मोटर मेकॅनिक और प्रजाहितदक्ष राजा

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‘सिफस बान्साह’  की उम्र ६७ साल है । उनका जन्म अफ़्रीका के ‘घाना’ देश के ‘होहोई’ प्रान्त में हुआ । पढ़ाई करने सिफस अपने दादाजी के साथ जर्मनी आये। यहीं पर उन्होंने मोटर मेकॅनिकी का प्रशिक्षण लिया और उसके बाद शहर में ही एक छोटासा गॅरेज शुरू किया । कुछ साल बाद सिफस ने उनकी दोस्त ग्रॅबिएला से शादी कर ली । उन्हें दो बच्चे हुए । सिफस की सुखमय गृहस्थी शुरू थी । लेकिन सन १९८७ में एक दिन ‘होहोई’ प्रान्त से सिफस को एक फॅक्स आया । इस फॅक्स से सिफस और उनके परिवार की ज़िन्दगी ही बदल गयी ।

‘सिफस बान्साह’ जर्मनी के लुदविजहाफेन शहर के निवासी हैं । सिफस सुबह ही अपने गॅरेज चले जाते हैं  । शाम तक वहीं पर काम करने के बाद वे अन्य आम इन्सानों की तरह ही घर लौट आते हैं । लेकिन घर आने के बाद सिफस का कुछ अलग ही काम शुरू हो जाता है और यह उनकी शाम की दिनचर्या में बदलाव, सन १९८७ में आये उस फॅक्स के बाद आया ।

यह शाम का उनका काम उनके घर से संबंधित नहीं होता है  । बल्कि वे घर से ‘घाना’ के ‘होहोई’ प्रान्त का राज्य-कारोबार चलाते हैं! साल में आठ बार सिफस को ‘होहोई’ प्रांत जाना पड़ता है । वहाँ के प्रजाजनों की समस्याओं को जान लेना होता है। इतना ही नहीं, बल्कि जनता के जीवनमान का स्तर बढ़ाने के लिए, जनता को अधिक नागरी सुविधाएँ प्राप्त हों इसलिए सिफस को कभीकभार जेब से भी पैसे खर्च करने पड़ते हैं ।

mechanic-king-2जर्मनी के लुटविजहाफेन शहर में रहकर सिफस अफ़्रीका के एक छोटे से प्रान्त का कारोबार कैसे चलाते हैं, उनपर इस प्रान्त का कारोबार चलाने की ज़िम्मेदारी किसने सौंपी, ऐसे सवाल शायद आपके मन में उठ सकते हैं । उसके पीछे एक अनोखी कहानी है ।

‘बान्साह’ परिवार यह होहोई का पारंपरिक राजघराना है । सिफस के जन्म के समय उसके दादाजी यहाँ के राजा थे । वे ही होहोई का राजपाट सँभाल रहे थे । बान्साह परिवार में जन्मे सिफस तेज़ दिमाग़वाले रहने के कारण दादाजी ने सिफस को अगली पढ़ाई के लिए जर्मनी भेजा । वहाँ के अपने एक दोस्त के पास मोटर मेकॅनिकी का प्रशिक्षण लेने के लिए उन्होंने सिफस का नाम दर्ज़ किया । अल्प अवधि में ही सिफस ने मोटर मेकॅनिकी का प्रशिक्षण लेकर शहर में अपना मोटर गॅरेज शुरू किया । सिफस की तरक्की देखकर दादाजी बेहद खुश हुए । होहोई का राजा अपने पोते को मोटर मेकॅनिक बना देखकर खुश हो जाता है, यह कुछ अजीब-सा ही लगेगा । लेकिन घाना जैसे पिछड़े देश में ‘होहोई’ की जनता के लिए ‘मोटर रिपेअर कर सकनेवाला राजपुत्र’ यह भी बहुत बड़ी बात साबित हो सकती है, यह हमें ध्यान में लेना चाहिए ।

जर्मनी में सेट्ल हो जाने के बाद सिफस की शादी हुई और उनके दो बच्चें भी हो गये । इसी दौरान, यहाँ पर होहोई में उनके दादाजी का देहांत हो गया। उनके पश्चात् सारी ज़िम्मेदारी सिफस के पिताजी पर आ गयी । लेकिन होहोई की जनता ने  सिफस के पिताजी का विरोध किया, क्योंकि वे बायें हाथ के (लेफ्टी) इन्सान थे! होहोई में प्रचलित धारणाओं के अनुसार, बायें हाथ का इस्तेमाल अच्छे काम के लिए नहीं किया जाता । सिफस के भाई भी बायें हाथ के इन्सान थे । इस कारण अब इस घराने के केवल सिफस ही राजा बनने के लायक बचे । इसीलिए सिफस को अब ‘होहोई के राजा’ के तौर पर ज़िम्मेदारी निभानी पड़ रही है ।

पिछले २९ सालों से ‘सिफस बान्साह’ जर्मनी के ‘लुदविजहाफेन’ शहर में से घाना के होहोई का राज्य-कारोबार चला रहे हैं । इस काम में उनकी पत्नी गॅब्रिएला और उनके दो बच्चें उनका हाथ बटाते हैं । ‘राजा’ के तौर पर सिफस ने अपनी प्रजा की ख़ातिर कई जनहित के काम किये हैं । जिनमें बुनियादी सुविधाओं का विकास, शिक्षासुविधाएँ, स्वास्थ्यकेंद्र का निर्माण इनका समावेश है । प्रजा की ख़ातिर काम करते समय भी उन्होंने अपने गॅरेज को नज़रअँदाज़ नहीं किया, यह लक्षणीय बात है । ज़ाहिर है, होहोई का यह राजा अपनी घरगृहस्थी चलाने के लिए अपनी प्रजा पर निर्भर नहीं है, बल्कि वह ही अपनी आय का कुछ हिस्सा अपनी प्रजा के कल्याण हेतु खर्च करता है ।

हर हफ़्ते शनिवार-रविवार उनके घर होहोई का दरबार संपन्न होता है । सिफस का यह दरबार घर से ही ‘स्काईप’ द्वारा वेबकास्ट किया जाता है ।

इस प्रकार ‘मोटर मेकॅनिक’ और ‘होहोई के राजा’ ऐसी दो भिन्न छोरों की भूमिकाएँ ‘सिफस बान्साह’ पिछले २९ सालों से बख़ूबी निभा रहे हैं ।

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