जापान सायबर सुरक्षा, एआय और क्वांटम तकनीक के क्षेत्र में ‘ऑकस’ से सहयोग करें – पूर्व प्रधानमंत्री शिन्ज़ो एबे

‘ऑकस’

टोकियो – अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच किए गए ‘ऑकस डील’ का स्वागत करके जापान भी इससे सहयोग की भूमिका अपनाए, ऐसा आवाहन जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिन्ज़ो एबे ने किया है| सायबर सुरक्षा, आर्टिफिशल इंटेलिजन्स और क्वांटम तकनीक के क्षेत्र में यह सहयोग हो, ऐसी सलाह एबे ने दी| इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता के लिए ‘ऑकस डील’ अहम होने का दावा भी उन्होंने इस दौरान किया|

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की वर्चस्ववादी गतिविधियों को प्रत्युत्तर देने के लिए सितंबर में अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने साथ मिलकर व्यापक रक्षा सहयोग के समझौते का ऐलान किया था| इसमें परमाणु पनडुब्बियों के साथ लंबी दूरी के मिसाइल्स, सायबर तकनीक, आर्टिफिशल इंटेलिजन्स’, क्वांटम जैसे क्षेत्रों के सहयोग का ज़िक्र है| ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन एवं ऑस्ट्रेलिया के नेताओं ने भी ‘ऑकस डील’ सीमित नहीं रहेगा, विभिन्न मुद्दों पर सहयोग के लिए इसमें अन्य देश भी शामिल हो सकते हैं, ऐसा कहा था|

‘ऑकस’इस पृष्ठभूमि पर जापान के पूर्व प्रधानमंत्री का यह बयान ध्यान आकर्षित कर रहा है| ‘इंडो-पैसिफिक क्षेत्र मुक्त एवं खुला रखना हो तो समविचारी देशों से सहयोग बढ़ाना अहम है| इस बात को ध्यान में रखकर ऑकस डील स्वागत करने योग्य है| इंडो-पैसिफिक की स्थिरता के लिए अलग अलग क्षेत्रों की भागीदारी के लिए कोशिश होनी चाहिए| जापान को भी ‘ऑकस डील’ से तैयार हुए दायरे में सहयोग करना चाहिए| सायबर क्षमता, आर्टिफिशल इंटेलिजन्स और क्वांटम तकनीक के क्षेत्र में जापान भागीदार हो सकता है’, इस ओर पूर्व प्रधानमंत्री शिन्ज़ो एबे ने ध्यान आकर्षित किया|

‘ऑकस’इस दौरान जापान के पूर्व प्रधानमंत्री ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा की स्थिति काफी गंभीर होने का इशारा दिया| इस स्थिति का मुकाबला करना हो तो जापान को इस क्षेत्र के देशों के साथ सुरक्षा एवं रक्षा संबंधित सहयोग नई उंचाई पर पहुँचाना होगा, यह आवाहन एबे ने इस दौरान किया| इस विषय पर अपनी भूमिका अधिक स्पष्ट करते समय उन्होंने ऑस्ट्रेलिया एवं ‘क्वाड’ गुट के साथ जारी भागीदारी का भी ज़िक्र किया|

शिन्ज़ो एबे ने अपने बयान में चीन के नाम का सीधे ज़िक्र नहीं किया है लेकिन, उनका पूरा रुख चीन की ओर ही था, ऐसा दावा सूत्रों ने किया है| एबे ने अपने प्रधानमंत्री पद के कार्यकाल के दौरान चीन के खिलाफ आक्रामक नीति अपनाई थी| अब एबे प्रधानमंत्री पद पर नहीं हैं, फिर भी सत्ता पार्टी और सरकार पर प्रभाव वाले नेतृत्व की तौर पर जाने जाते हैं| इसी वजह से उनका ‘ऑकस डील’ संबंधित बयान अहमियत रखता है|

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