पश्चिमी देशों ने रशिया पर लगाए प्रतिबंधों की वजह से वैश्विक ईंधन बाज़ार में हुए बड़े बदलाव – माध्यम और अध्ययन मंडलों का दावा

वैश्विक ईंधन बाज़ारमास्को – रशिया-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पश्चिमी देशों ने रशिया पर लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से वैश्विक ईंधन बाज़ार में भारी मात्रा में बदलाव होने का वृत्त अमरिकी माध्यमों ने दिया है। रशिया अब पश्चिमी देशों के बजाय एशिया और अन्य हिस्सों में ईंधन का भारी मात्रा में निर्यात कर रही है और इससे वैश्विक व्यापार का गणित बदलेगा, ऐसा इस वृत्त में कहा गया है। तभी, ‘सेरा’ नामक अध्ययन मंडल ने पश्चिमी देशों ने रशिया पर लगाए ‘प्राईस कैप’ के परिणाम सामने आने लगे हैं और रशिया की आय काफी घटने का दावा किया है।

रशिया-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पश्चिमी देशों ने रशिया के खिलाफ काफी प्रतिबंध लगाए थे। इसमें जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भी शामिल थे। जापान ‘जी ७’ गुट का हिस्सा है और इस गुट ने रशिया के ईंधन एवं वित्त क्षेत्र पर प्रतिबंध लगाने की पहल की थी। रशियन ईंधन के दामों पर नियंत्रण लाने का प्रस्ताव भी ‘जी ७’ ने ही सबसे पहले पारित किया था।

वैश्विक ईंधन बाज़ारपश्चिमी देशों के इन प्रतिबंधों के बाद रशिया ने अपने ईंधन की रियायत की कीमत से बिक्री शुरू की और इसका एशियाई देशों ने लाभ उठाया है। इनमें भारत और चीन समेत अन्य देशों का समावेश होने का दावा ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की खबर में किया गया है। यह दोनों देश रशियन ईंधन के सबसे बड़े आयातक हैं। साथ ही जापान जैसा देश अब भी रशिया से भारी मात्रा में ईंधन आयात करता देखा गया है। कुछ दिन पहले साल २०२२ के पहले ११ महीनों में दोनों देशों का व्यापार बढ़कर १८ अरब डॉलर्स होने की जानकारी प्राप्त हुई थी।

यूरोप के ‘सेरा’ नामक अध्ययन मंडल ने ‘प्राईस कैप’ लागू करने के बाद रशियन ईंधन की कीमत प्रति बैरल १० से १५ डॉलर्स फिसलने की बात कही है। इसकी वजह से रशिया को हर दिन तकरीबन १७ करोड़ डॉलर्स नुकसान होने का दावा सेरा ने किया है।

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