भारत-रशिया व्यापार के लिए ईरान बंदरगाह उपलब्ध कराएगा

तेहरान – भारत और रशिया के व्यापार के लिए ईरान ने अपना ‘बंदर अब्बास’ उपलब्ध कराने की तैयारी शुरू की है। इसका परीक्षण शुरू हुआ है। रशिया के सेंट पीटस्‌बर्ग शहर से कैस्पियन समुद्र से ईरान के ‘बंदर अब्बास’ में कंटेनर लाए जाएँगे। वहां से यह कंटेनर जहाज़ से नवी मुंबई के न्हावा शेवा बंदरगाह में उतारे जाएँगे। इस वजह से भारत और रशिया का व्यापार बड़े पैमाने में बढ़ सकता है। यह निर्णय करके ईरान ने अपनी अहमियत अधिक बढ़ाई है, ऐसे दावे किए जा रह हैं। साथ ही इससे भारत को दोगुना लाभ प्राप्त होगा, ऐसा विश्‍लेषकों का कहना है।

साल २००२ में ‘इंटरनैशनल नॉर्थ-साऊथ ट्रान्सपोर्ट कॉरिडॉर’ का प्रस्ताव रशिया ने दिया था। लेकिन, इस पर अधिक काम नहीं हो सका। इस वजह से भारत और रशिया की मित्रता का सहयोग सच्चे मायने में कारोबार में उतर नहीं सका था। भौगोलिक दूरी और पाकिस्तान जैसे देश के अड़चनों की वजह से भारत और रशिया का व्यापार सीमित रहा था। लेकिन, अब ईरान ने अपना ‘बंदर अब्बास’ इस व्यापार के लिए खुला करने से भारत के सिर्फ रशिया के ही नहीं, बल्कि मध्य एशियाई और यूरोपिय देशों के साथ व्यापार का मार्ग अधिक चौड़ा हो जाएगा। भारतीय अर्थव्यवस्था को इसके काफी बड़े लाभ प्राप्त होंगे।

ईरान की सरकारी वृत्तसंस्था ने इससे संबंधित जानकारी साझा की। रशिया से भारत तक माल की यातायात करने के लिए ईरान ‘बंदर अब्बास’ का इस्तेमाल करने देने की तैयारी कर रहा है, ऐसा इस वृत्तसंस्था ने कहा है। इस वजह से रशिया भारतीय बंदरगाह से और इसके ज़रिये आग्नेय एशिया से जुड़ेगा। इसके अलावा इस वजह से भारत को भी लाभ प्राप्त होगा और ईरान के इस कॉरिडॉर की वजह से भारत यूरोपिय देशों से जुड़ सकेगा, ऐसा इस वृत्तसंस्था ने कहा है।

‘इंटरनैशनल नॉर्थ-साऊथ ट्रान्सपोर्ट कॉरिडॉर’ (एनएसटीसी) के संस्थापक देश भारत, रशिया और ईरान हैं। साल २००२ में इससे संबंधित प्रस्तावों का कार्यान्वयन शुरू होगा और परीक्षण के स्तर पर इसका काम भी शुरू हुआ है, ऐसा इस ईरानी वृत्तसंस्था ने स्पष्ट किया। इस कॉरिडॉर के आर्थिक एवं राजनीतिक और सामरिक परिणाम काफी बड़े हो सकते हैं। इसके ज़रिये ईरान अपनी अहमियत अधिक बढ़ाने की चाल चल रहा है, ऐसा विश्‍लेषक कह रहे हैं। साथ ही इससे भारत को दोहरे लाभ प्राप्त होंगे, ऐसा कहकर विश्‍लेषकों ने इस प्रकल्प की अहमियत रेखांकित की है।

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