रशियन ‘ऑईल बैन’ की पृष्ठभूमि पर ओपेक ने ईंधन उत्पादन नाममात्र बढ़ाने का किया ऐलान

रियाध – रशिया-यूक्रैन युद्ध की पृष्ठभूमि पर यूरोपिय महासंघ ने रशिया से कच्चे तेल की आयात करने पर पाबंदी लगाने का प्रस्ताव सामने लाया हैं। इस प्रस्ताव की पृष्ठभूमि पर तेल उत्पादक देशों की संगठन ‘ओपेक’ ने अपना उत्पादन नाममात्र बढ़ाने का निर्णय किया है। जून महीने से प्रतिदिन चार लाख बैरल्स से भी अधिक कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने का ऐलान ओपेक ने किया। लेकिन, ओपेक ने घोषित की हुई यह बढ़ोतरी रशियन ईंधन की कमी दूर नहीं कर सकती, ऐसा इशारा विश्‍लेषकों ने किया है। इसी बीच, महासंघ ने रशियन तेल की आयात पर पाबंदी लगायी तो पूर्व जर्मनी में पेट्रोल की किल्लत बनेगी, यह ड़र स्थानिय नेता जता रहे हैं।

गुरूवार को तेल उत्पादक देशों की संगठन ‘ओपेक’ की बैठक हुई। इस बैठक में जून महीने से ओपेक के सदस्य देश प्रतिदिन ४.३२ लाख बैरल्स ईंधन उत्पादन बढ़ाएँगे, यह निर्णय किया गया। यह निर्णय करते समय नाइजेरिया और अंगोला जैसें देशों को उत्पादन का कोटा बढ़ाकर दिया गया। लेकिन, ओपेक का यह निर्णय रशिया की कमी दूर नहीं कर सकता, इसपर ध्यान आकर्षित किया जा रहा हैं।

रशिया पर लगाए प्रतिबंधों की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में प्रतिदिन करीबन १० लाख बैरल्स से भी अधिक ईंधन की कमी निर्माण हुई हैं। यूरोप ने रशियन ईंधन की आयात बंद करने पर इसमें अधिक इज़ाफा होने की संभावना हैं। इस पृष्ठभूमि पर ओपेक ने सीर्फ चार लाख बैरल्स की बढ़ोतरी करना कच्चे तेल की कीमत और कमी पर असर नहीं करेगा, ऐसा विश्‍लेषकों का कहना हैं। अमरीका और यूरोप ने ओपेक पर लगातार दबाव बनाने के बावजूद इन देशों ने अपने निर्णय में बदलाव ना करने से आनेवाले समय में ओपेक और पश्‍चिमी देशों का तनाव अधिक बिगड़ने के संकेत दिए जा रहे हैं।

इसी बीच, शीर्ष ईंधन कंपनी ‘शेल’ ने यूरोप में रशियन ईंधन वायू का विकल्प ना होने की बात कबुली है। शेल, एक ब्रिटीश कंपनी है और ब्रिटेन ने रशियन ईंधन के आयात पर पाबंदी लगायी है। लेकिन,अफ्रीका के साथ अन्य देशों से बढ़ाई जा रही आयात और ‘एलएनजी’ की बढ़ रही खरीद यूरोप में रशियन ईंधन का स्थान प्राप्त नहीं कर सकती, ऐसा ‘शेल’ के प्रमुख बेन वैन ब्युर्डन ने कहा हैं।

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