विश्व में तीसरे क्रमांक की अर्थव्यवस्था जापान का जन्मदर सबसे न्यूनतम स्तर पर – साल 2022 में आठ लाख से भी कम जन्म होने की जानकारी

टोकियो – विश्व में तीसरे क्रमांक की अर्थव्यवस्था कही जा रही जापान में जन्मदर फिसलकर सबसे नीचले स्तर पर पहुंचा हैं। साल 2022 में जापान में आठ लाख से भी कम बच्चों का जन्म होने की जानकारी दर्ज़ हुई है। जापान में महिलाओं की प्रजनन क्षमता भी कम हुई हैं और यह दर भी फिसलकर 1.3 प्रतिशत होने की जानकारी सामने आयी है। जन्मदर और प्रजनन क्षमता कम होने के साथ ही मृत्यूदर करीबन 9 प्रतिशत बढ़ा है। पिछले महीने में जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा ने जन्मदर और जनसंख्या की गिरावट की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए जापान एक समाज के तौर पर खड़ा रहने में असफल होगा, इसका गंभीर अहसास कराया था।

जन्मदरजापान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को जनसंख्या के आंकड़े घोषित किए। इसमें साल 2022 में जापान में नवजात शिशुओं की संख्या 7 लाख 99 हजार 728 बताई गई है। साल 2012 की तुलना में इसमें कुल 5.1 प्रतिशत गिरावट हुई है। साल 1899 के बाद जापान में जन्मे बच्चों की संख्या आठ लाख से भी कम होने का यह पहला अवसर है। जापान में 1980 के दशक से ही जनसंख्या और जन्मदर की गिरावट शुरू हुई और साल 2022 के आंकड़े ऐतिहासिक नीचले स्तर के होने की बात कही जा रही है।

जापान में शरणार्थियों पर प्रतिबंध हैं और जनसंख्या स्थिर रखने के लिए देश की महिलाओं की प्रजनन क्षमता का दर 2.1 प्रतिशत आवश्यक है। लेकिन, जापानी महिलाओं की प्रजनन क्षमता लगातार कम हो रही हैं और पिछले साल यह दर 1.3 प्रतिशत तक फिसला। साथ ही जापान में ज्येष्ठ नागरिकों की संख्या और मृत्यूदर बढ़ता देखा जा रहा हैं। साल 2022 में जापान में 15.8 लाख लोगों की मौत हुई। साल 2021 की तुलना में यह संख्या 8.9 प्रतिशत ज्यादा है। जनसंख्या पर गौर करे तो जापान में ज्येष्ठ नागरिकों की तादात विश्व में सबसे अधिक है।

सबसे कम जन्मदर, कम होती जनसंख्या ज्येष्ठ नागरिकों की बढ़ती तादात के गंभीर परिणाम जापानी समाज को भुगतने होंगे, ऐसी चेतावनी अभ्यासकों ने दी। करीबी समय में जापान में मनुष्यबल तेज़ कम होगा और करदाताओं की संख्या भी कम होगी। साथ ही दूसरी ओर ज्येष्ठ नागरिकों का खर्च बढ़ने से अर्थव्यवस्था पर काफी भार बनेगा, इसपर विश्लेषक और माध्यमों ने ध्यान आकर्षित किया। 

जापान की सरकार ने इस समस्या का गंभीर संज्ञान लिया है। जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा ने पिछले महीने में ही देश की जनता का इस मुद्दे पर ध्यान खिंचने की कोशिश की थी। जन्मदर और जनसंख्या की गिरावट जारी रही तो भविष्य में जापान एक समाज के तौर पर असफल होगा, ऐसी चेतावनी किशिदा ने कई बार दी है। साथ ही इस पूरी समस्या का हल निकालकर पुख्ता कदम उठाने का अवसर बना हैं और अब कुछ नहीं किया तो आगे वह कभी भी मुमकिन नहीं होगा, इसका अहसास भी कराया गया था। जापान की सरकार ने जन्मदर और जनसंख्या पर ध्यान देने के लिए स्वतंत्र विभाग गठित किया है और इसके लिए करीबन 35 अरब डॉलर्स का प्रावधान किया है। इस निधी का इस्तेमाल बच्चे के जन्म का खर्चा और जन्म के बाद के खर्चे के लिए आर्थिक प्रावधान के तौर पर करने के संकेत दिए गए हैं।

जापान के साथ ही चीन और दक्षिण कोरिया जैसे पूर्व एशिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में भी जन्मदर एवं जनसंख्या की बड़ी गिरावट होती देखी जा रही है। दक्षिण कोरिया का जन्मदर फिसलकर प्रति महिला 0.78 होने का वृत्त हाल ही में सामने आया था। यह वैश्विक स्तर का नीचांक बना है।

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