मंगळूर भाग-६

मंगळूर भाग-६

मंगळूर शहर की संस्कृति के एक अनोखे पहलू को आज हम देखने जा रहे हैं। लेकिन, दूर से कुछ आवाज़ें सुनायी दे रही हैं। चलिए, तो पहले उनके बारे में जानने के लिए उस ओर रुख करते हैं। अरे यहाँ पर तो किसी नाटक के प्रस्तुतीकरण की तैयारियाँ चल रही हैं। हम भी यहाँ के […]

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क्रान्तिगाथा-७५

क्रान्तिगाथा-७५

काशी में यानी बनारस में बनारस हिन्दु युनिव्हर्सिटी की स्थापना में डॉ. अ‍ॅनी बेझंट इस विदेश से आयी, लेकिन भारत के लिए कार्य करनेवाली विद्वान महिला का महत्त्वपूर्ण सहभाग था। साथ ही ‘महामना’ की उपाधि से नवाज़े गये पंडित मदनमोहन मालवीयजी का भी योगदान उतना ही महत्त्वपूर्ण था। महज़ हिन्दी ही नहीं, बल्कि संस्कृत और […]

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क्रान्तिगाथा-७४

क्रान्तिगाथा-७४

विदेशियों की गुलामी की ज़ंजीरों में जकड़ी अपनी मातृभूमि को आज़ाद करने के लिए उसके अनगिनत सपूत दिनरात तड़प रहे थे, दिनरात मेहनत कर रहे थे। भारत के किसी कोने के देहात में रहनेवाला कोई भारतीय हो या किसी शहर में रहनेवाला भारतीय, दोनों की परिस्थिति में चाहे कितना भी फर्क क्यों न हो, मग़र […]

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क्रान्तिगाथा-६६

क्रान्तिगाथा-६६

पूरे भारत के बारे में अँग्रेज़ों के द्वारा जो रवैय्या अपनाया गया था, उसका पूरे भारत में से अब विरोध होने लगा। अब इस समूचे घटनाक्रम में पंजाब प्रान्त से अँग्रेज़ों को हो रहा विरोध दिन ब दिन तेज़ होने लगा था और पंजाब के साथ साथ बंगाल में भी अँग्रेज़ों के खिलाफ जनमत खौल […]

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परमहंस-९१

परमहंस-९१

रामकृष्णजी के हाथ को आयी चोट धीरे धीरे ठीक हो रही थी। इसी दौरान रामकृष्णजी ने कोलकाता के तत्कालीन विख्यात ‘स्टार थिएटर’ की – ‘लाईफ ऑफ श्रीचैतन्य’ और ‘लाईफ ऑफ प्रह्लाद’ ये दो नाटक देखने के लिए दो बार भेंट की। उस थिएटर के मॅनेजर गिरीशचंद्रजी घोष ने ही ये दो नाटक लिखे थे। गिरीशचंद्र […]

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पहली इंटरनेशनल सोलर अलायंस परिषद का भारत में आयोजन

पहली इंटरनेशनल सोलर अलायंस परिषद का भारत में आयोजन

नई दिल्ली: २०२० वर्ष तक १०० गिगावॉट बिजली सौर ऊर्जा के माध्यम से निर्माण करने का लक्ष्य भारत में रखा है और अब तक २० गिगाबाइट सौर ऊर्जा प्रकल्प निर्माण हुए हैं। केवल भारत में ही नहीं तो संपूर्ण दुनिया में सौर क्रांति हो ऐसी हमारी इच्छा है। स्वच्छता और पर्यावरण पूरक ऊर्जा के लिए […]

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बीकानेर भाग – २

बीकानेर भाग – २

थर के रेगिस्तान के इस शहर का जिस तरह ऊँट के साथ गहरा रिश्ता है; उसी तरह खानपानसंबंधित अन्य दो बातों के साथ भी इस शहर का काफ़ी गहरा संबंध है। बीकानेर कहते ही याद आते हैं, बीकानेरी पापड और बीकानेरी भुजिया। १५वी सदी में स्थापित हुए बीकानेर में, भारत के आज़ाद हो जाने तक […]

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कांची भाग – ४

कांची भाग – ४

अक्तूबर के महीने में कांची की सड़कों पर दोपहर की चिलचिलाती धूप में घूमते हुए गरमी का अच्छा-ख़ासा एहसास होते रहता है। लेकिन कांची के किसी प्राचीन मंदिर में प्रवेश करते ही गरमी भाग जाती है। इसका मुख्य कारण है, इन मंदिरों के निर्माण में इस्तेमाल किया गया उस समय का पत्थर। इसी कारण बाहर […]

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कांची भाग – ३ 

कांची भाग – ३ 

  स्कूल में भूगोल इस विषय का अविभाज्य अंग रहता था, ऩक़्शा (मॅप) और उससे संबंधित प्रश्‍न। ऩक़्शे में कुछ विशिष्ट स्थानों (जैसे गाँव, नदी, क़िला, घर इत्यादि) को निदर्शित करने के लिए कुछ विशिष्ट संकेतचिह्न निश्‍चित किये गये थे। फ़िर वे संकेतचिह्न ही उन स्थानों की पहचान बन जाते थे। दक्षिणी भारत की सुस्पष्ट […]

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ग्वालियर भाग – ३

ग्वालियर भाग – ३

ग्वालियर के क़िले में हमारी मुलाक़ात सास-बहू की जिस जोड़ी के साथ होती है, वह टि. व्हि. सिरीयल्स की सास-बहुओं से बिलकुल ही निराली है। इस सास-बहू की सब से बड़ी ख़ासियत यह है कि गत कई सदियों से वे बड़े प्यार से पड़ोसन बनकर रह रही हैं। चलिए, अब आपकी उत्सुकता को अधिक न […]

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