चीन हमारा शत्रु है यह अमरीका को समझना ही होगा – अमरीका की पूर्व विदेश मंत्री कॉन्डोलिझा राईस

वॉशिंग्टन – प्रधानमंत्री मोदी का अमरीका दौरा चीन विरोधी नहीं था, यह स्पष्टीकरण अमरीका के व्हाईट हाऊस ने हाल ही में किया था। लेकिन, भारत और अमरीका का सहयोग चीन से होने वाले खतरे के विरोधी होने का बयान दुनियाभर के विश्लेषक दे रहे हैं। अमरीका के सामने चीन की गंभीर चुनौती खड़ी है और भारत की सहायता के बीना कोई भी चारा नहीं है, इसका अहसास अमरिकी सामरिक विश्लेषक करा रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर भारतीय प्रधानमंत्री का दौरा होने के बाद अमरीका की विदेश मंत्री एवं ज्येष्ठ कुटनीतिक कॉन्डोलिझा राईस ने बायडेन प्रशासन को वास्तविक स्थिति का स्पष्ट अहसास कराया।

‘पंधरह वर्ष पहले के चीन और वर्तमान के चीन में काफी बड़ा फरक है। आज चीन सैन्य, आर्थिक और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अमरीका से स्पर्धा कर रहा है। इसे हम अनदेखा नहीं कर सकते। चीन अमरीका का शत्रु देश है, यह हमें समझना ही होगा’, ऐसी चेतावनी अमरीका की पूर्व विदेश मंत्री कॉन्डोलिझा राईस ने दी। पिछले हफ्ते अमरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन ने चीन का दौरा करके दोनों देशों के ताल्लुकात सुधारने की कोशिश की थी। लेकिन, उनका यह दौरा बड़ा असफल हुआ था। इस पृष्ठभूमि पर पूर्व विदेश मंत्री राईस बायडेन प्रशासन को फटकार लगाती दिख रही है।

बायडेन प्रशासन पिछले महीने से चीन के साथ बना तनाव कम करके सहयोग स्थापित करने की नए से कोशिश कर रहे हैं, ऐसा दावा अमरिकी माध्यम कर रहे हैं। अमरीका के रक्षा मंत्री लॉईड ऑस्टिन ने इसी बीच यह कहा था कि, सिंगापुर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा बैठक में भी चीन से चर्चा करने के लिए अमरीका तैयार है। वहीं विदेश मंत्री ब्लिंकन व्यापारी सहयोग सुधारने के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए चीन गए थे। लेकिन, बायडेन प्रशासन की यह दोनों कोशिशें असफल हुई है, ऐसी आलोचना अमरीका में जोर पकड़ रही है।

अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष जॉर्ज बुश के कार्यकाल (२००५ से २००९) के दौरान विदेश मंत्री रही कॉन्डोलिझा राईस ने एक कार्यक्रम में बोलते समय बायडेन प्रशासन की नीति को फटकार लगाई। ‘पंधरह वर्ष पहले चीन और अमरीका के बीच सहयोग के ताल्लुकात थे। उस समय वैश्विक स्तर पर अपने देश की भूमिका को लेकर चीन के राष्ट्राध्यक्ष जियांग झेमिन और हू जिंताओ का नज़रिया अलग था। बिल्कुल उत्तर कोरिया की समस्या पर भी उस समय का चीन अमरीका से सहयोग कर रहा था। लेकिन, वर्तमान के चीन को लेकर यह कहना मुमकिन नहीं होगा’, यह कहकर राईस ने यह संकेत दिए है कि, चीन के मौजूदा राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग अमरीका से सहयोग नहीं करेंगे।

साथ ही चीन की भूमिका में हुए इस बदलाव को अनदेखा करना अमरीका के लाभ में नहीं होगा, यह चेतावनी भी राईस ने दी। चीन भी क्षेत्रों में अमरीका का शत्रु देश है, यह अहसास भी बायडेन प्रशासन रखे, ऐसी फटकार राईस ने लगाई। इसके लिए ‘साउथ चाइना सी’ क्षेत्र में चीन अमरिकी विमान और विध्वंसकों के विरोध में दिखा रहे आक्रामकता की याद भी राईस ने दिलायी।

‘चीनी नौसेना के युद्धपोत और विमान बड़े खतरनाक ढ़ंग से अमरिकी विध्वंसक और विमानों के काफी करीब आ रहे हैं। इससे चीन और अमरीका का संघर्ष छीड़ सकता है। चीन से संघर्ष होगा, ऐसा कुछ भी अमरीका ना करें। इसके साथ ही यातायात की स्वतंत्रता से अमरीका समझौता नहीं करेगी और आगे भी इस क्षेत्र में गश्त जारी रखेगी। चीन के विध्वंसकों ने अमरिकी युद्धपोतों के करीब बिल्कुल ना जाए, यह संदेश चीन को देना ज़रूरी हैं। लेकिन, यह चेतावनी निजी स्तर पर देना चाहिये। विदेश मंत्री ब्लिंकन ने अपने चीन दौरे में यह काम किया होगा’, ऐसी उम्मीद पूर्व विदेश मंत्री राईस ने व्यक्त की।

अमरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन ने चीन दौरा करने के बाद राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने ऐसी आलोचना की थी कि, चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग तानाशाह हैं। इसके बाद भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने अमरीका का दौरा किया। इस अमरीका दौरे में प्रधानमंत्री मोदी का किया गया अभूतपूर्व स्वागत अमरीका की चीन विरोधी रणनीति का हिस्सा है, ऐसी आलोचना चीन कर रहा है। इसके बाद अमरीका की पूर्व विदेश मंत्री कॉन्डोलिझा राईस ने चीन शत्रु देश होने की बात अमरीका समझ, ऐसा स्पष्ट बयान करना ध्यान आकर्षित करता है।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की शुरू वर्चस्ववादी हरकतों का खतरा दुनियाभर के सभी प्रमुख देशों को महसूस होने लगा है। इससे काफी बड़ा असंतुलन निर्माण हुआ है और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता एवं सुरक्षा स्थापीत करने के लिए भारत से सहयोग विकसित करने के अलावा अन्य चारा नहीं है, यह अहसास भी दुनियाभर के प्रमुख देशों को हुआ है। बायडेन प्रशासन ने भी चीन के इस खतरे के विरोध में क्वाड एवं ऑकस गुट स्थापीत करने की तैयारी जुटाई है। लेकिन, बायडेन प्रशासन की चीन विरोधी गतिविधियों में ज़रूरी आक्रामकता नहीं दिखती, यह आरोप काफी पहले से हो रहे हैं। इसका बड़ा लाभ चीन उठाता दिख रहा है। इस पृष्ठभूमि पर अंतरराष्ट्रीय राजनीति का ज्ञान रखने वाली पूर्व विदेश मंत्री राईस ने बायडेन प्रशासन को दी हुई सलाह बड़ी अहमियत रखती है।

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