सौदी के क्राऊन प्रिन्स मोहम्मद यूरोपिय देशों के दौरे पर दाखिल

अथेन्स – सौदी अरब के क्राऊन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान यूरोपिय देशों के दौरे पर हैं और उन्होंने ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोताकिस से मुलाकात की। इसके बाद प्रिन्स मोहम्मद फ्रान्स का दौरा करेंगे। साल 2018 में पत्रकार खशोगी की हत्या के मामले के बाद सौदी के क्राऊन प्रिन्स पहली बार यूरोप के दौरे पर हैं, इस ओर अंतर्राष्ट्रीय माध्यम ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। इसी बीच यूक्रेन युद्ध की वजह से यूरोपिय देशों को ईंधन की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है और ऐसे में ईंधन से समृद्ध सौदी के क्राऊन प्रिन्स का यह यूरोप दौरा ध्यान आकर्षित करता है।

क्राऊन प्रिन्स मोहम्मदप्रिन्स मोहम्मद मंगलवार को सरकारी अधिकारी और व्यापारियों का बड़ा शिष्टमंड़ल लेकर ग्रीस की राजधानी अथेन्स पहुंचे। इसके बाद सौदी के क्राऊन प्रिन्स और ग्रीस के प्रधानमंत्री में विशेष बैठक हुई। इस दौरान दोनों दशों के बीच ऊर्जा, व्यापारी निवेश, समुद्री व्यापार एवं रक्षा सहयोग से संबंधित समझौते हुए। इनमें से ऊर्जा से जुड़े सहयोग की वजह से ग्रीस को काफी सस्ते दाम में ईंधन की सप्लाई करना मुमकिन होगा, ऐसे संकेत प्रिन्स मोहम्मद ने यूरोप दौरे से पहले ही दिए थे।

साल 2018 में तुर्की में सौदी के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या की गई थी। तुर्की ने इस हत्या के लिए सौदी के क्राऊन प्रिन्स मोहम्मद को ज़िम्मेदार ठहराया था। प्रिन्स मोहम्मद के आदेश से ही पत्रकार खशोगी की हत्या हुई यह आरोप तुर्की ने लगाया था। इसके बाद अमरीका समेत यूरोपिय देशों ने सौदी से सहयोग से कदम पीछे लिए थे। सौदी ने मानव अधिकार के नियमों का उल्लंघन किया, यह आरोप यूरोपिय देशों ने लगाय था।

खशोगी हत्या मामले में अमरीका और यूरोपिय देशों ने सौदी की आलोचना करने के बाद प्रिन्स मोहम्मद पश्चिमी देशों का दौरा करने से दूर रहे थे, इसकी याद यूरोपिय विश्लेषकों ने करायी। लेकिन, ग्रीस जैसे कुछ यूरोपिय देशों ने सौदी के साथ सहयोग जारी रखने की नीति अपनाई थी।

साल 2020 में ग्रीस के प्रधानमंत्री ने सौदी का दौरा करके प्रिन्स मोहम्मद से मुलाकात की थी। द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के साथ ही सौदी से निवेश पाने की ग्रीस के प्रधानमंत्री ने कोशिश की थी। ऐसी स्थिति में सौदी के प्रिन्स मोहम्मद का ग्रीस दौरा अहमियत रखता है। इसके बाद सौदी के क्राऊन प्रिन्स फ्रान्स जाएंगे और राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन से मुलाकात करेंगे।

पिछले दस दिनों में फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष और अरब देशों के नेतृत्व में यह दूसरी भेंट होगी। पिछले हफ्ते यूएई के राष्ट्रप्रमुख शेख मोहम्मद बिन ज़ाएद अल-नह्यान ने फ्रान्स का दौरा करके राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन के साथ ईंधन संबंधी सहयोग पर बातचीत की थी। इस दौरान दोनों देशों ने ईंधन संबंधित सहयोग के लिए समझौते भी किए थे।

इसी बीच, पिछले चार महीनों से रशिया-यूक्रेन के युद्ध की वजह से यूरोपिय देशों के सामने ईंधन की किल्लत का संकट अधिकाधिक तीव्र होता जा रहा है। रशिया ईंधन की सप्लाई कम कर रही है और ऐसे में यूरोपिय देश ईंधन से समृद्ध खाड़ी देशों की ओर बड़ी उम्मीद से देख रहे हैं। दो महीने पहले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने सौदी और यूएई का दौरा किया था।

यूरोपिय देशों की ईंधन के लिए रशिया पर निर्भरता काफी बड़ी समस्या बनी है। रशिया यूरोप के विरोध में ईंधन का हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है, ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में यूरोपिय देश अब रशियन ईंधन का विकल्प तलाश रहे हैं और इसके लिए खाड़ी देशों से सहयोग स्थापित कर रहे हैं। रशिय को झटका देने के लिए अमरीका भी यूरोप और खाड़ी देशों के इस सहयोग को प्रोत्साहन दे रही है। इसी लिए अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने हाल ही में खाड़ी देशों का दौरा किया था।

यूरोपिय देशों को सौदी एवं खाड़ी के अन्य देश ईंधन सप्लाई करें, राष्ट्राध्यक्ष बायडेन के इस निवेदन पर प्रतिसाद प्राप्त होने के संकेत प्रिन्स मोहम्मद की यूरोप यात्रा से मिल रहे हैं। इसी दौरान रशिया ने भी ईरान के साथ ईंधन संबंधी सहयोग बढ़ाकर खाड़ी देशों के परंपरागत ईंधन के ग्राहक चीन और भारत को ईंधन की बड़े जोरों से बिक्री शुरू की हुई दिख रही है। इस वजह से ऊपरोक्त ईंधन संबंधित सहयोग के नाम से हो रहा यह कारोबार वास्तव में भू-राजनीतिक सत्ता संघर्ष का हिस्सा होने की बात स्पष्ट हो रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.