क्रान्तिगाथा-८४

भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति तक का जो संघर्षमय काल था, उस काल में भारतीय जनमानस में चेतना को जगाने का काम कई देशभक्तिपर घोषणाओं और गीतों ने किया। ‘वंदे मातरम्’ जैसी देशभक्तिपर घोषणाएँ, ‘जन गण मन’ जैसे देशभक्तिपर गीत हर एक भारतीय को देश के लिए कुछ करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे।

तमिलनाडु में दिसम्बर १८८२ में जन्मे सुब्रह्मण्य भारती ‘महाकवि भारतीयर्’ इस नाम से भी जाने जाते है। इनके द्वारा लिखे गये देशभक्तिपर गीत और रचनाएँ जनमानस को उस समय जागृत कर रही थी।

सुब्रह्मण्य भारती का जन्म दिसंबर १८८२ में ‘इट्टयापुरम्’ में हुआ। उनके कवित्व की झलकियाँ उनकी उम्र के १०-११ वर्ष से ही दिखायी देने लगी थी। अपने जन्मस्थान में और आसपास के प्रदेश में उन्होंने कॉलेज तक की शिक्षा प्राप्त की।

आगे बनारस जाने के बाद उन्होंने हिंदी, संस्कृत और अँग्रेज़ी भाषाओं में महारत हासिल की। दक्षिण भारत लौटने के पश्‍चात् उन्होंने पत्रकारिता में रुचि लेना आरंभ किया। ‘स्वदेशमित्र’ नामक समाचारपत्र में उनके कार्यकाल की शुरुआत हुई। इसके पश्‍चात् वे भारतीय अध्यात्म और दर्शनशास्त्र से भी परिचित हो गये।

‘इंडिया’, ‘बाल भारतम्’ और ‘विजय’ इन समाचारपत्रों के साथ वे लेखक, संपादक इन भूमिकाओं में से जुड़ गये। इन समाचारपत्रों में अँग्रेज़ों के विरोध में किये जानेवाले लेखन के कारण ज़ाहिर है कि इन समाचारपत्रों पर अँग्रेज़ों ने प्रतिबंध लगाया। इन समाचारपत्रों से जुड़े हुए लेखकों और संपादकों को बंदी बनाने की मुहीम अँग्रेज़ों द्वारा छेडी गयी। उस समय सुब्रह्मण्य भारती पाँडेचरी रवाना हो गये और उन्होंने वहाँ से अपना कार्य जारी रखा। उस वक़्त पाँडेचरी पर फ्रान्सिसियों का अधिकार होने के कारण वहाँ अँग्रेज़ों के कायदे कानून नहीं चलते थे। लेकिन पाँडेचरी से लौटते समय अँग्रेज़ों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और ३ हफ्तों की सजा सुनायी।

सुब्रह्मण्य भारती ने भारतीय अध्यात्म, दर्शनशास्त्र से लेकर भारतीय स्वतंत्रता सेनानीयों के बारे में लेखन किया। देश के लिए लड़ चुके और लड़नेवाले वीरों की गाथा अपने शब्दों के माध्यम से हर एक देशवासी तक पहुँचायी। दुर्भाग्यवश सितंबर १९२१ में एक दुर्घटना में उनका देहान्त हो गया।

१७ जून १९११ का वह दिन था। ‘मनियाची’ नामक रेल्वे स्टेशनपर एक गाडी खड़ी थी। इतने में अचानक उस स्टेशन पर गोलियों की आवाज सुनायी दी। क्या हुआ? वह देखने स्टेशन पर मौजूद लोग दौडे। तब पता चला कि इस गाडी के प्रथम वर्ग के डिब्बे में एक ब्रिटिश अफसर अपनी पत्नि के साथ बैठा हुआ था। अच्छी तरह पोशाक किये हुए दो नौजवान उसके पास आये और उनमें से एक ने उस अफसर पर गोलियाँ दागी। गोलियाँ उस अफसर के सीने में लगी और उन गोलियों ने उस ब्रिटिश अफसर को निशाना बना लिया। कौन था वह अफसर? वह था तिरुनेलवेली का डिस्ट्रीक्ट कलेक्टर-जनरल अ‍ॅश। इस घटना में तिरुनेलवेली का जनरल अ‍ॅश नामक कलेक्टर गोलियाँ लगने से मृत हो गया। यह डिस्ट्रीक्ट कलेक्टर भारतीयों से विद्वेष करने के लिए काफ़ी विख्यात हो चुका था।

ब्रिटिश डिस्ट्रीक्ट कलेक्टर मारा गया, यकिनन यह कार्य किसी भारतीय का ही होगा और उसके खोज की मुहिम शुरू हो गयी। लेकिन इस घटना में अँग्रेज़ भारतमाता के उस सपूत को कुछ भी नहीं कर सके; क्योंकि अँग्रेज़ों के हाथों में पडने से पहले ही उसने अपना जीवन समाप्त कर दिया था।

किसका था यह काम? वंचि इस नाम से जाने जानेवाले भारतमाता के एक सपूत ने ब्रिटिश कलेक्टर अ‍ॅश को मौत के घाट उतार दिया। १८८६ में ‘शेनकोट्टाइ’ में जन्मे शंकरन् उर्फ वंचिनाथन उर्फ वंचि ने अपने जन्मस्थल पर ही प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की थी। आगे चलकर उन्होंने एम.ए. की डीग्री हासिल की। व्ही.व्ही.एस् अय्यर से इनका स्नेह जुड़ गया। दोनों देशभक्तों के स्नेह में देश की स्वतंत्रता यही प्रमुख सूत्र था।

कलेक्टर अ‍ॅश को मौत के घाट उतारनेवाले वंचिनाथन की उम्र उस समय केवल २५ साल थी। अ‍ॅश को मारने के पीछे रहनेवाले अपने उद्देश को भी उन्होंने एक खत के माध्यम से सविस्तार रूप से ज़ाहिर किया था। क्योंकि अ‍ॅश को मारने के बाद वंचिनाथन के पास यह खत मिला। इस खत का आशय कुछ इस प्रकार था – इस भूमि पर राज करने आये अँग्रेज़ों ने भारतीयों को गुलाम तो बना ही दिया है; साथ ही उन्होंने भारतीयों के धर्म पर भी आक्रमण किया है। इसी कारण शूरवीरों और भगवद्भक्तों की इस भूमी का हर एक भारतीय क्रोधित है और अँग्रेज़ों को अपनी मातृभूमि से खदेड़ देने के लिए यथासंभव कोशिश कर रहा है। इस खत से यह पता चला कि वंचिनाथन का लक्ष्य केवल कलेक्टर अ‍ॅश ही था और उन्होंने अपने काम को अंजाम दिया।

किसी अँग्रेज़ के मृत्यु के लिए यदि कोई भारतीय जिम्मेदार होता है, तो उसकी क्या हालत की जाती है इससे तो अब तक सारे भारतीय परिचित हो ही चुके थे। इसीलिए जिवित अवस्था में अँग्रेज़ों के हाथों न लगने का निर्णय लेकर वंचिनाथन ने उस पर अमल भी किया। इसी कारण कलेक्टर अ‍ॅश को मौत के घाट उतारनेवाले भारतमाता के सपूत वंचिनाथन का निष्प्राण देह ही अँग्रेज़ों के हाथ लगा।

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