भारत के प्रधानमंत्री ने दिया ‘वन वर्ल्ड’ का संदेश

नई दिल्ली – फर्स्ट वर्ल्ड और थर्ड वर्ल्ड इस तरह से विश्व का विभाजन ना हो, इसके बजाय ‘वन वर्ल्ड’ की कल्पना भारत की उम्मीद है, ऐसा संदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया। भारत को ‘जी-२०’ का अध्यक्षपद प्राप्त हो रहा हैं और इसके प्रतीक चिन्ह पेश करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने यह संदेश दिया। विकसित और पीछड़े इस तरह से देशों का हो रहा विभाजन आनेवाले समय में नहीं होना चाहिये, सभी देशों को विकास का पूरा अवसर मिले, भारत की यह भूमिका प्रधानमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में रखी। स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है और तभी भारत को प्राप्त हुई ‘जी-२०’ की अध्यक्षता भारतीय नागरिकों के लिए बड़े अभिमान की बात बनती है, इसपर प्रधानमंत्री ने ध्यान आकर्िषत किया।

‘वन वर्ल्ड’‘जी-२०’ सदस्य देशों का कुल ‘जीडीपी’ विश्व के ‘जीडीपी’ में ८५ प्रतिशत इस्सा रखता है। इसके अलावा वैश्विक व्यापार में ७५ प्रतिशत हिस्सा ‘जी-२०’ देशों का हैं। इसके साथ ही ‘जी-२०’ देशों की जनसंख्या वैश्विक जनसंख्या के दो तिहाई हैं। ऐसी अहम संगठन की अध्यक्षता भारत को प्राप्त हो रही हैं, यह कहकर प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी अहमियत रेखांकित की। अगले साल भारत में आयोजित होने वाली इस परिषद मे ३२ क्षेत्र से संबंधित करीबन २०० मिटिंग्ज्‌‍ देश के विभिन्न हिस्सों में होगी। भारत आयोजित कर रहें विशाल अंतरराष्ट्रीय परिषद मे ‘जी-२०’ का आयोजन सबसे ज्यादा अहम साबित होगा, यह विश्वास भी प्रधानमंत्री ने व्यक्त किया।

जी-२० का प्रतीक चिन्ह पेश करते समय प्रधानमंत्री ने इसके ज़रिये भारत की भावना और संकल्प व्यक्त होने की बात स्पष्ट की। जनतंत्र की जननी भारत विश्व को एक परिवार के तौर पर देखता हैं। इसी वजह से भारत ने ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रीड’ एवं ‘वन अर्थ, वन हेल्थ’ जैसीं कल्पनाओं पर काम किया। ‘जी-२०’ के लिए भारत ने ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्युचर’ यानी ‘एक ही वसुंधरा, एक परिवार और एक ही भविष्य’ की कल्पना रखी है। प्रधानमंत्री मोदी ने यह साझ्ाा किया।

साथ ही प्रधानमंत्री ने इस दौरान प्रधानमंत्री ने इस बार पूरा विश्व जी-७, जी-२०, संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद की ओर नेतृत्व की उम्मीद से देख रहा है, इसका अहसास भी कराया। भारत-जी-२०’ का सदस्य होने के बावजूद अभी ‘जी-७’ और संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद की सदस्यता भारत को प्राप्त नहीं हुई है। भारत के योगदान के बिना सुरक्षा परिषद और जी-७ जैसी संगठन उतनी प्रभावी साबित नहीं होगी , इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने अप्रत्यक्ष तरिके से ध्यान आकर्िषत किया।

भारत में आयोजित हो रही ‘जी-२०’ परिषद मे अंतरराष्ट्रीय स्तर के बड़े अहम मुद्दे पेश होंगे, ऐसा दावा विदेश मंत्रालय ने किया है। साथ ही इस परिषद के आयोजन की वजह से वैश्विक स्तर पर भारत का प्रभाव अधिक बढ़ेगा, यह चर्चा भी शुरू हुई है। इसके परिणाम काफी लंबे होंगे और भारत अधिक प्रभावी राष्ट्र बनकर विश्व में उभरेगा, यह विश्वास इस अवसर पर जताया जा रहा है। कोरोना की महामारी और बाद मे उभरे आर्थिक संकट की पृष्ठभूमि पर भारतीय अर्थव्यवस्था ने किया बड़ा प्रदर्शन काफी प्रभाव बनाने का मुद्दा साबित हुआ था। साथ ही यूक्रेन युद्ध के बाद उभरी ईंधन एवं अन्य ज़रूरी सामान की किल्लत का भारत पर विशेष असर नहीं हुआ। उल्टा इस दौर मे भारत अन्य देशों की तुलना में बेहतर विकास दर के साथ प्रगती करता देखा गया। अमरिकी फेडरल रिज़वर्ओ ने अपनाई नीति की वजह से डॉलर के मुल्य की वृद्धी हुई और इसकी आगे विश्व के अन्य प्रमुख देशों की मुद्रा फिसलती देखी गई थी। ऐसें में भारत के रुपये की भी गिरावट हुई, फिर भी अन्य प्रमुध देशों की तुलना में भारत के रुपये का प्रदर्शन काफी अच्छा दिखाई दे रहा है। इस सबका भारत में आयोजित हो रही ‘जी-२०’ परिषद पर असर हो सकता है।

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