कुशल जनशक्ति की कमी दूर करने के लिए जर्मनी में नया कानून पारित – विपक्ष की आलोचना

बर्लिन – यूरोप के आर्थिक इंजन कहे जा रहे जर्मनी में कुशल जनशक्ति की महसूस हो रही किल्लत काफी गंभीर हुई है और इसे दूर करने के लिए जर्मनी की संसद ने नया कानून पारित किया है। नए कानून में गुणों पर आधारित यंत्रणा का समावेश किया गया है। इसके अनुसार नई नौकरी पाने के लिए वीजा मांगने वालों को कम बाधाओं का सामना करना होगा, यह दावा सरकार ने किया है। लेकिन विपक्ष ने सरकार के इस दावे की आलोचना की है और साथ ही अकुशल शरणार्थी इससे लाभ उठा सकते हैं, इस मुद्दे पर भी ध्यान आकर्षित किया है। 

जर्मनी के उद्योग क्षेत्र की शीर्ष संस्था ‘असोसिएशन ऑफ जर्मन चेंबर्स ऑफ कॉमर्स ॲण्ड इंडस्ट्री’ (डीआईएचके) ने हाल ही में जारी की हुई रपट में कुशल जनशक्ति को लेकर उभरी समस्या स्पष्ट तौर पर रेखांकित की थी। ‘देश की आधे से अधिक जर्मन कंपनियां कुशल कर्मचारियों की कमी के कारण रिक्त स्थान भरने के लिए संघर्ष कर रही हैं। २२ हज़ार कंपनियों में से ५३ प्रतिशत कंपनियों को कुशल कर्मचारियों की कमी ने नुकसान पहुंचाया हैं। ऐसी मुश्किलों का सामना कर रहीं कंपनियों की संख्या अब चरम स्तर पर पहुंची हैं, इन शब्दों में इस समस्या का अहसास कराया गया है। 

जर्मनी के नए चान्सलर ओलाफ शोल्झ की सरकार ने भी इसकी पुष्टि की है। कंपनियों को लाखों खाली जगह पहले ही भरना आवश्यक बना है और कर्मचारियों की कमी अब जर्मन अर्थव्यवस्था के सामने खड़ा सबसे बड़ा खतरा बना है, ऐसी चेतावनी जर्मन मंत्री ने हाल ही में दी थी। इस खतरे के मद्देनज़र नए कानून को मंजूरी दी गई है, ऐसा शोल्झ सरकार कह रही है। जर्मनी की संसद में यह कानून ३८८ बनाम २३४ वोटों से पारित किया गया।

कुछ दिन पहले ही जर्मनी की अर्थव्यवस्था को मंदी ने नुकसान पहुंचाने की जानकारी सामने आयी है। वर्ष २०२२ की आखिरी तिमाही और २०२३ की पहली तिमाही में लगातार जर्मनी का विकास दर फिसला है। महंगाई का उछाल और चीन समेत अन्य देशों से किए गए व्यापार में हुई गिरावट के मुद्दे मंदी की वजह बनी होने की बात कही जा रही है। जर्मनी के मध्यवर्ती बैंक ने यह चेतावनी दी है कि, जर्मन अर्थव्यवस्था की गिरावट लंबे समय तक देखी जा सकती है। इसके मद्देनज़र सरकार ने नए कानून की पहल की, ऐसा कहा जा रहा है। नए कानून में कनाड़ा के ‘पॉईंटस्‌‍ बेस्ड सिस्टिम’ का इस्तेमाल किया गया है। कुखल जनशक्ति के लिए व्याव

सायिक पात्रता, उम्र और भाषा कुशलता के अनुसार प्रवेश करने की बाधाएं कम की गई है। वेतन, शिक्षा स्तर और जर्मन भाषा, क्षमता के लिए निर्धारित मुद्दे कम किए गए हैं। इस वजह से स्थानांतरितों को नौकरियों के अवसर या इसके अलावा जर्मनी में आना आसान होगा। इसके लिए बढ़ावा देने के लिए सीर्फ सहयोगी औड़ बच्चे ही नहीं, पालकों को लाने के लिए सक्षम होने का मुद्दा भी शामिल है।

नए कानून की वजह से कुछ ठुकराए गए शरणाथियों को यहां काम मिल सकेगा, ऐसा गुस्सा विरोधियों ने लगाया है। जर्मनी कोई ‘इमिग्रेशन’ देश नहीं हैं और ‘मातृभूमि’ हैं, ऐसी भूमिका दक्षिणपंथी विचारधारा के ‘अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी’ पार्टी ने पेश की। ‘१०० पन्नों के मसौदे में आपने साथ मिलकर क्या किया है, यह सिर्फ एक ही बयान में कहा जा सकता है। हर एक को जर्मनी में प्रवेश करने का अवसर मिलेगा, लेकिन, किसी को भी निष्कासित नहीं किया जाएगा’, इन शब्दों में ‘एएफडी’ के नेता नॉर्बर्ट क्लेनवॉच्टर ने आलोचना की। 

‘ख्रिश्चन डेमोक्रैटिक युनियन’ और ‘ख्रिश्चन सोशल युनियन’ ने भी विदेशी कर्मचारियों की बाधाएं कम करने की सरकार की योजनाओं की आलोचना की। जर्मन भाषा कुशलता कम करने की योजना अकुशल कामगारों को बढ़ावा देगी, ऐसा बयान ‘सीएसयू’ की एण्ड्रया लिडहोल्झ ने किया। नया कानून जनतंत्र की मुश्किले दूर करने के लिए कुछ भी नहीं करता, यह दावा भी उन्होंने इस दौरान किया। पहले से ही जर्मनी में मौजूद शरणार्थियों के लिए अवसर उपलब्ध कराने का प्रावधान यानी सरकारी आर्थिक सहायता पर शरणार्थियों को नौकरी उपलब्ध करना ने आसान मौका साबित होगा, एसी फटकार भी उन्होंने लगायी। 

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