भारत, अमरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया का सहयोग चीन विरोधी न हो – चीन के विदेश मंत्रालय का आवाहन

बीजिंग: हिंद महासागर से पैसेफिक महासागर क्षेत्र तक स्थिरता एवं सुव्यवस्था स्थापित करने के लिए भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया इनके साथ चर्चा करने का प्रस्ताव अमरिकाने दिया था। इसपर चीन से प्रतिक्रिया आयी है। इन ४ देशों की चर्चा एवं सहयोग अन्य देशों के विरोध में ना हो, ऐसी अपेक्षा चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ताने जताई है। इससे पहले, भारत अमरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का सहयोग चीन विरोधी ही होने का आरोप चीन में किया गया था। इस बार चीन सीधे आरोप न करके राजनैतिक भाषा में इन चारों देशों को इशारा देने के बात दिखाई दे रही है।

चीन विरोधी, आवाहन, पैसेफिक महासागर, हिंद महासागर, सहयोग, चीन, श्रीलंकाकुछ दिनों पहले अमरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, दक्षिण एवं मध्य आशिया विभाग के उपमंत्री एलिस जी वेल्स ने हिंद महासागर क्षेत्र से पैसेफिक महासागर तक के क्षेत्र में शांति, स्थिरता एवं परिवहन की स्वतंत्रता के लिए भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन देशों से अमरिका चर्चा करेगा, ऐसा घोषित किया था। परिवहन में स्वतंत्रता, सागरी सुरक्षा, मानवतावादी सहायता और आपत्ती समय में सहयोग इत्यादि मुद्दो का चर्चा में समावेश था, ऐसा भी कहा था। इस दौरान अमरिका के विदेश मंत्रालयने पैसेफिक महासागर क्षेत्र में चीन के अड़ियल स्वभाव के विरोध में स्पष्ट भूमिका लेकर चीन को सूचित किया था।

चीन शिकारी अर्थनीति का उपयोग करके, पड़ोसी देशों पर वर्चस्व दिखाने का आरोप अमरिका के विदेश मंत्रालयने किया था। इस शिकारी अर्थनीति में किसी देश की क्षमता से अधिक कर्ज प्रदान करने के मुद्दे का समावेश है। चीन अपनी आर्थिक क्षमता का उपयोग सामरिक कारणों के लिए करने का आरोप भी अमरिका ने किया था। स्पष्ट उल्लेख न करके उन्होंने श्रीलंका को बड़ी तादाद में कर्ज देकर उसके बदले में ‘हंबनटोटा’ जैसा महत्वपूर्ण बंदरगाह ९९ वर्ष के लिए प्राप्त करने के लिए चीन ने यह षड्यंत्र रचा था। उस समय ‘साउथ चाइना सी’ तथा ‘ईस्ट चाइना सी’ क्षेत्र भाग पर अपना मलिकत्व होने का बयान देकर चीन इस क्षेत्र पर वर्चस्व दिखाने का प्रयत्न कर रहा है।

विशेषता, साउथ चाइना सी क्षेत्र मे प्रति वर्ष के आखिर तक ५.३ ट्रिलियन डॉलर, कितने रकम का माल परिवहन होता है। इसलिए चीन के कारवाईयों की वजह से जागतिक व्यापार खतरे में आने की बात दिखाई दे रही है। चीन के इस खतरों का सामना करने के लिए अमरिका ने भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया है। राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्पने इसकी घोषणा करके चीन पर दबाव बनाया है। इस पृष्ठभूमि पर चीन के विदेश मंत्रालय से यह प्रतिक्रिया आयी है। चारों देशों की चर्चा में दूसरे देश एवं उनके हितसंबंधों को खतरा ना हो एवं यह चर्चा आपसी सौहार्द एवं सहयोग के लिए अनुकूल हो ऐसी मांग चीनने की है।

चीन के विदेश मंत्रालयने इसके बारे में निवेदन प्रसिद्ध करते हुए, सौम्य राजनीतिक भाषा का उपयोग किया है। फिर भी चीन द्वारा चारों देशों को इशारा देने के बात दिखाई दे ही है, इससे पहले भारत, अमरिका तथा जापान, ऑस्ट्रेलिया के साथ सहयोग पर चीन ने कड़े शब्दों में आलोचना की थी। यह सहयोग चीन विरोधी होने का आरोप चीन के अधिकृत स्तर पर किया जा रहा है और चीन की सरकारी माध्यम अधिक कड़े शब्दों में अपने सरकार की भूमिका प्रस्तुत कर रहे हैं।

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