रशियन ईंधन पर लगे ‘प्राइस कैप’ के प्रतिबंध असफल हुए – अमरिकी विदेश मंत्री की कबुली

वॉशिंग्टन – यूक्रेन युद्ध की शुरुआत होने के बाद ‘जी ७’ यूरोपिय महासंघ और ऑस्ट्रेलिया ने साथ मिलकर रशिया की ईंधन निर्यात रोकने के लिए ‘प्राईस कैप’ लगाने निर्णय किया। इसके अनुसार किसी भी देश को रशिया से प्रति बैरल ६० डॉलर से ज्यादा कीमत पर ईंधन खरीदने पर रोक लगती। इससे अधिक कीमत पर रशिया से ईंधन खरीद करने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान ‘जी ७’ और यूरोपिय महासंघ के सदस्य देशों ने किया था। लेकिन, पिछले साल लागू किए गए इस प्राइस कैप के प्रतिबंध नाकाम होने की कबुली अमरीका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने दी।

‘प्राईस कैप’ का रशिया की ईंधन निर्यात पर खास असर नहीं हुआ है, ऐसा अमरिकी वित्त मंत्री ने कहा है। वैश्विक स्तर पर ईंधन की कीमत बढ़ रही है। इसी बीच रशिया ने अपने ईंधन निर्यात के लिए अधिक स्रोत इस्तेमाल किए। ईंधन यातायात की सुरक्षा एवं बीमा संबंधित मुद्दों पर रशिया ने स्वयं पहल करके कुछ प्रावधान किए। इस वजह से ‘जी ७’ और यूरोपिय महासंघ के प्राइस कैप का असर नहीं हुआ, ऐसा अमरिकी वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया। उनका यह दावा रशियन माध्यमों ने उठाया है।

लेकिन, प्राईस कैप लागू करते समय कुछ मुद्दों पर प्रतिबंध नहीं लगाए गए थे। आगे के समय में यह प्रतिबंध लगाने के लिए हम तैयार है, ऐसा दावा अमरीका के वित्त मंत्री ने किया है। पिछले साल दिसंबर महीने में अमरीका ने पहल करके ‘जी ७’ और यूरोपिय महासंघ के साथ इस प्राइस कैप का ऐलान किया था। साथ ही कुछ विशेषज्ञों ने इसका प्रभाव रशिया की ईंधन निर्यात पर नहीं होगा, ऐसी चेतावनी भी दी थी। चीन, भारत इन देशों ने इस प्राइस कैप का पालन करने से स्पष्ट इनकार किया था। ईंधन उत्पादक देशों ने भी अपने हितसंबंधों के लिए रशिया के पक्ष में निर्णय करके ईंधन उत्पादन में कटौती की थी। इस वजह से ईंधन की कीमतों में उछाल शुरू हुआ और प्राईस कैप के प्रतिबंध अब पीछे छुटते दिख रहे हैं।

ईंधन की कीमते बढ़ने से वर्ष २०२४ में ईंधन निर्यात के माध्यम से रशिया को प्राप्त होने वाली आय ३० प्रतिशत बढ़कर ११८ अरब डॉलर से भी अधिक होगी, ऐसा दावा किया जा रहा है। वहीं, वर्ष २०२५ में ईंधन की निर्यात से रशिया को कुल १२१ अरब डॉलर प्राप्त होंगे, ऐसे दावे किए जा रहे हैं। प्राईस कैप एवं अन्य प्रतिबंधों की वजह से रशिया की अर्थव्यवसथा बाधित होगी और जल्द ही इसका असर दिखने लगेगा, ऐसे दावे अमरीका और मित्र देशों ने किए थे। लेकिन, यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद अमरीका और यूरोपिय देशों ने रशियन अर्थव्यवस्था को लेकर जताए अनुमान गलत साबित हुए हैं। रशियन अर्थव्यवस्था मज़बूत हैं और यूक्रेन युद्ध के बाद रशिया ने अपनाई नीति का सकारात्मक असर रशियन अर्थव्यवस्था पर होता दिख रहा हैं। ईंधन निर्यात से रशिया को प्राप्त हो रही आय में हुई बढ़ोतरी इसीका दाखिला दे रही है।

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