जापान के प्रधानमंत्री भारत के दौरे पर आएँगे

नई दिल्ली: जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे गुरुवार से भारत के दौरे पर आ रहे हैं। भारत और चीन के बीच डोकलाम को लेकर निर्माण हुए तनाव की पृष्ठभूमि पर जापान के प्रधानमंत्री की यह भेंट महत्वपूर्ण है। उनके इस दौरे में दोनों देशों के बीच अन्य क्षेत्र की सहकारिता  के साथ ही भारत के पूर्वोत्तर राज्यों की बुनियादी सुविधाओं के विकास के मामले में महत्वपूर्ण सहकार्य अपेक्षित है। इस क्षेत्र में जापान भारत को कर रहे सहायता पर चीन ने समय समय पर आपत्ति जताई थी।

भारत दौराभारत और चीन की सेना ‘डोकलाम’ में दो महीनों से अधिक समय तक एक दूसरे के सामने खड़ीं थी। चीन की ओर से युद्ध की धमकियां मिलने के बावजूद भी भारत ने इस मामले में अपनाई ठोस नीति की वजह से चीन मजबूर हुआ और चीन को समझौता करना पड़ा। ब्रिक्स परिषद की पृष्ठभूमि पर चीन ने यह समझौता किया है, लेकिन फिर भी आने वाले समय में चीन डोकलाम के साथ साथ भारत के अन्य सीमा इलाकों में घुसपैठ करके बदला लेने की कोशिश करेगा, ऐसा डर लग रहा है। भारत इस बात की विशेष सावधानी बरत रहा है। इसके लिए भारत ने पूर्वोत्तर राज्य और चीन के पास के सीमा इलाकों में बुनियादी सुविधाओं की योजनाओं को गतिमान बना रहा है।

इस पृष्ठभूमि पर, जापान के प्रधानमंत्री भारत के दौरे पर आ रहे हैं और पूर्वोत्तर भारत के विकास योजनाओं में जापान ने विशेष रूप से उत्सुकता दिखाई थी। इस संदर्भ में जापान भारत को कर रहे सहायता पर चीन ने कई बार आपत्ति जताई थी और उसके खिलाफ जापान को चीन के सरकारी माध्यमों ने धमकीयाँ भी दी थी। लेकिन जापान ने उसे नजरअंदाज किया था। साथ ही डोकलाम विवाद में भारत के पीछे मजबूती से खड़े होने वाले देशों में जापान का भी नाम था। इस वजह से चीन पर दबाव बहुत ज्यादा बढ़ गया था। इस पृष्ठभूमि पर जापान के प्रधानमंत्री की यह भारत भेंट और पूर्वोत्तर राज्यों  की  विकास  योजनाओं के लिए जापान ने दिखाई उत्सुकता चीन की अस्वस्थता बढ़ा सकती है।

दौरान, भारत और जापान के बीच नीति साथ ही सामरिक स्तर पर सहकार्य यह चीन की चिंता की प्रमुख वजह साबित हो रही है। जापान की ओर से भारत को ‘यूएस २आय’ इन नजर रखने वाले विमानों की आपूर्ति के बारे में बातचीत चल रही है।

चीन ने इस व्यवहार पर भी आपत्ति जताई थी। लेकिन उसकी परवाह न करते हुए जापान और भारत यह अनुबंध पूरा करने की दिशा में तेजी से आगे जा रहे हैं। प्रधानमंत्री अबे के इस दौरे में दोनों देशों के बीच रक्षा विषयक सहकारिता अधिक मजबूत होने के निर्णय लिए जाने वाले हैं और उस पर चीन की ओर से प्रतिक्रिया अपेक्षित है और चीन फिर एक बार इस समस्या पर भारत और जापान को इशारा देने की संभावना है।

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