पैरिस के दंगों के बाद राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन की चुनौतियां बढ़ी – अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का दावा

पैरिस/मास्को – सात दिनों में करोड़ों डॉलर नुकसान पहुंचाने वाले पैरिस के दंगे बंद नहीं हुए तो सोशल मीडिया पर पाबंदी लगाने की चेतावनी फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन ने दी है। लेकिन, ४५ हज़ार सैनिक तैनात करने के बावजूद भी यह हिंसा काबू करने में मैक्रॉन पुरी तरह से असफल हुए हैं और उनके सामने की चुनौतियां और मुश्किलें बढ़ी हैं। पिछले छह सालों में राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन फ्रान्स को स्थिरता प्रदान करने में नाकाम हुए है, ऐसी आलोचना अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक कर रहे हैं। वहीं, मैक्रॉन ने शरणार्थियों के मुद्दे पर अपनाई गलत नीति के कारण आज हमारे देश की सुरक्षा को खतरा बना है, ऐसी फटकार फ्रान्स के प्रमुख विपक्ष ने लगाई है। मैक्रॉन की पार्टी में भी अंदरुनि विवाद होने का दावा किया जा रहा है।

पिछले हफ्ते नाहेल मर्झोक नामक युवक की मौत होने के बाद फ्रान्स में चरमपंथी और शरणार्थियों के गुट ने राजधानी पैरिस को आग के हवाले किया। लगातार सात दिन दंगावरों ने पैरिस में कोहराम मचाया था। लेकिन, राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन दंगावरों पर कार्रवाई करने में असफल हुए हैं, ऐसी आलोचना भी हो रही थी। पिछले हफ्ते मैक्रॉन युरोपियन युनियन की बैठक के लिए ब्रुसेल्स जाने वाले थे। इस दौरान उनका जर्मनी जाना भी तय था। लेकिन, पैरिस में शुरू हुए दंगों की वजह से मैक्रॉन को यह दौरा रद्द करना पड़ा था।

इसी दौरान पैरिस के अहम ठिकानों पर आगजनी हुई। दंगावरों ने स्कूल, पुलिस स्टेशन्स, लाइब्ररी और अन्य सरकारी इमारतों पर हमले किए। इनमें से लाइब्ररी पर हमला करके चरमपंथियों ने वहां रखे दुर्लभ किताबों को आग लगाई। लगातार दो दिन यह आग भड़की रही। इसके ज़रिये दंगावरों ने फ्रान्स की संस्कृति मिटाने की कोशिश की है, ऐसा आरोप फ्रान्स के प्रखर राष्ट्रवादी नागरिकों ने किया। कुछ नागरिक दंगावरों को रोकने के लिए  सड़कों पर भी उतरे। इससे कुछ जगहों पर इन नागरिकों का चरमपंथी और शरणार्थियों से संघर्ष भी हुआ था।

लेकिन, इस दौरान राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने निष्क्रियता दिखाने की आलोचना फ्रान्स में हो रही हैं। शरणार्थियों को फ्रान्स में प्रवेश देने की नीति में मैक्रॉन बदलाव करें, ऐसी मांग फ्रान्स की ‘नैशनल रैली पार्टी’ ने उठायी हैं। फ्रान्स पहुंचे शरणार्थी यहां की संस्कृति से मेल करने में असफल हो रहे हैं, इसपर इस दल ने ध्यान आकर्षित किया है। इसी वजह से फ्रान्स में ऐसी अस्थितरा फैली है, यह दावा करके इस पार्टी ने शरणार्थियों के झुंड़ रोकने के लिए नई नीति बनाने की मांग उठायी है।

इसी बीच, वर्ष २०१८ से ही फ्रान्स में मैक्रॉन सरकार के खिलाफ लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। यलो वेस्ट, पेन्शन, छात्रों के प्रदर्शन और पिछले हफ्ते हुए पुलिस विरोधी प्रदर्शनों ने फ्रान्स को नुकसान पहुंचाया हैं। इन हर प्रदर्शनों के दौरान मैक्रॉन प्रशासन को चुनौती दी गई हैं। इस वजह से मैक्रॉन सरकार हटाने की यह एक कोशिश होने का दावा भी विश्लेषक कर रहे हैं।

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