जापान, ब्रिटेन, इटली संयुक्त रूप में करेंगे नवीनतम उन्नत लड़ाकू विमान का निर्माण

लंदन – रशिया-यूक्रेन में संघर्ष और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बढते तनाव के दौरान जापान, ब्रिटेन और इटली रक्षा सहयोग के मुद्दे पर एकजुट हुए हैं। इन तीनों देशों ने छठी पीढ़ी के नवीनतम लड़ाकू विमान निर्माण करने का ऐलान किया। शत्रु देश के विमान पर हमारा विमान हावी होगा, यह दावा इन तीनों देशों ने किया है। इसी बीच अमरीका के बिना जापान, ब्रिटेन और इटली लड़ाकू विमानों के निर्माण के लिए स्वतंत्र कोशिश कर रहे हैं, इस पर अंतरराष्ट्रीय माध्यम ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

लड़ाकू विमान का निर्माणब्रिटेन और इटली दोनों अमरीका की तरह नाटो सदस्य देश हैं। जापान और अमरीका का सुरक्षा सहयोग काफी मज़बूत है। इसके बावजूद सैन्यकी प्रौद्योगिकी के मोर्चे पर जापान एवं नाटो के सदस्य देशों को भी अमरीका पर निर्भर रहना पड़ रहा है, ऐसी आलोचना सैन्य विश्लेषक कर रहे हैं। अमरीका ने इन तीनों देशों को स्टेल्थ ‘एफ-३५’ लड़ाकू विमान प्रदान किए हैं। पांचवी पीढ़ी के इन विमानों का मुकाबला करने में सक्षम लड़ाकू विमान रशिया और चीन के बेड़े में भी नहीं हैं।

लेकिन, इन तीनों देशों को इन विमानों के आधुनिकीकरण के लिए अमरीका पर निर्भर रहना पडता है। इस पर नाटो सदस्य देशों ने दबी आवाज़ में शिकायत की थी। इसके बाद सैन्यकी प्रौद्योगिकी को लेकर अमरीका पर निर्भरता घटाने के लिए मित्र और सहयोगी भी स्वतंत्र सहयोग स्थापित करेंगे, यह दावा विश्लेषकों ने किया था। ऐसे में जापान, ब्रिटेन और इटली के अतिप्रगत लड़ाकू विमानों के निर्माण का ऐलान यही दर्शाता है।

‘ग्लोबल कॉम्बैट एअर प्रोग्राम-जीसीएपी’ के तहत जापान, ब्रिटेन और इटली छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का निर्माण कर रहे हैं। सन २०२४ में इन विमानों का निर्माण शुरू होगा। इसके बाद सन २०३५ तक यह विमान उड़ान भरेंगे, यह ऐलान इन तीनों देशों द्वारा जारी किए गए संयुक्त निवेदन में किया गया है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय नियमों पर आधारित मुक्त और खुली अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए खतरा साबित हो रही चुनौतियों का सामना करने के लिए यह विमान इस्तेमाल होंगे, ऐसा तीनों देशों ने कहा है।

सीधे ज़िक्र किए बिना जापान, ब्रिटेन और इटली ने ‘जीसीएपी’ के ज़रिये चीन और रशिया को चुनौती देने की ओर कदम बढ़ाए हैं, यह दावा पश्चिमी माध्यम कर रहे हैं। साथ ही छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का संयुक्त निर्माण शुरू करके इन तीनों ने अमरिकी गुट से बाहर निकलने की कोशिश की है।

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