ईंधन उत्पादन की कटौती का निर्णय सौदी अरब और रशिया की मज़बूत एकजूटता दर्शाता है – सौदी अरब के ईंधन मंत्री का दावा

वियना – सौदी अरब और रशिया ने कच्चे तेल के उत्पादन की कटौती करने का किया निर्णय दोनों देशों की मज़बूत एकजूटका दर्शक है, ऐसा दावा सौदी अरब के ईंधन मंत्री प्रिन्स अब्दुलअझिझ बिन सलमा ने किया। इस र्णिय ने सौदी अरब और रशिया के बीच तनाव निर्माण होने के दावे ठोक रहे आलोचकों को भी तमाचा जड़ा हैं, ऐसा बयान सौदी के ईंधन मंत्री ने किया। पिछले महीने ईंधन उत्पादक देशों के ‘ओपेक प्लस’ गुट ने वर्ष २०२४ के अन्त तक ईंधन उत्पादन की कटौती कायम रखने का ऐलान किया था। इसके बाद सौदी और रशिया ने अतिरिक्त कटौती के संकेत भी दिए थे। 

ईंधन उत्पादनसोमवार को सौदी अरब ने ‘ओपेक प्लस’ ने किए ऐलान के अलावा कच्चे तेल के उत्पादन में प्रतिदिन अतिरिक्त १० लाख बैरल्स कटौती रकने का ऐलान किया था। सौदी के इस ऐलान के बाद रशिया ने भी पांच लाख बैरल्स कटौती का निर्णय कायम रखने का बयान किया। सौदी और रशिया ने एक-दूसरे के तालमेल से एक ही दिन में कटौती करने का किया यह ऐलान इन दो देशों की एकजूट दर्शाता है, ऐसा सौदी अरब के ईंधन मंत्री प्रिन्स अब्दुलअझिझ बिन सलमान ने कहा। 

ईंधन उत्पादनमई महीने में कुछ अमरिकी माध्यमों ने कच्चे तेल के उत्पादन को लेकर सौदी और रशिया में तनाव निर्माण होने की खबरें प्रसिद्ध की थी। सौदी के ईंधन मंत्री ने किया बयान इन दावों पर प्रत्युत्तर समझा जा रहा है। अप्रैल महीने में सौदी अरब और रशिया प्रायोजित ‘ओपेक प्लस’ गुट के देशों ने कुल मिलाकर ११.५० लाख बैरल्स कटौती का ऐलान किया था। इसके बाद जून महीने की बैठक में ‘ओपेक प्लस’ ने कच्चे तेल के उत्पादन की कटौती वर्ष २०२४ के अन्त तक कायम रखने का निर्णय घोषित किया था। साथ ही सौदी अरब ने अस्थायि समय के लिए प्रतिदिन १० लाख बैरल्स कटौती घोषित की थी।

ओपेक प्लस गुट के इस निर्णय पर अमरीका ने तीव्र नाराज़गी जताई थी। रशिया-यूक्रेन युद्ध की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में अस्थिरता का माहौल होते हुए ईंधन उत्पादन में ऐसे कटौती करना उचित नहीं हैं, ऐसा इशारा अमरीका ने दिया था। ईंधन उत्पादन की कटौती का किया गया यह निर्णय रशिया के लाभ में होने का आरोप अमरीका ने लगाया था। सौदी की तरह ओपेक प्लस गुट का नेतृत्व कर रही रशिया के लिए यह निर्णय आर्थिक नज़रिये से सहायक होने का आरोप भी अमरिकी माध्यम एवं विश्लेषकों ने लगाया था।

ईंधन उत्पादन में कटौती करने से उछली कीमतों का लाभ रशिया को पहुंचेगा, यह दावा भी किया गया था। सौदी और ओपेक प्लस देश अप्रत्यक्ष ढ़ंग से रशिया के यूक्रेन विरोधी युद्ध की सहायता कर रहे हैं, ऐसी आलोचना भी पश्चिमी माध्यमों ने की थी। लेकिन, सौदी अरब के साथ ओपेक सदस्य देशों ने इस आलोचना को अनदेखा किया है और सौदी के मंत्री का बयान भी इसी का हिस्सा होने की बात दिखती है। 

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