अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ने किया ‘इंडो-पैसिफिक इकॉनॉमिक फ्रेमवर्क’ का ऐलान

टोकियो – इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में आक्रामकता से विस्तार कर रहे चीन को चुनौती देने के लिए अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ने ‘इंडो-पैसिफिक इकॉनॉमिक फ्रेमवर्क’ का ऐलान किया। २१वीं सदी का यह आर्थिक गठबंधन ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए नियमों का दायरा तैयार करना, सप्लाई चेन की सुरक्षा तय करना और हरित और अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने का काम करेगा। इस चीन विरोधि आर्थिक गटबंधन में भारत के साथ जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया का भी समावेश रहेगा। जापान में आयोजित क्वाड की बैठक की वजह से पहले से बेचैन हुए चीन का इस नए आर्थिक गठबंधन पर प्रतिक्रिया की उम्मीद है।

‘इंडो-पैसिफिक इकॉनॉमिक फ्रेमवर्क’अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने सोमवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा की मौजूदगी में ‘इंडो-पैसिफिक इकॉनॉमिक फोरम’ (आईपीईएफ) का ऐलान किया। इस गठबंधन के अन्य देशों में ब्रुनेई, इंडोनेशिया, मलेशिया, न्यूज़ीलैण्ड, फिलिपाईन्स, सिंगापुर, वियनतनाम और थायलैण्ड का समावेश है। इन १३ देशों की कुल राष्ट्रीय उत्पादकता विश्‍व में लगभग ४० प्रतिशत है। साथ ही इस वजह से ‘आईपीईएफ’ संगठन आनेवाले समय में विश्‍व का सबसे बड़ा आर्थिक संगठन बनकर सामने आएगा, ऐसा दावा अमरिकी माध्यम कर रहे हैं।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के देशों के लिए यह गठबंधन स्वतंत्र और मुक्त अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा, ऐसा अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ने कहा है। साथ ही ‘आईपीईएफ’ का गठन करके अमरीका ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र के लिए और यहां के देशों के प्रति वचनबद्ध होने की बात दर्शाती है, यह दावा राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने किया। तभी, ‘आईपीईएफ’ गठबंधन के सदस्यदेश के तौर पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आभार व्यक्त किया। ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र को वैश्‍विक आर्थिक विकास का इंजन बनाने की कोशिशों का ऐलान हौ यह आर्थिक गठबंधन, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी ने कहा।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र उत्पादकता, आर्थिक गतिविधियाँ, वैश्‍विक व्यापार और निवेश के केंद्र के रूप में जाना जाता है। इस व्यापारी मोर्चे पर भारत की बड़ी अहमियत बढी है, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान कहा।

Leave a Reply

Your email address will not be published.