नेताजी-२९

नेताजी-२९

दासबाबू को लिखे हुए ख़त में आय.सी.एस. में पढ़े अँग्रे़जी, इतिहास, भूगोल, तत्त्वज्ञान, लॉ, संस्कृत इत्यादि विषयों के बारे में संक्षेप में लिखकर, आपके कॉलेज में मैं इन विषयों को पढ़ा सकता हूँ, यह सुभाष ने स्पष्ट किया था; वहीं, दासबाबू नये सिरे से जिस ‘स्वराज्य’ समाचारपत्र की शुरुआत करनेवाले थे, उसकी अँग्रे़जी एड़िशन के […]

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मातृभाषा हमारे मोबाईल में

मातृभाषा हमारे मोबाईल में

अंग्रेजी यह आन्तरराष्ट्रीय भाषा (वैश्‍विक भाषा) के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुकी भाषा है। अधिकतर व्यवहार भी अंग्रेजी में ही होते हैं। परन्तु किसी भी व्यक्ति को अपनी मातृभाषा के प्रति होने वाला प्रेम अलग ही होता है। इसके अलावा अपनी मातृभाषा में अभिव्यक्त होनेवाला भाव भी हर एक मनुष्य के लिए एक अलग […]

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आवाहन

आवाहन

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ – भाग १० ‘महोदय, यदि अपने देश के हालात सुधारने हों, तो तुम्हारे-मेरे जैसे हज़ारों नौजवानों को अपना सर्वस्व अर्पण करना होगा। शहर, गाँव और वनप्रदेश में भी सैंकड़ों अत्यावश्यक कार्य हमारी प्रतीक्षा कर रहे हैं। इसीलिये मैंने नौकरी, विवाह न करते हुए, स्वयं को इन कार्यों के लिये न्योछावर करने का […]

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नेताजी सुभाषचंद्र बोस – ११

नेताजी सुभाषचंद्र बोस – ११

प्रेसिडेन्सी कॉलेज के इतिहास के प्राध्यापक प्रो. ओटन की भारतविद्वेषी निरंकुश आलोचना के ख़िलाफ़ तथा उनके द्वारा छात्रों को मारपीट किये जाने के निषेध में सुभाष के नेतृत्व में कॉलेज के छात्रों की जारी हड़ताल आख़िर ओटन के दो कदम पीछे हटने के निर्णय के कारण ख़त्म हुई। मग़र तब भी प्राचार्य अपनी मग़रूरी से […]

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प्रतिकार का इतिहास

प्रतिकार का इतिहास

बाबर इस देश में मुगलों का शासन लेकर आया। उसके बाद हूमायूँ के और फिर अकबर के समय में मुगलों का शासन स्थिर होता गया, उसका विस्तार भी हुआ। अकबर कम उम्र में ही बादशाह बन गया। अकबर राजपूतों के शौर्य से अच्छी तरह परिचित था। उनका उपयोग, अपने शासन को स्थिर करने के लिए […]

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आक्रमणों का इतिहास

आक्रमणों का इतिहास

समय की धारा में भारत को नयी नयी चुनौतियों का सामना करना पडा। जिन राष्ट्रों का जीवन प्रदीर्घ होता है, उन राष्ट्रों के सामने ऐसी चुनौतियाँ समय-समय पर आती ही रहती हैं। इतिहास इसी तरह आगे ​चलता रहता है। मौर्यवंश के बाद शुंग वंश ने इस देश पर शासन किया। उसके बाद गुप्तवंश का राज्य […]

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नेताजी-४

नेताजी-४

सुभाषबाबू के जीवन में दाखिल हो चुके स्वामी विवेकानन्दजी ने उन्हें बाह्य-आभ्यन्तर भारित कर दिया था। अपने जीवन का हेतु ही मानो स्वामीजी समझा रहे हैं, ऐसा उन्हें लगा। विवेकानन्दजी के विचार पुरोगामी ही थे। भोगवादी संस्कृतिप्रधान पश्चिमी देशों में जब भारत के बारे में रहनेवाले घोर अज्ञान के कारण भारत से संबंधित ग़लत धारणाएँ […]

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सुभाषबाबू पर स्वामी विवेकानन्दजी का बढ़ता प्रभाव

सुभाषबाबू पर स्वामी विवेकानन्दजी का बढ़ता प्रभाव

सुभाषबाबू के जीवन में दाखिल हो चुके स्वामी विवेकानन्दजी ने उन्हें बाह्य-आभ्यन्तर भारित कर दिया था। अपने जीवन का हेतु ही मानो स्वामीजी समझा रहे हैं, ऐसा उन्हें लगा। विवेकानन्दजी के विचार पुरोगामी ही थे। भोगवादी संस्कृतिप्रधान पश्चिमी देशों में जब भारत के बारे में रहनेवाले घोर अज्ञान के कारण भारत से संबंधित ग़लत धारणाएँ […]

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ – अपनी पहचान!

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ – अपनी पहचान!

‘भारतवर्ष के प्रत्येक क्षेत्र में महापराक्रमी वीरों ने जन्म लिया, राष्ट्र की सेवा की और अपने राष्ट्र का गौरव बढाया। एक समय में हिंदुकुश पर्वतशृंखला पर लहराने वाला केसरिया ध्वज इस महान राष्ट्र में सर्वश्रेष्ठ सभ्यता होने का प्रमाण दे रहा था और सारे संसार को आवाहन कर रहा था। इसीलिये दुनियाभर से छात्र यहाँ […]

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ की स्थापना सन १९२५ में हुई। डॉ. केशव बळीराम हेडगेवार ने नब्बे वर्ष पहले बोये हुए बीज का रूपान्तरण अब एक विशाल वटवृक्ष (बरगद का पेड़) में हो चुका है। इस वटवृक्ष की शाखाएँ कितनी, पत्ते कितने इसकी गणना करना मुश्किल है। लेकिन यह संगठन भारतीय जनमानस में बहुत ही दृढ़तापूर्वक अपनी […]

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