‘आयएस’ विरोधी संघर्ष के लिए इराक में फ्रान्स की सेना तैनाती कायम रहेगी – फ्रान्स राष्ट्राध्यक्ष का ऐलान

बगदाद – “आयएस’ खत्म नहीं हुई है और इसी वजह से इस आतंकी संगठन से बना खतरा अभी टला नहीं है। सभी देशों को इस खतरे के खिलाफ अधिक सावधान रहकर ‘आयएस’ विरोधी जंग को प्राथमिकता देनी होगी’, यह निवेदन फ्रांस के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन ने किया है। अमरीका ने इराक से सेना हटाई तो फ्रान्स के सैनिक इराक में तैनात रहेंगे, यह बयान राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने ड़टकर किया है। इराक में हुई बैठक में यह ऐलान करके फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष ने बायडेन प्रशासन की अफ़गानिस्तान संबंधी भूमिका पर नाराज़गी जताई हुई दिख रही है।

is-france-iraq-1 इराक की सरकार ने क्षेत्रीय बैठक का आयोजन किया है। फ्रान्स इस बैठक का सह-आयोजक है। इस बैठक के माध्यम से फ्रान्स ने इराक की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के लिए और इराक की प्रगति के लिए इस क्षेत्र के देशों से निवेदन किया। इस बैठक में सौदी अरब और इरान इन कड़े प्रतिद्वंद्वि देशों के अलावा इजिप्ट, जॉर्डन, कतार के राष्ट्रप्रमुख एवं विदेशमंत्री उपस्थित थे। इस बैठक में इराक के विकास के मुद्दे के साथ ही आतंकवाद विरोधी संघर्ष पर भी फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष ने अपनी भूमिका स्पष्ट की।

आयएस, आतंकवाद विरोधी संघर्ष पर बयान करते समय फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने अमरीका पर निशाना साधा। ‘इराक की सेना तैनाती पर अमरीका क्या निर्णय करती है, यह उनका मसला है। लेकिन, आतंकवाद विरोधी संघर्ष के लिए फ्रान्स के सैनिक आगे भी इराक में तैनात रहेंगे’, ऐसा मैक्रॉन ने कहा। साथ ही ‘इस्लामिक स्टेट इन इराक ऐण्ड सीरिया-आयएस’ नामक आतंकी संगठन अभी खत्म नहीं हुआ है, ऐसा कहकर इस आतंकी संगठन का खतरा अभी भी कायम होने की बात मैक्रॉन ने रेखांकित की।

is-france-iraq-2साथ ही इस क्षेत्र के सभी देशों को इस खतरे के खिलाफ अधिक सतर्क रहकर ‘आयएस’ विरोधी जंग को प्राथमिकता देनी पड़ेगी, यह निवेदन भी मैक्रॉन ने किया। इराक के प्रधानमंत्री मुस्तफा अल-कधीमी ने भी आतंकवाद विरोधी संघर्ष में फ्रान्स को अहम सहयोगी देश बताया है।

फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने बीते कुछ दिनों से बायडेन प्रशासन की भूमिका पर खुलेआम नाराज़गी जताई है। अफ़गानिस्तान की नियंत्रण के बाहर गई स्थिति के लिए अमरीका की वापसी ज़िम्मेदार होने का आरोप मैक्रॉन ने लगाया था। तभी, कुछ दिन पहले ‘जी ७’ की बैठक में भी राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन के अफ़गानिस्तान से सेना हटाने के निर्णय की आलोचना की थी। तालिबान ने अफ़गानिस्तान पर हासिल किए हुए नियंत्रण की नैतिक ज़िम्मेदारी अमरीका स्वीकारे, ऐसी फटकार भी राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने लगाई थी।

व्हाईट हाउस ने अपने अधिकृत निवेदन में फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष ने अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष पर की हुई आलोचना का ज़िक्र किया था। लेकिन, माध्यमों ने इस बात पर ध्यान केंद्रीत करने पर व्हाईट हाऊस ने फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष का ज़िक्र हटाकर नया निवेदन जारी किया। इसके बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने भी सूचक शब्दों में बायडेन को लक्ष्य करने की खबरें ब्रिटीश माध्यमों ने सार्वजनिक कीं थीं। इस वजह से बायडेन प्रशासन की अफ़गान भूमिका को लेकर यूरोपिय मित्रदेश नाराज़ होने की बात स्पष्ट तौर पर दिखती है।

इस पृष्ठभूमि पर, फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष ने इराक में हुई इस बैठक का इस्तेमाल करके अमरीका ने अफगानिस्तान से हटाई सेना और ‘आयएस’ विरोधी नीति पर हमला किया हुआ दिख रहा है।

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