ग्वालियर भाग – ३

ग्वालियर भाग – ३

ग्वालियर के क़िले में हमारी मुलाक़ात सास-बहू की जिस जोड़ी के साथ होती है, वह टि. व्हि. सिरीयल्स की सास-बहुओं से बिलकुल ही निराली है। इस सास-बहू की सब से बड़ी ख़ासियत यह है कि गत कई सदियों से वे बड़े प्यार से पड़ोसन बनकर रह रही हैं। चलिए, अब आपकी उत्सुकता को अधिक न […]

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नेताजी-९३

नेताजी-९३

पिताजी के अन्तिम दर्शन न करने का सुभाषबाबू को का़फी दुख हो रहा था। उसमें भी, पिताजी के आख़री दिनों में वे सुभाषबाबू के नाम का ही मानो जाप कर रहे थे, यह मेजदा से समझने के बाद तो उनपर ग़म का पहाड़ ही टूट पड़ा। पचास वर्ष के सहजीवन में जिसने हमेशा साथ निभाया, […]

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नेताजी-९०

नेताजी-९०

रोम में मिली क़ामयाबी से सन्तुष्ट होकर सुभाषबाबू ने व्हाया मिलान व्हिएन्ना लौटने की बात तय की। लेकिन उसी दौरान जर्मनी के म्युनिक से वहाँ के भारतीय छात्रों द्वारा भेजा गया, वहाँ फौरन आने का टेलिग्राम प्राप्त होने के कारण अपने नियोजित कार्यक्रम में परिवर्तन कर वे म्युनिक के लिए रवाना हुए। जर्मनी में अध्ययन […]

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नेताजी-८४

नेताजी-८४

ते़ज ऱफ़्तार के साथ आगे बढ़ रहे असहकार आन्दोलन को अचानक बिनाशर्त स्थगित कर देने के गाँधीजी के निर्णय की आलोचना करनेवाले सुभाषबाबू-विठ्ठलभाई के घोषणापत्र से भारतीय राजकीय वर्तुल में खलबली मच गयी। गाँधीजीसमर्थकों की राय से तो सुभाषबाबू गाँधीजीविरोधक ही थे, लेकिन विठ्ठलभाई भी उनका साथ देंगे यह किसीने सपने में भी नहीं सोचा […]

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‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ पुस्तक का प्रकाशन समारोह संपन्न

‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ पुस्तक का प्रकाशन समारोह संपन्न

मुंबई, दि. ३०: ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यह ब्रह्मर्षी जैसी संस्था है| इसी कारण प्रधानमंत्री चाहे कोई भी हो, मंत्रिमंडल किसी भी पार्टी का हो, संघ को हमेशा उनके ऊपर रहना चाहिए| कुछ लेने के लिए नहीं, बल्कि कुछ देने के लिए’, ऐसे स्पष्ट विचार ‘दैनिक प्रत्यक्ष’ के कार्यकारी संपादक डॉ. अनिरुद्ध धैर्यधर जोशी ने प्रस्तुत […]

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वरंगल भाग- २

वरंगल भाग- २

काकतीय राजवंश के उदय एवं अस्त का गवाह होनेवाला वरंगल। दरअसल इन काकतीय राजाओं के शासनकाल में ही वरंगल पूरी तरह विकसित हुआ और काकतीयों की राजधानी का दर्जा प्राप्त होने के कारण वरंगल के विकास ने चोटी को छू लिया। काकतीयों के जमाने में वरंगल में उत्तमोत्तम मंदिरों का निर्माण हुआ, यह पिछले लेख […]

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भरुच

भरुच

हमारे भारतवर्ष में हम जब यात्रा करते हैं, तब एक अलग ही संस्कृति के साथ हमारा परिचय होता है और वह संस्कृति है, खाद्यसंस्कृति। कुछ गाँव या शहर इनकी पहचान होती है, वहाँ पर बनाये जानेवाले विशेष खाद्यपदार्थ। जैसे, कर्जत का आलूवड़ा (बटाटावडा), सुरत की घारी, आग्रा का पेठा, सातारा के कंदी पेड़ें, नासिक के […]

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समय की करवट (भाग १३)– जहाँ संस्कार ‘मिड्लक्लास मेंटॅलिटी’ साबित होते हैं….

समय की करवट (भाग १३)– जहाँ संस्कार ‘मिड्लक्लास मेंटॅलिटी’ साबित होते हैं….

‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इसका अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। हमने ‘ग्रेट इंडियन मिड्ल क्लास’ के बारे में जाना। बुरी तरह फँसी जागतिक अर्थव्यवस्था किस तरह अपने आप को बचाने के लिए इस भारतीय मध्यमवर्गीय की ओर उम्मीद से देख रही है, यह हमने देखा। आज तक […]

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बाळासाहब की दूरदृष्टि

बाळासाहब की दूरदृष्टि

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग ५९ सामाजिक समरसता के बग़ैर एकता संभव नहीं है। समाज संघटित हुए बग़ैर राष्ट्र बलशाली नहीं होगा। इसीलिए बाळासाहब ने सामाजिक समरसता पर सर्वाधिक ज़ोर दिया। संघ द्वारा स्थापन किया गया ‘सामाजिक समरसता मंच’ फुरती के साथ यह कार्य करने लगा। देश के हर एक प्रांत में ‘सामाजिक समरसता […]

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प्रयाग (भाग-२)

प्रयाग (भाग-२)

प्रयाग पर मुघलों की हु़कूमत स्थापित हो जाने के बाद उसका नाम ‘इलाहाबाद’ रखा गया। अकबर ने इस शहर में संगम के पास नदी के किनारे पर एक क़िले का निर्माण भी किया। मुघलों के बाद कुछ समय के लिए इस शहर पर मराठों ने शासन किया। साधारणतः १८ वी सदी में अवध का नवाब […]

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