निर्वासितों बाबत के क़ानून में सुधार करेंगी अँजेला मर्केल

जर्मनीस्थित कोलोन की महिलाओं पर के अत्याचार की घटनाओं के बाद मर्केल पर बढ़ा दबाव

merkel

जर्मनी की चॅन्सेलर अँजेला मर्केल ने गुनाहगार निर्वासितों को उनकी मातृभूमि वापस भेज सकने के लिए क़ानून में सुधार करने के संकेत दिये हैं। जर्मनी के कोलोन शहर में, जब नये वर्ष का स्वागत किया जा रहा था, तब तक़रीबन ९० जर्मन महिलाओं पर, अरब तथा अफ़्रिकी देशों से आये निर्वासितों ने लैंगिक अत्याचार किये होने की धक्कादायी घटनाएँ सामने आयीं थीं। उसके बाद जर्मनी में निर्वासितों के ख़िलाफ़ माहौल काफ़ी ग़रम हो गया था। इस कारण, निर्वासितों का जर्मनी में स्वागत करके उनके बारे में नर्म रवैया अपनानेवालीं अँजेला मर्केल पर जनमत का दबाव बढ़ गया था। इस पार्श्वभूमि पर चॅन्सेलर अँजेला मर्केल ने यह घोषणा की हुई दिखायी देती है।

जर्मनी का चौथे नंबर का शहर माने जानेवाले कोलोन में नववर्ष की पूर्वसंध्या पर, अरब तथा अफ़्रिकी देशों में से आये हुए निर्वासितों ने उधम मचाया था। इस शहर की तक़रीबन ९० महिलाएँ इन निर्वासितों के लैंगिक अत्याचारों का शिक़ार बन गयी थीं। उसीके साथ, इन महिलाओं के मोबाईल्स एवं पर्स निर्वासितों ने लूट लिये होने की बात अब सामने आ गयी है। इस कारण, जर्मनी में निर्वासितों के ख़िलाफ़ संतप्त प्रतिक्रियाएँ ज़ाहिर हो रही हैं और चॅन्सेलर मर्केल की नीतियों के ख़िलाफ़ जहाल मतप्रदर्शन किया जा रहा है। उसपर ग़ौर करते हुए चॅन्सेलर मर्केल ने अपनी पार्टी की बैठक में, गुनाहगार निर्वासितों को उनके खुद के देश वापस भेजने के लिए क़ानून में सुधार लाने के संकेत दिए।

क़ानून के अनुसार, यदि जर्मनी में आश्रय लिए निर्वासितों पर गुनाह साबित हुआ हो और उन्हें तीन साल के बंदीवास की सज़ा सुनायी गयी हो, तो उन्हें उनकी मातृभूमि वापस भेजा जा सकता है। लेकिन इन निर्वासितों के देश में उनकी जान को ख़तरा नहीं होना चाहिए, ऐसी शर्त भी इस क़ानून के तहत रखी गयी थी। उसमें सुधार करते हुए, कारावास की सज़ा सुनाये गए निर्वासितों को उनकी मातृभूमि वापस भेजने की तरतूद रखने का प्रस्ताव मर्केल ने दिया है। लेकिन निर्वासितों के प्रति रहनेवाली मर्केल की नीतियों का विरोध करनेवाले गुटों एवं राजनीतिक नेताओं का इससे समाधान नहीं हुआ है, ऐसा दिखाये देने लगा है।

Migrant-Laws

‘निर्वासितों के कारण जर्मन समाज को कितना भयानक ख़तरा उत्पन्न हुआ है, वह कोलोन शहर में घटित हुई भयंकर घटना से साबित हुआ है’ ऐसा कहते हुए कुछ गुट इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं। साथ ही, इसके विरोध में निदर्शनों का आयोजन किया गया होकर, जर्मन प्रशासन के द्वारा दिखायी गयी असंवेदनशीलता के ख़िलाफ़ भी तीव्र प्रतिक्रियाएँ उठ रही हैं। ‘जर्मन युवतियाँ अनजान व्यक्तियों से चार हाथ दूर रहें’ ऐसा मशवरा कोलोन शहर की मेयर ‘हेन्ऱीएट मेकर’ ने दिया था, उसको लेकर भी जनक्षोभ भड़का हुआ दिखायी दे रहा है।

‘जर्मन सरकार अपने देश में निर्वासितों का स्वागत कर रही है। इसके कारण सालभर में दस लाख से भी अधिक निर्वासित जर्मनी में दाख़िल हुए हैं। लेकिन उसके परिणाम जनता को भुगतने पड़ रहे हैं’ ऐसी कड़ी आलोचना निर्वासितों का विरोध करनेवाले ‘पिगिडा’ जैसे गुट कर रहे हैं। उसी समय, ‘निर्वासितों के कारण जर्मन जनता को और कितने समय तक परेशानी झेलनी पड़ेगी’ ऐसा सवाल, चॅन्सेलर अँजेला मर्केल की नीतियों का विरोध करनेवालीं राजनीतिक पार्टियों तथा नेताओं के द्वारा पूछा जा रहा है। पिछले हफ़्ते भर से निर्वासितों के विरोध में जर्मनी में निदर्शन किये जा रहे हैं और शनिवार को भी ‘पिगिडा’ की ओर से निदर्शनों का आयोजन किया गया था।

‘कोलोन शहर में घटी इस घटना का इस्तेमाल करके कुछ लोग निर्वासितों के खिलाफ़ विद्वेष फैला रहे हैं’ ऐसी चेतावनी कुछ जर्मन अधिकारी दे रहे हैं। वहीं, निर्वासितों में से कुछ लोगों द्वारा किये गये गुनाहों की सज़ा सबको भुगतनी पड़ेगी, ऐसा डर निर्वासितों द्वारा ज़ाहिर किया जा रहा है।

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