चीन की ओर से भारत को मिल रही युद्धधमकियों के बीच भारत-अमरीका-जापान का ‘मलबार’ युद्धअभ्यास

नयी दिल्ली, दि. ५ : सिक्किम सीमा पर भारत-चीन के बीच तनाव बढ़ रहा है, तभी बंगाल की खाड़ी में भारत-अमरीका और जपान की नौसेनाओं का ‘मलबार’ युद्धअभ्यास शुरू हो रहा है| पिछले दो महीनों में हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की पनडुब्बियों की आवाजाही बढ़ी है| उसी समय, ‘साऊथ चायना सी’ तथा ‘नॉर्थ चायना सी’ क्षेत्र में चीन कर रहे दावों को लेकर अमरीका और जपान के चीन से रहनेवाले रिश्तों में कडवाहट आयी है। ऐसे में, ‘मलबार’ को काफी बड़ी सामरिक अहमियत प्राप्त हुई है| इस युद्धअभ्यास की पार्श्‍वभूमि पर चीन ने अपनी गश्ती नौका हिंद महासागर में भेजी है| सिक्किम सीमा पर निर्माण हुए तनाव के बाद, ‘भारत की हालत सन १९६२ के युद्ध से भी ज़्यादा ख़राब होगी’ ऐसी धमकी देनेवाला चीन, इस युद्धअभ्यास के कारण काफी बैचेन हुआ दिखाई दे रहा है|

‘मलबार’ युद्धअभ्यासइस वक्त होने जा रहा ‘मलबार’ युद्धअभ्यास पनडुब्बीविरोधी युद्धतंत्र पर आधारित है| १० जुलाई को बंगाल की खाड़ी में यह युद्धअभ्यास शुरू होगा| ‘मलबार’ युद्धअभ्यास में १५ युद्धनौकाएँ शामिल होनेवाली हैं| अमरीका की ‘युएसएस निमित्झ’ यह परमाणु विमानवाहू युद्धनौका और ‘लॉस एंजलिस’ यह परमाणु पनडुब्बी इस युद्धअभ्यास के लिए जल्द ही बंगाल की खाड़ी में दाखिल होंगी| भारत की ‘आयएनएस विक्रमादित्य’ समेत सात युद्धनौकाएँ और पनडुब्बी इस युद्धअभ्यास में शामिल होनेवाली हैं| वहीं, जपान की ‘लाझुमो’ इस आधुनिक युद्धनौका के साथ और दो युद्धनौकाएँ भी इस युद्धअभ्यास में शामिल होनेवाली हैं|

सन २००२ से लेकर भारत और अमरीका की नौसेनाओं के बीच ‘मलबार’ युद्धअभ्यास का आयोजन किया जाता है| सन २०१५ से इस युद्धअभ्यास में जपान को हमेशा के लिए शामिल करने का निर्णय लिया गया है| भारत और अमरीका के बीच होनेवाले इस युद्धअभ्यास में सन २००७ में जापान और ऑस्ट्रेलिया को शामील करने के बाद, चीन की ओर से इसपर तीखी प्रतिक्रिया आयी थी| इसके बाद कुछ सालों तक भारत ने जपान और ऑस्ट्रेलिया को इस युद्धअभ्यास से दूर रखा था| लेकिन पिछले कुछ सालों में हालात बदले हैं और चीन की आक्रामकता को भारत की ओर से उसी तरह मुँहतोड़ जवाब दिया जा रहा है| इसी वजह से चीन के विरोध के बावजूद भी भारत और अमरीका ने, दो साल पहले जपान को इस युद्धअभ्यास में हमेशा के लिए शामिल कर लिया है|

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