युरोप निर्वासितों के रेलों को रोक ही नहीं सकता

तुर्की राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन का दावा

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युरोपीय देश निर्वासितों को रोकने की चाहे लाख कोशिशें करें, मग़र फिर भी वे निर्वासितों के रेलों को रोक ही नहीं सकते, ऐसी धमकीभरी चेतावनी तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन ने दी। पिछले हफ़्ते ही, एर्दोगन ने यह धमकी दी थी कि वे तुर्की की सीमाओं को खोलकर, युरोप में जानेवाले निर्वासितों का मार्ग खुला कर देंगे। उसके तुरंत बाद ही आयी इस चेतावनी की ओर, ‘सिरिया के मुद्दे पर युरोपीय देशों पर दबाव डालने के प्रयास’ के रूप में देखा जा रहा है। इस पार्श्वभूमि पर, कुछ पश्चिमी नेता तथा विश्लेषकों ने, रशिया सिरिया पर हवाई हमले करके निर्वासितों की समस्या को जानबूझकर और बिग़ाड़ रहा होने का आरोप किया था।

‘युरोपीय देश चाहे कितनी भी अड़ियल, अमानवी तथा अविवेकी पद्धतियों का इस्तेमाल कर निर्वासितों के रेलों को रोकने की कोशिशें क्यों न करें, वे उसपर कभी भी नियंत्रण प्राप्त नहीं कर सकते, ऐसी धमकी राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने दी। सिरियन समस्या का हल निकालने के लिए सभी देशों में जल्द ही एकमत होना आवश्यक है, ऐसा उन्होंने ज़ोर देकर कहा। उसीके साथ, सिरिया का संघर्ष समाप्त कर देने में यदि सफलता प्राप्त नहीं हुई, तो निर्वासितों की समस्या और भी बिग़ड़ सकती है, ऐसी गर्भित चेतावनी भी तुर्की राष्ट्राध्यक्ष ने दी।

एर्दोगन ने पिछले हफ़्ते भी सिरिया का संघर्ष एवं निर्वासितों के मुद्दे को लेकर आक्रामक शब्दों में धमकी दी थी। ‘इससे पहले हमने युरोप जाना चाहनेवाले नागरिकों को हमारी सीमा पर ही रोककर रखा था। हमने उनकी गाड़ियों को रोका था, लेकिन यह बात एक या दो बार ही संभव हो सकती है। उसके बाद हम तुर्की में से युरोप जानेवाले दरवाज़ें पूरी तरह खुले कर देंगे और निर्वासितों को अगले प्रवास के लिए शुभकामनाएँ भी दे देंगे’, ऐसे शब्दों में तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने युरोप को चेतावनी दी थी।

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युरोपीय महासंघ तुर्की को उचित अर्थसहायता की आपूर्ति करें और तुर्की को दिए अन्य आश्वासनों को भी पूरा करें, ऐसा भी एर्दोगन ने कहा था। महासंघ ने हालाँकि तुर्की को अरबों युरो की अर्थसहायता देना क़बूल किया था, मग़र फिर भी वह अर्थसहायता मिलने के आसार दूर दूर तक भी नज़र नहीं आ रहे हैं, ऐसी नाराज़गी भी एर्दोगन ने ज़ाहिर की। सिरिया का संघर्ष और निर्वासितों के मुद्दे को लेकर युरोप को बार बार आगाह किया गया है, ऐसा भी तुर्की राष्ट्राध्यक्ष ने इस समय कहा था।

एक तरफ़ तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष युरोप पर दबाव डालने की कोशिश में रहते हुए ही, कुछ पश्चिमी नेता एवं विशेषज्ञों ने रशिया पर आरोप शुरू किये हैं । युरोपीय महासंघ और तुर्की को मुश्क़िल में डालने के लिए रशिया निर्वासितों की समस्या को और भी बिगाड़ने की कोशिश कर रहा होने की बात इस आरोप में की जा रही है। ‘रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन को निर्वासितों की समस्या को और भी भड़काना है। इस समस्या का शस्त्र जैसा इस्तेमाल कर पुतिन ‘नाटो’ संगठन को तोड़ने की, वैसे ही युरोपीय महासंघ को नाक़ाम साबित करने की कोशिश करेंगे’ ऐसा आरोप अमरीका के ज्येष्ठ नेता जॉन मॅक्वॅन ने किया।

युरोप के एक अभ्यासगुट ‘युरोपियन पॉलिसी स्टडीज्’ के विशेषज्ञ स्टीव्हन ब्लॉकमन्स ने ‘युरोपीय महसंघ को कमज़ोर बनाना’ यह रशियन नीति का हिस्सा रहने का दावा किया। राष्ट्राध्यक्ष पुतिन, युरोप द्वारा रशिया पर लगाये गये निर्बंधों का विरोध करने के लिए सिरिया की समस्या का इस्तेमाल कर रहे हैं, ऐसा ब्लॉकमन्स ने अपने दावे में कहा है। इस दावे की, ‘इंटरनॅशनल इन्स्टिट्यूट फॉर पीस’ के प्रमुख हॅन्स स्वोबोदा ने भी पुष्टि की है।

सिरिया का संघर्ष अधिक से अधिक बिग़ाडकर युरोप के सामने नयें नयीं समस्याएँ खड़ी करना, यह रशिया का छिपा अजेंडा रहने का आरोप स्वोबोदा ने किया। रशिया के सिरिया में बढ़ते जा रहे हवाई हमलें इसी बात को निर्देशित करते हैं।

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