आतंकवाद के ख़िलाफ़ जागतिक सहकार्य ज़रूरी

रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन का प्रतिपादन

putin interview

‘सोव्हिएत रशिया का विघटन होकर अब दो दशको से भी अधिक समय बीत चुका है । मग़र फिर भी पश्चिमी देश रशिया को दुश्मन की नज़र से ही देख रहे हैं । सोव्हिएत रशिया के विघटन के बाद जागतिक सत्ता का दूसरा केंद्र नहीं बचा । इस कारण दुनिया की सारी सत्ता एवं समृद्धि अपने ही हाथ में हों,  ऐसी महत्त्वाकांक्षा रूढ़ हो गयी । इसी कारण, यदि अपने हितसंबंधों के आड़े संयुक्त राष्ट्रसंघ के नियम भी आयें, तो उन्हें पैरोंतले कुचल देने की भी कुछ लोगों की मज़ाल गयी । लेकिन भविष्य में आतंकवाद जैसी जागतिक समस्याओं को सुलझाने के लिए सहकार्य करना हर एक देश के लिए आवश्यक है । किसी एक देश के हितसंबंधों की हिफ़ाज़त करने की अपेक्षा ऐसा करना महत्त्वपूर्ण साबित होगा’ इन कड़े शब्दों में रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन ने अमरीका पर निशाना साधा है।

‘बिल्ड’ नामक एक जर्मन अख़बार को दिये गए इन्टरव्ह्यू में राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने, युरोपीय देशों के तथा रशिया के हितसंबंध और अमरीका की एकाधिकारशाही इसपर मार्मिक टिप्पणी की । पूर्वी एवं पश्चिमी जर्मनी को अलग करनेवाली दीवार गिरा देने पर युरोप और सोव्हिएत रशिया के बीच के मतभेद कम होंगे, ऐसी उम्मीद थी । मगर उलटे इस दीवार के गिर जानेपर सोव्हिएत रशिया के साथ मतभेद और भी बढ़ गए और पश्चिमी देश रशिया को दुश्मन की नज़र से ही देखने लगे। आज भी पश्चिमी देशों की रशिया बाबत की भूमिका में परिवर्तन नहीं हुआ है, ऐसी आलोचना पुतिन ने की।

यदि पश्चिमी देशों की भूमिका का समर्थन न कर स्वतंत्र भूमिका अपनायी, तो पश्चिमी देश रशिया को दुश्मन के रूप में देखने लगते हैं । इस कारण पश्चिमी देश और रशिया के बीच के मतभेद बढ़ चुके हैं और इसका असर भविष्यकालीन संबंधों पर पड़ सकता है, ऐसी चेतावनी रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने दी । रशिया ने यदि शुरू से ही स्वहित की भूमिका अपनायी होती, तो शायद अब तक जागतिक सन्तुलन को क़ायम रखना मुमक़िन हुआ होता, ऐसा भी पुतिन ने कहा । लेकिन रशिया ने यह भूमिका नहीं अपनायी और यही पर ग़लती हो गयी, ऐसा दावा पुतिन ने किया ।

सोव्हिएत रशिया के विघटन के बाद जागतिक सत्ता का एकमात्र केंद्र शेष बचा । अतः कई आन्तर्राष्ट्रीय मुद्दों पर एकतरफ़ा निर्णय लिये गए और अन्य देशों ने उनका स्वीकार भी किया । लेकिन रशिया इन एकतरफ़ा निर्णयों का कभी भी स्वीकार नहीं करेगा, ऐसा पुतिन ने साफ़ साफ़ शब्दों में कहा । रशिया की यह भूमिका जिन्हें मंज़ूर नहीं है, वे रशिया को अपना दुश्मन मानते हैं, ऐसी तक़रार इस समय पुतिन ने की ।

आतंकवाद से लेकर मानवीय तस्करी (ह्यूमन ट्रॅफिकिंग) और निर्वासितों के मुद्दे तक कई प्रश्न फ़िलहाल जागतिक सुरक्षा के लिए चुनौती साबित हो रहे हैं । इन जागतिक समस्याओं का हल ढूँढ़ने के लिए एकतरफ़ा निर्णय लेकर ये समस्याएँ नहीं सुलझेंगी । इनमें से आतंकवाद यह फ़िलहाल सभी देशों की चिन्ता का विषय साबित हो रहा है, ऐसा रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने ज़ोर देकर कहा । इसलिए सभी देशों को चाहिए कि वे आतंकवाद के विरोध में एकदूसरे से सहकार्य करें, ऐसा आवाहन पुतिन ने किया । आतंकवाद की समस्या का हल ढूँढ़ने के लिए आन्तर्राष्ट्रीय समुदाय में एकता का होना आवश्यक है, ऐसा प्रतिपादन करते हुए पुतिन ने उसके लिए सभी देशों से आवाहन किया है ।

आतंकवाद के ख़िलाफ़ आवाहन करते समय, पुतिन ने पश्चिमी देशों पर भी निशाना साधा । सिरिया में रशिया ने किये हवाई हमलों पर ऊँगली उठानेवाले इस बात पर ग़ौर नहीं करते कि पश्चिमी देशों द्वारा इराक और लिबिया में की गयी कार्रवाई के कारण ही आतंकवाद को बढ़ावा मिल गया, ऐसा ताना पुतिन ने मारा । कुछ साल पहले पश्चिमी देशों ने इराक और लिबिया में की हुई लष्करी कार्रवाई के बाद ही आतंकवाद भड़क उठा है, ऐसा रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने कहा । पुतिन ने हालाँकि इस समय अमरीका का ठेंठ ज़िक्र नहीं किया, मग़र फिर भी अमरीका की एकाधिकारशाही का स्पष्ट रूप से उल्लेख कर पुतिन ने अपनी भूमिका प्रस्तुत की हुई दिखायी देती है ।

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