जाफना मे ‘केकेएस’ बंदरगाह के विकास के लिए श्रीलंका को भारत से वित्त सहायता

कोलंबो: श्रीलंका के उत्तर में जाफना प्रांत व्यूहरचनात्मक रूप से महत्वपूर्ण कांकेसनाथूराय (केकेएस) बंदरगाह विकसित करने के लिए भारत श्रीलंका को ४.५२ करोड़ डॉलर्स की सहायता देने वाला है। कुछ महीनों पहले चीन के लिए महंगे कर्जे के बदले श्रीलंका को अपना हंबनटोटा बंदरगाह ९९ वर्ष के लिए चीन को देना पड़ा था। इस पृष्ठभूमि पर केकेएस बंदरगाह विकसित करने के लिए श्रीलंका ने भारत पर दिखाया विश्वास महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस की वजह से हंबनटोटा में हवाई अड्डा त्रिन्कोमाले हंबनटोटा बंदरगाह के बाद भारत और श्रीलंका में हुए इस करार का महत्व बड़ा है।

 कांकेसनाथूराय

केकेएस बंदरगाह पूर्ण रूप से व्यवसायिक बंदरगाह के तौर पर विकसित करने का निर्णय श्रीलंका ने लिया था। क्षेत्रीय मेरीटाइम हब के तौर पर यह बंदरगाह विकसित करने के लिए एवं इस बंदरगाह मे माल परिवहन संभालने की क्षमता बढ़ाने के लिए बड़ी तादाद में मूलभूत सुविधा विकसित करने की आवश्यकता है। इस के लिए श्रीलंका ने भारत के पास कर्ज मांगा था। इस के अनुसार श्रीलंका के वित्त मंत्रालय और भारत के एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक ऑफ इंडिया (एग्जिम बैंक) ने सहयोगी करार हुआ है। इस के करार अनुसार भारत श्रीलंका को ४ करोड़ ५२ लाख ७० हजार डॉलर्स (६.९१ अब्ज श्रीलंकन रुपए) की आर्थिक सहायता करने वाला है।

सन २०११ में श्रीलंका में गृहयुद्ध खत्म होने के बाद के इस बंदरगाह में डूबे हुए नौदल के जहाजों को बाहर निकालने के लिए श्रीलंका ने भारत की प्रथम सहायता ली थी। उसके बाद इस बंदरगाह के निर्माण के लिए भारत ने श्रीलंका को सहायता की थी। इस की वजह से यह बंदरगाह विकसित करने के लिए श्रीलंका ने फिर से भारत के पास मदद मांगी है। श्रीलंका में व्यूहरचनात्मक रुप से एक और महत्वपूर्ण बंदरगाह त्रिन्कोमाले के विकास के लिए भी भारत श्रीलंका को मदद करने वाला है। इस बारे में दोनों देशों में चर्चा शुरू है। तथा हंबनटोटा बंदरगाह से कई मटाला राजपक्षे इंटरनॅशनल एयरपोर्ट विकसित करने के लिए भारत श्रीलंका को सहायता कर रहा है। यह हवाई अड्डा भारत को किराये पर देने की तैयारी श्रीलंका के सरकार ने दिखाई है।

श्रीलंका के भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष महिंद्रा राजपक्षे के कार्यकाल में चीन का श्रीलंका पर प्रभाव था। इस काल में चीन से लिए महंगे कर्जे के चंगुल में श्रीलंका फंसने की बात दिखाई दे रही है। पर उस के बाद सत्ता पर आए हुए राष्ट्राध्यक्ष मैत्रीपाला सिरिसेना सरकार द्वारा हंबनटोटा बंदरगाह चीन ने कब्जे में लेने के बाद, भारत के साथ कई महत्वपूर्ण करार करके संतुलन बनाने का प्रयत्न कर रहे हैं। हालही में कई समय से भारत का फिर से श्रीलंका पर बढ़ा हुआ प्रभाव, दोनों देशों में हुए करार से रेखांकित हो रहा है।

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