निर्वासितों को रोकने के लिए युरोपीय संघ के नये नियम

ब्रुसेल्स, दि. १४ (वृत्तसंस्था) – निर्वासितों के प्रवाह की वजह से आतंकवाद का बढ़ता धोखा सामने आने के बाद, युरोपीय महासंघ द्वारा निर्वासितों को रोकने के लिए नये कदम उठाये गये हैं|

migrant - युरोपीय महासंघबुधवार को युरोपीय महासंघ ने निर्वासितों के अवैध प्रवाह को रोकने के लिए नये नियमों का ऐलान किया है| निर्वासितों के मसले पर समान नीति तैयार करने की कोशिशों का यह एक हिस्सा माना जाता है| पर विशेषज्ञों द्वारा नाराज़गी जतायी गयी है कि युरोपीय संघ द्वारा घोषित हुए ये नियम, इतना समय गँवाने के बाद की गयी कार्यवाही है|

नये नियमों के अनुसार, युरोपीय देशों में दाखिल हुए निर्वासित अगर उँगली का निशान और अन्य जानकारी नहीं देते, तो उनकी अर्ज़ी ख़ारिज की जायेगी| युरोप में आया हुआ निर्वासित यदि एक देश से दूसरे देश में स्थानांतरण करता रहा, तो युरोप के सदस्य देशों में उसका स्वीकार नहीं किया जायेगा| ऐसे निर्वासितों को देश से बाहर निकाला जायेगा| इन निर्वासितों को अपील करने के लिए सिर्फ़ सात दिन का समय दिया जायेगा|

निर्वासितों को युरोपीय देशों में निवासी परमिट पाने के लिए पाँच साल का समय दिया गया है| अगर इस दौरान निर्वासित एक देश छोड़कर दूसरे देश में गया, तो उसे परमिट पाने के लिए फिर से पाँच साल बिताने होंगे| निर्वासित को जिस देश में वास्तव्य की अनुमति दी गयी है, वह देश यदि उसने ओड़ दिया, तो उसकी अर्ज़ी हमेशा के लिए ख़ारिज कर दी जायेगी| एक देश से दूसरे देश में जानेवाले या फ़रार होनेवाले निर्वासितों को अलग केंद्र में नज़रबंद कर रखा जायेगा|

युरोपीय महासंघ के बाहर के देश, जो गैरक़ानूनी रूप से रहनेवाले निर्वासितों को लेने की तैयारी दिखाते हैं, ऐसे देशों से आनेवाले निर्वासितों को युरोपीय महासंघ के सदस्य देशों द्वारा प्राथमिकता दी जायेगी| निर्वासितों के शिविरों से सीधे देश में आकर रहने की सुविधा देनेवाले युरोपीय देश को हर निर्वासित के पिछे १० हजार युरो देने का प्रस्ताव नये नियमों में है| महासंघ के नियमों का पालन न करनेवाले सदस्य देशों पर कार्रवाई करने के संकेत भी दिये गये हैं|

युरोप में पिछले एक साल में तक़रीबन १८ लाख से ज्यादा निर्वासित दाखिल हुए हैं| निर्वासितों को रोकने के लिए युरोपीय संघ ने विशेष सागरी अभियान, तुर्की के साथ समझौता, अफ्रीकी देशों को अर्थसहायता तथा नयी सरहद सुरक्षा एजन्सी की स्थापना, इन जैसे कई उपाय हाथ लिये थे| लेकिन इसके बावजूद भी, युरोपीय महासंघ के सदस्य देशों द्वारा नाराज़गी जतायी जा रही थी|

इसी पृष्ठभूमि पर, कई सदस्य देशों द्वारा निर्वासितों को रोकने के लिए सरहद पर बाड़ा लगाना तथा सेना की टुकडियाँ तैनात करना, इन जैसी आक्रामक योजनाओं पर कार्यवाही शुरू की गयी थी| इस वजह से, महासंघ के मूलभूत मूल्यों का हिस्सा रही ‘शेन्गेन’ नीति पर भी सवाल खडे हुए थे| हंगेरी जैसे देश ने, निर्वासितों के मसले पर जनमतसंग्रह लेने का ऐलान किया था|

ये सब गतिविधियाँ, निर्वासितों के मसले पर युरोप में असंतोष बढ़े होने के संकेत मानी जाती हैं| इसी को मद्देनज़र रखते हुए, युरोपीय महासंघ द्वारा निर्वासितों के लिए नयी नीति तैयार करने की कोशिशें शुरू हैं और ये नये नियम इसी का हिस्सा हैं| नये नियमों में, निर्वासितों को क़ानूनी सहायता और नौकरी तथा शिक्षा के लिए विशेष सुविधाएँ देने के प्रावधान हैं| साथ ही, कुछ कड़े प्रतिबंध भी लगाये गये हैं| ये नये नियम यानी निर्वासितों के लिए समान नीति होने की दिशा में महत्त्वपूर्ण पडाव हैं, ऐसी जानकारी युरोपीय महासंघ के ‘मायग्रेशन कमिशनर’ दिमित्रिस ऍव्हरामपोलस ने दी है|

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