‘२६/११’ के साजिशकर्ताओं को इसकी भारी कीमत चुकाने के लिए मज़बूर करना ही होगा – इस्रायली संसद के सभापति की मांग

जेरूसलम – ‘‘२६/११ का हमला यानी सीर्फ भारत पर हुआ हमला नहीं हैं, बल्कि इस्रायल पर हुआ आतंकी हमला था। इस हमले के लिए ‘लश्कर ए तोयबा’ के आतंकवादियों को जिन साज़िशकर्ताओं ने भेजा था, उन्हें इसकी भारी कीमत चुकाने के लिए मज़बूर करना ही होगा। आतंकवाद यह भारत और इस्रायल का समान शत्रू हैं’’, ऐसा बयान इस्रायल की संसद के सभापति अमिर ओहाना ने किया है। भारत दौरे पर आने से पहले मुंबई पर हुए २६/११ के आतंकवादी हमले की यात ताज़ा करके ओहाना ने सबका ध्यान आकर्षित किया। शुक्रवार से ओहाना के ४ दिन के भारत दौरे की शुरूआत हो रही है।

इस्रायली संसदसाल २००८ में मुंबई में किए गए २६/११ के कायराना आतंकवादी हमले में २०७ लोग मारे गए थए। इनमें से १७८ भारतीय थे। मुंबई स्थित ज्यूधर्मियों के छाबड हाऊस को भी इन आतंकियों ने लक्ष्य करके उनकी हत्या की थी, इसकी याद अमिर ओहाना ने बयान की। यह सीर्फ भारत या इस्रायल पर हुआ हमला नहीं था, बल्कि उदार विचारधारा पर भरोसा रखनेवाले हर एक पर हुआ हमला था। भारत और इस्रायल की एक समान विचारधारा को इस आतंकी हमले से लक्ष्य किया गया था, ऐसा ओहाना ने कहा। इसी कारण से मुंबई के छाबड हाऊस पर हुआ यह हमला यानी भारत और इस्रायल को पहुंची यातनाओं का प्रतिक बनता है, ऐसी प्रतिक्रिया ओहाना ने दर्ज़ की।

‘भारत और इस्रायल का समान मुल्यों पर विश्वास हैं और दोनों देश ऐतिहासिक नज़रिये से एकदूसरे से जुड़े हैं। भारत ज्यूधर्मियों के द्वेष को पनाह ना देनेवाला देश हैं और यह बात काफी अनोखी है। इसी वजह से इस्रायल की संसद के सभापति के तौर पर अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए हमने भारत का चयन किया’, ऐसा ओहाना ने स्पष्ट किया। अपने इस दौरे मे अमिर ओहाना भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, विदेश मंत्री एस.जयशंकर और लोकसभा के सभापति ओम बिर्ला से मुलाकात करेंगे।

मुंबई पर हुए २६/११ के आतंकवादी हमले के लिए ‘लश्कर’ के आतंवादियों को भेजनेवाले साजिशकर्ताओं को इसकी भारी कीमत चुकाने के लिए मज़बूर करना ही होगा, ऐसें तीखे शब्दों में इस्रायली संसद के सभापति ने सिधे नाम लिए बिना पाकिस्तान को लक्ष्य किया दिख रहा है। भारत ने पुख्ता सबुत देने के बावजूद पाकिस्तान ने २६/११ के मास्टरमाइंड हफीज सईद और उसके साथियों पर कार्रवाई नहीं की है। इसपर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनने पर पाकिस्तान किसी अन्य मामले में हफीज सईद को गुनाहगार करार देकर सज़ा सुनाता है। लेकिन, हफिज सईद, लखीउर रेहमान लख्वी एवं मुंबई पर हुए आतंकी हमले से जुड़े आतंवादियों को पाकिस्तान की अदालत ने सुनाई सज़ा यानी सिर्फ गुमराह करने की कोशिश है, ऐसा आरोप भारत ने लगाया था।

इन सबको जेल में कैद करने का चित्र दिखाकर पाकिस्तान की यंत्रणा आतंकी संगठनों के सरगनाओं को सुरक्षा मुहैया कराती हैं, यह भी अब स्पष्ट हुआ है। जेल में होने के दौरान इन आतंकवादियों को किसी को भी कई बार मिलने की अनुमति होती हैं। इस वजह से जेल से ही वह अपने हस्तकों के ज़रिये आतंकवादी गतिविधियां कर सकते हैं, यह बात बार बार स्पष्ट हुई थी। भारत ने यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई बार उठाया था।

इस पृष्ठभूमि पर इस्रायली संसद के सभापति अमिर ओहाना ने की हुई मांग ध्यान आकर्षित करती हैं। २६/११ के आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड को इसकी भारी कीमत चुकाने के लिए मज़बूर करना यानी की सीधे पाकिस्तान को सबक सिखाना होता हैं। क्यों कि, आजतक पाकिस्तान ही ऐसी आतकवादी संगठनों की सुरक्षा करके उनको संभालता बढ़ाता रहा है।

लेकिन, हाल ही के दिनों में इन आतंकी संगठनों के सरगनाओं की सुरक्षा करना पाकिस्तान के लिए कठिन होता दिख रहा है। आतंकी संगठनों के सरगना और उन्हें हर तरह की सहायता मुहैया कर रहे आईएसआई के अधिकारियों पर हमले शुरू हुए हैं और इन हमलों में ऐसे अधिकारी मारे जाने की खबरें भी पाकिस्तान से प्राप्त हो रही हैं। 

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