प्राप्त करने नहीं दिया है। ताकतवर देश के तौर पर विश्‍व में अपनी छवि खड़ी करने की कोशिश करने में जुटे चीन को यह काफी बड़ा झटका लगा है। चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग भी इससे बेचैन हुए हैं और उन्होंने ‘एलएसी’ की गतिविधियों को बड़ी गंभीरता से लिया है।

इसी बीच राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने कुछ दिन पहले ही ‘एलएसी’ की ज़िम्मेदारी अपने करीबी लष्करी अफसर को देने का निर्णय किया था। भारत पर दबाव बढाने में चीनी अफसरों को कामयाबी प्राप्त ना होने से राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग बेचैन हुए हैं और इस वजह से वे ऐसे बदलाव कर रहे हैं, यह बात भी इससे स्पष्ट हुई थी।

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