ईंधन की दरें बढ़ते समय ही, सऊदी अरब द्वारा युरोप में मार्केट का विस्तार करने की गतिविधियाँ – पोलैंड के साथ तीन समझौतों पर हस्ताक्षर

मार्केट का विस्ताररियाध/वॉर्सा – अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ईंधन की दरें बढ़ रही है, ऐसे में सऊदी अरब में अपने मार्केट का विस्तार करने के लिए कदम उठाए हैं। युरोप के प्रमुख देशों में से एक होनेवाले पोलैंड के साथ सऊदी ने तीन ईंधन समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। इन समझौतों के माध्यम से पोलैंड समेत मध्य तथा पूर्वी युरोपीय देशों को ईंधन सप्लाई बढ़ाई जाएगी, ऐसे संकेत सूत्रों ने दिए हैं। रशिया यह युरोप को ईंधन सप्लाई करनेवाले अग्रसर देश के रूप में जाना जाता है। इस पृष्ठभूमि पर, सऊदी द्वारा युरोपीय मार्केट के लिए शुरू हुईं गतिविधियाँ गौरतलब साबित होती हैं।

बुधवार को सऊदी अरब की प्रमुख ईंधन कंपनी ‘अ‍ॅराम्को’ और पोलैंड की ‘पीकेएन ऑर्लेन’ इन कंपनियों के बीच ईंधन समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इस समझौते के अनुसार, अ‍ॅराम्को पोलिश कंपनी की रिफाइनरी के साथ ‘जेट फ्युएल युनिट’ और ‘असोसिएटेड होलसेल बिझनेस’ के हिस्से की खरीद करनेवाली है। इसके अलावा पोलैंड समेत मध्य तथा पूर्वी युरोप में ईंधन क्षेत्र में उपलब्ध होनेवाले विभिन्न अवसरों का फ़ायदा उठाने के लिए एकत्रित रूप में काम किया जानेवाला है। इस समझौते में अ‍ॅराम्को के साथ ही सऊदी की ‘सॅबिक’ इस कंपनी का भी सहभाग होगा। युरोप के ऊर्जा क्षेत्र में संशोधन एवं विकास के लिए भी परियोजनाएँ बनाने के संकेत सऊदी और पोलिश कंपनियों के समझौते में दिए गए हैं।

मार्केट का विस्तारइस समझौते के बाद सऊदी द्वारा पोलैंड को निर्यात किए जानेवाले क्रूड ऑयल की सप्लाई प्रतिदिन लगभग साढ़ेतीन लाख बैरल्स तक बढ़नेवाली है। फिलहाल यह प्रमाण महज एक लाख बॅरल्स इतना है। पोलैंड के साथ हुए समझौते में हंगेरी की ईंधन कंपनी का भी समावेश है। पोलैंड और हंगेरी ये दोनों देश रशियन ईंधन के ग्राहक देश के रूप में जाने जाते हैं। उसी के साथ, पूर्वी और मध्य युरोप के कई देशों को रशिया से ईंधन की सप्लाई की जाती है। इस पृष्ठभूमि पर, सऊदी ने रशिया का मार्केट होनेवाले युरोपीय देशों में विस्तार करना गौरतलब साबित होता है।

इससे पहले रशिया ने, सऊदी अरब का मार्केट होनेवाले एशियाई देशों के साथ ईंधन सप्लाई के लिए समझौता करके अपनी निर्यात बढ़ाई थी। अब ईंधन की दरें 80 डॉलर्स प्रति बॅरल पर होते समय और रशिया और युरोप के बीच तनाव होते समय, सऊदी युरोपीय देशों को ईंधन की सप्लाई कर रहा है। यह बात सऊदी और रशिया के बीच प्रतिस्पर्धा और विवाद का भी कारण बन सकती है, ऐसा दावा विश्लेषक कर रहे हैं।

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