अमरीका पर कर्जे का बोझ २० लाख करोड़ डॉलर्स

वॉशिंगटन: अमरीका की अर्थव्यवस्था पर कर्ज का बोझ लगभग २० लाख करोड़ डॉलर्स तक पहुंचा है। अमरीका के इतिहास में कर्ज के बोझ ने २० लाख करोड़ डॉलर्स की मर्यादा पार करने की यह पहली घटना है। मार्च माह से अमरीका के राज्य-कोष विभाग ने नए कर्ज पर पाबन्दी लगाई थी। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प और डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच हुई चर्चा के बाद यह पाबन्दी उठाई गई थी।

पिछले हफ्ते अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने अर्थव्यवस्था पर लगाई गई कर्ज के बोझ की मर्यादा उठानेवाले विधेयक पर हस्ताक्षर किए थे। इस विधेयक के अनुसार, ८ दिसम्बर तक सरकार अवश्यकता के अनुसार कर्ज ले सकता है। मर्यादा उठाने के बाद कुछ ही दिनों की अवधि में अमरिकी अर्थव्यवस्था ने २० लाख करोड़ डॉलर्स की मर्यादा लांघने की वजह से चिंता व्यक्त की जा रही है।

अर्थव्यवस्थाअमरीका के ‘कांग्रेशनल बजेट ऑफिस’ ने दी हुई जानकारी के अनुसार २० लाख करोड़ डॉलर्स की मर्यादा पार करने की यह पहली घटना है। २० लाख करोड़ डॉलर्स का आंकड़ा दूसरे विश्वयुद्ध के बाद की उच्च संख्या है, ऐसा कहा जा रहा है। अर्थव्यवस्थापर के इस कर्ज के बोझ में सार्वजनिक कर्ज का हिस्सा १४.६ लाख करोड़ डॉलर्स है और सरकारी विभागों ने आपस में दिए हुए कर्ज का मूल्य ५.५ लाख डॉलर्स है।

अर्थव्यवस्था पर इतने बड़े बोझ का कुछ अर्थशास्त्रियों ने तीव्र चिंता जताई है। ’२० लाख करोड़ डॉलर्स की मर्यादा पार करना यह घटना देश की अर्थव्यवस्था की दयनीय स्थिति को दर्शाती है। इस बढ़ते बोझ की वजह से अगले दशक में अमरीका को छह लाख करोड़ डॉलर्स का सिर्फ ब्याज देना पड़ेगा। देश की अगली पीढ़ी के लिए अमरीका जो प्रावधान कर रही है, उससे भी यह प्रमाण अधिक है। इसका अर्थ अमरीका अपने भूतकाल पर भविष्य से ज्यादा खर्च कर रही है’ इन शब्दों में अर्थशास्त्री मायकल पीटरसन ने सरकार को सुनाया है।

रिपब्लिकन पार्टी के संसद सदस्य मार्क वॉकर ने भी कर्जे के बढ़ते बोझ को लेकर नाराजगी जताई है। इस बढ़ते बोझ के लिए राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प के साथ संसद के दोनों पक्ष जिम्मेदार होने का आरोप उन्हों ने लगाया है। रिपब्लिकन पार्टी का एक गुट इसपर नाराज है और इसके आगे कर्जे की मर्यादा बढ़ाते वक्त खर्चे के सन्दर्भ में सुधार समाविष्ट करने ही पड़ेंगे’, ऐसी आग्रही भूमिका वॉकर ने ली है। कर्जे की मर्यादा बढाने के सन्दर्भ में प्रस्ताव अगले साल मार्च में प्रस्तुत होगा, ऐसे संकेत दिए गए हैं।

तीन महीनों पहले ही अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की प्रमुख अर्थसंस्थाओं ने विश्व अर्थव्यवस्था के कर्जे का प्रमाण मर्यादा लांघ रहा है, ऐसा इशारा दिया था। ‘इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ फाइनेंस’ ने दी रिपोर्ट में अर्थव्यवस्था पर कर्ज का बोझ २१७ लाख करोड़ डॉलर्स पर जाकर पहुंचा है, ऐसा इशारा दिया था। यह प्रमाण विश्व अर्थव्यवस्था के ‘जीडीपी’ के करीब ३२७ प्रतिशत तक पहुँचने की बात भी इस रिपोर्ट में कही गई थी।

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