अमेरिकी बैंकों की डेढ़ हजार से भी अधिक शाखाएं बंद – ‘ ऑफिस ऑफ द कॉम्ट्रोलर ऑफ द करन्सी’ की रपट

वॉशिंग्टन – पिछले साल अमेरिकी बैंकिंग क्षेत्र में उभरे ‘क्राइसिस’ का असर देश की पुरी बैंकिंग व्यवस्था पर अभी भी कायम होने की जानकारी सामने आ रही है। अमेरिका के शीर्ष बैंकों ने आर्थिक बहीखाता संभालने के लिए खर्च में भारी कटौती शुरू की है और अपनी शाखाओं की संख्या कम कर दी है। वर्ष २०२३ में अमेरिका के शीर्ष बैंकों ने डेढ़ हजार से भी धिक शाखाएं बंद की है। इसका असर कम आय के अमेरिकी परिवारों पर हुआ है और ५० प्रतिशत से भी अधिक नागरिकों ने बैंक की शाखाएं बंद होने पर चिंता जताई है।

पिछले साल मार्च में अमेरिका की ‘सिलिकॉन वैली बैंक’, ‘सिल्वरगेट’ और ‘सिग्नेचर बैंक’ मात्र सात दिनों में टूटी थी। इसके बाद ‘फर्स्ट रिपब्लिक बैंक’ भी आर्थिक संकट से घिरी थी। इस गिरावट के बाद अमेरिका के विभिन्न वित्तीय विशेषज्ञ एवं विश्लेषकों ने बैंकिंग क्षेत्र के संकट के होने वाले संभावित असर पर ध्यान आकर्षित करना शुरू किया था। बैंकों के एक के बाद एक टूटने की घटना पहले २००८ में भी देखी गई थी। अमेरिकी बैंकों की डेढ़ हजार से भी अधिक शाखाएं बंद - ‘ ऑफिस ऑफ द कॉम्ट्रोलर ऑफ द करन्सी’ की रपटइसके बाद अमेरिका सहित वैश्विक वित्त व्यवस्था को मंदी ने भारी नुकसान पहुंचाया था। इस वजह से अमेरिका का ‘बैंकिंग क्राइसिस’ वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए इशारे की घंटी होने की बात कही जा रही है।

अमेरिकी बैंक पर नियंत्रण रखने वाले ‘ऑफिस ऑफ द कॉम्ट्रोलर ऑफ द करन्सी’ की रपट में बैंकिंग क्षेत्र पर अभी भी संकट होने के संकेत दिए गए हैं। एक साल में देश के शीर्ष बैंकों ने कुल १,५५६ शाखाएं बंद कर दी हैं। ऐसा करते हुए ग्राहकों की बदलती ज़रूरतों की वजह बताई गई है। लेकिन, वास्तव में आर्थिक बहीखाता संभालने के लिए बैंकों ने अपनी शाखाएं और कर्मचारी कम करना शुरू करने की जानकारी सामने आ रही है।

‘वेल्स फार्गो’ नामक शीर्ष बैंक ने देश में अपनी ३१२ शाखाएं बंद कर दी हैं और ‘यूएस बैंक’ ने १७८ शाखाओं को ताला लगाया है। कैलिफोर्निया प्रांत में ३०० से अधिक शाखाएं बंद होने की जानकारी भी इस रपट से सामने आयी है।

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