रशिया से ईंधन खरीद रहे भारत पर प्रतिबंध लगाने का कोई इरादा नहीं – अमरिकी उप-विदेश मंत्री का दावा

वॉशिंग्टन – यूक्रेन युद्ध के बाद अमरीका ने रशिया की ईंधन बिक्री पर लगाए प्रतिबंधों की परवाह किए बिना भारत ने भारी मात्रा में रशिया से ईंधन खरीद शुरू की है। इस वजह से रशिया ने भारत को सबसे ज्यादा ईंधन प्रदान करने वाले पहले स्थान के देश का स्थान हासिल किया है। दो देशों के इस कारोबार पर आपत्ति जताकर यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष झेलेन्स्की ने भारत पर प्रतिबंध लगाने का आवाहन किया था। लेकिन, भारत यह अमरीका का भागीदार देश हैं और भारत पर प्रतिबंध लगाने का विचार अमरीका नहीं रखती, ऐसा अमरीका की उप-विदेश मंत्री कैरन डॉनफ्रिड ने स्पष्ट किया है।

भारत ने रशियन ईंधन खरीदने के बावजूद अमरीका की इस कारोबार पर आपत्ति नहीं। इस वजह से भारत पर प्रतिबंध लगाने का सवाल ही नहीं बनता, ऐसा अमरिकी विदेश मंत्रालय के यूरोप और युरेशियन कारोबार विभाग की उप मंत्री कैरन डॉनफ्रिड ने कहा है। साथ ही भारत और अमरीका के ताल्लुकात काफी अहम हैं, इस पर भी डॉनफ्रिड ने ध्यान आकर्षित किया। रणनीतिक स्तर पर कुछ मतभेद है, फिर भी भारत और अमरीका दोनों देश अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करने का आग्रह करते रहे देश हैं। दूसरे देशों की संप्रभुता और क्षेत्रिय अखंड़ता को भारत और अमरीका हमेशा से अहमियत देते रहे हैं, यह कहकर कैरन डॉनफ्रिड ने भारत और अमरीका के संबंधों की अहमियत रेखांकित की।

भारत फिलहाल रशिया से भारी मात्रा में ईंधन खरीद रहा हैं, फिर इस दशक के अन्त तक रशिया की ईंधन बिक्री की मात्रा ५० प्रतिशत तक फिसलेगी, ऐसा दावा डॉनफ्रिड ने किया। रशिया की अर्थव्यवस्था पर अमरीका के प्रतिबंधों का असर दिखाई देने लगा है। लेकिन, अमरीका के प्रतिबंध दुनिया भर में लागू होंगे, यह विचार हम नहीं रखते। इसी वजह से रशिया से भारत खरीद रहे ईंधन को लेकर अमरीका नाराज़ नहीं हैं, ऐसा दावा डॉनफ्रिड ने किया है।

इसी बीच, रशिया से खरीदा ईंधन तेल शुद्ध करके भारतीय कंपनियां यही ईंधन तेल अमरीका को बेच रही हैं, ऐसी जानकारी भी सामने आयी थी। अमरिकी समाचार चैनलों ने इस मुद्दे पर भारतीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी से सवाल किए थे। इसपर जवाब देते हुए उन्होंने यह कहा था कि, अमरीका के साथ ऐसा कारोबार भारत की राष्ट्रीय कंपनियां नहीं, बल्कि निजी कंपनियां करती होगी।

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