‘पाकिस्तान द्वारा अफगान निर्वासितों की जबरन वापसी’ : ‘ह्युमन राईटस् वॉच’ रिपोर्ट में आरोप

इस्लामाबाद/काबुल, दि. १५ : ‘पाकिस्तान द्वारा अफगानी निर्वासितों की जबरन वापसी का अभियान चलाया जा रहा है और यह दुनिया के इतिहास में सबसे बडा गैरकानूनी अभियान है’ ऐसा आरोप ‘ह्युमन राईटस् वॉच’ के एक रिपोर्ट में किया गया है| इस मामले में संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा बहुत ही नर्म रवैया अपनाया गया, ऐसा इल्जाम भी ‘ह्युमन राईटस् वॉच’ के रिपोर्ट में रखा गया है| पिछले एक साल में पाकिस्तान द्वारा लगभग छह लाख अफगानी निर्वासितों कों जबरन देश से बाहर निकाला गया है|

अफगान निर्वासितों १९८० के दशक में तत्कालीन सोविएत रशिया ने अफगानिस्तान पर किये हमले के बाद अफगानी जनता ने पाकिस्तान में आश्रय लेना शुरु किया था| दावा किया जाता है कि करीब ३० लाख अफगानी नागरिकों ने उस वक्त पाकिस्तान में पनाह ली थी| अब उपलब्ध सांख्यिकी के अनुसार, पाकिस्तान में करीब २५ लाख अफगान निर्वासित हैं और उनमें से १० लाख अवैध रूप से निवास कर रहे हैं|

पिछले कई सालों में पाकिस्तान में हो रहे बढ़ते आतंकी हमलों की पृष्ठभूमि पर, सन २०१५ में नयी आतंकवादविरोधी नीति की घोषणा की गयी| नयी नीति में ‘रजिस्ट्रेशन ऍण्ड रिपॅट्रिएशन ऑफ अफगाण रिफ्युजीज्’ को भी शामिल करके, आतंकवाद का संबंध सीधे अफगानी निर्वासितों से जोड़ दिया गया| उसके बाद सुरक्षा का बहाना बनाकर पाकिस्तानी एजन्सियों द्वारा अफगानी निर्वासितों पर दमनतंत्र का इस्तेमाल करना शुरू हुआ और उनपर देश छोड़ने के लिए दबाव डालना शुरू हो गया| ‘अफगानिस्तान में अब स्थिति संतोषजनक हो गयी है’ ऐसा कारण बताते हुए पाकिस्तान ने यह प्रक्रिया तेज़ कर दी| असल में अफगानिस्तान और पाकिस्तान सरकार में बढ़ते तनाव के कारण और अंदरूनी विफलता को छुपाने के लिए पाकिस्तान द्वारा यह नीति अपनायी गयी थी|

‘सन २०१६ के अंतिम छह महीनों में पाकिस्तान द्वारा, पंजीकृत १५ लाख अफगान निर्वासितों में से लगभग साढ़ेतीन लाख से ज़्यादा निर्वासितों कों जबरन बाहर निकाला गया| उसी समय, सही पंजीकरण ना हुए और गैरकानूनी ढंग से रहनेवाले १० लाख निर्वासितों में से दो लाख निर्वासितों को देश से निकाल बाहर कर दिया गया| इस तरीके से नागरिकों को जबरन देश से निकाल बाहर कर देना गैरकानूनी है| पिछले साल जो हुआ, उसे फिर से न दोहराया जाये, ऐसा हमे लगता है’ इन शब्दों में ‘ह्युमन राईटस् वॉच’ द्वारा पाकिस्तान की करतूतों की जानकारी दी गयी|

‘अफगानी निर्वासितों को इस तरह जबरन बाहर निकालना, यह इस तरह की घटनाओं में सबसे बड़ी घटना साबित हो रही है| पाकिस्तानी एजन्सियों ने चेतावनी दी है कि इस तरह का अभियान सन २०१७ में भी चालू रहेगा’, ऐसा ‘ह्युमन राईटस् वॉच’ द्वारा कहा गया है| पाकिस्तान के विदेशविभाग ने इसपर किसी भी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी है| संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा खुलासा किया गया है कि वह अफगानी निर्वासितों को ज़बरन बाहर निकालने का समर्थन नहीं करता|

पिछले साल संयुक्त राष्ट्रसंघ की ‘रिफ्युजी एजन्सी’ के आयुक्त फिलिपो ग्रँडी ने पाकिस्तान की भेंट की थी| इस यात्रा में उन्होंने आवाहन किया था कि पाकिस्तान अफगानी निर्वासितों को आतंकवाद के लिए ज़िम्मेदार ना ठहराये| साथ ही, उन्होंने यह चेतावनी भी दी थी कि यदि आंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस मसले पर ग़ौर नहीं करता, तो यह समस्या ‘विस्मृति में जाने का’ ख़तरा है| अफगान सरकार, ‘इंटरनॅशनल ऑर्गनायझेशन फॉर मायग्रेशन’ और ‘नॉर्वेजियन रिफ्युजी कौन्सिल’ ने भी इस मसले पर पाकिस्तान सरकार की कड़ी आलोचना की थी|

अफगान सरकार द्वारा पाकिस्तान से, इस कार्रवाई को रोकने की बिनति भी की गयी थी| अफगानिस्तान ने माँग भी की थी कि पाकिस्तान सन २०२० तक निर्वासितों की ज़िम्मेदारी उठा लें|

Leave a Reply

Your email address will not be published.