उत्तर कोरिया ने जापान के सागर में किया बैलिस्टिक क्षेपणास्त्र का प्रक्षेपण – जापान, दक्षिण कोरिया और अमरीका की आलोचना

सेऊल – उत्तर कोरिया ने मंगलवार को प्रक्षेपित किया बैलिस्टिक क्षेपणास्त्र ‘सी ऑफ जापान’ में गिर गया। उत्तर कोरिया ने पनडुब्बी में से यह क्षेपणास्त्र प्रक्षेपित किया होने का दावा दक्षिण कोरियन लष्कर ने किया। जापान के सागरी क्षेत्र के पास क्षेपणास्त्र दागनेवाले उत्तर कोरिया की, दक्षिण कोरिया और अमरीका ने आलोचना की है। पिछले महीने में संयुक्त राष्ट्र संगठन ने आयोजित की हुई महासभा के जारी रहते उत्तर कोरिया ने बैलिस्टिक क्षेपणास्त्र का परीक्षण किया था। इसके जरिए उत्तर कोरिया का तानाशाह किम जाँग उन दुनिया का गौर फरमाने की कोशिश करता दिख रहा है।

बैलिस्टिक क्षेपणास्त्रअपने पास दुनिया का सबसे सामर्थ्यशाली हथियार होने का दावा उत्तर कोरिया ने जनवरी महीने में किया था। उस समय उत्तर कोरिया ने पनडुब्बी में से प्रक्षेपित किए जानेवाले क्षेपणास्त्र की जानकारी दुनिया के सामने सार्वजनिक की थी। उसके बाद उत्तर कोरिया ने थोड़े थोड़े दिनों के बाद क्षेपणास्त्रों का परीक्षण जारी रखा है। लेकिन पिछले डेढ़ महीने में उत्तर कोरिया के बैलिस्टिक क्षेपणास्त्रों के परीक्षणों की मात्रा बढ़ी है। इनमें से कुछ परीक्षण अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों का उल्लंघन करनेवाले और दक्षिण कोरिया तथा जापान की सुरक्षा को खतरा पहुँचानेवाले साबित हुए हैं।

मंगलवार को भी उत्तर कोरिया ने सिंपो बंदरगाह से बैलिस्टिक क्षेपणास्त्र प्रक्षेपित किया। सिंपो बंदरगाह में उत्तर कोरिया की पनडुब्बियों तैनात रहती हैं। इस कारण उत्तर कोरिया ने पनडुब्बी में से इस क्षेपणास्त्र का परीक्षण किया होने का दावा दक्षिण कोरिया ने लष्कर ने किया। इस क्षेपणास्त्र ने ६० किलोमीटर की ऊंचाई तय करके ४५० किलोमीटर की दूरी पर सी ऑफ जापान में वह गिर गया। यह क्षेपणास्त्र हालाँकि जापान की अधिकृत सीमा में नहीं गिरा है, फिर भी यह परीक्षण बहुत ही निंदनीय होने की बात जापान ने कही है।

उत्तर कोरिया पनडुब्बी से क्षेपणास्त्र का परीक्षण करके दक्षिण कोरिया समेत जापान और अमरीका को चेतावनी दे रहा है, ऐसा दावा किया जाता है। इससे पहले सन २०१९ में उत्तर कोरिया ने पुगूक्साँग-3 इस क्षेपणास्त्र का प्रक्षेपण किया था। इस क्षेपणास्त्र का पानी के नीचे से प्रक्षेपण किया गया था। इस क्षेपणास्त्र का परीक्षण उत्तर कोरिया समेत जापान तक पहुँचनेवाला था, ऐसी चेतावनी अमरीका की यंत्रणाओं ने उस समय दी थी।

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